भीष्म पितामह ने Makar Sankranti के दिन ही क्यों त्यागे थे प्राण! जानें

मकर संक्रांति का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी है, खासकर महाभारत के संदर्भ में, जब भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और इस दिन अपने प्राण का त्याग कर दिया था।

Advertisment
author-image
Sandeep Kumar
एडिट
New Update
Bhishma Pitamah Makar Sankranti

Makar Sankranti

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति इस साल 14 जनवरी को मनाई जाएगी, जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि सूर्य के गोचर से खरमास समाप्त होता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है। मकर संक्रांति का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी है, खासकर महाभारत के संदर्भ में, जब भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और इस दिन अपने प्राण त्यागे।

मकर संक्रांति 2025 होगा बहुत खास, 19 साल बाद बनेंगे ये योग, जानें

भीष्म पितामह की प्राण त्यागने की कथा

महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने 58 दिनों तक बाणों की शय्या पर रहते हुए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया। उनके पास इच्छा मृत्यु का वरदान था, लेकिन उन्होंने तय किया कि वे तब तक प्राण नहीं छोड़ेंगे जब तक सूर्य उत्तरायण नहीं होते। उनके अनुसार, उत्तरायण के दौरान प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, और यही कारण था कि उन्होंने मकर संक्रांति के दिन अपने प्राण त्यागे।

क्या अंतर है महाकुंभ, पूर्णकुंभ और अर्द्धकुंभ में ? कब है शाही स्नान

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उत्तरायण के महत्व की व्याख्या

भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरायण के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि इस समय पृथ्वी पर प्रकाश का वास होता है, और जो भी व्यक्ति इस समय शरीर त्यागता है, उसे पुनर्जन्म नहीं मिलता। वे सीधे ब्रह्मलोक में जाते हैं, यही कारण था कि भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया।

महाकुंभ में Apple के मालिक स्टीव जॉब्स की पत्नी को मिला नया नाम

मकर संक्रांति का सूर्य के गोचर से संबंध

मकर संक्रांति का दिन सूर्य के गोचर का प्रतीक है, जब सूर्य अपनी राशि बदलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन से खरमास समाप्त होता है और वसंत ऋतु का आगमन होता है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रतीक मानी जाती है। इसके साथ ही, इस दिन को धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे पुण्यकाल माना जाता है।

महाकुंभ में Apple के मालिक स्टीव जॉब्स की पत्नी को मिला नया नाम

मकर संक्रांति के पुण्यकाल और महापुण्य काल

हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। वहीं, महापुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा, जो विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है। इस समय में धार्मिक क्रियाएं और दान आदि करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।

Makar Sankranti मकर संक्रांति हिंदी न्यूज भगवान श्रीकृष्ण नेशनल हिंदी न्यूज भीष्म पितामह