मकर संक्रांति 2025 होगा बहुत खास, 19 साल बाद बनेंगे ये योग, जानें

मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन एक खास संयोग भी बन रहा है।

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Jitendra Shrivastava
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सनातन धर्म में साल का पहला त्योहार मकर संक्रांति का होता है। इस त्योहार को हर साल जनवरी में 13 से 15 तारीख के बीच में मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे सूर्य का उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन एक खास संयोग भी बन रहा है। चलिए इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

2025 में इस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति

मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 14 जनवरी को मनाया जाएगा। हिंन्दू पंचांग के मुताबिक इस दिन सुबह 9:03 बजे सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उदयातिथि के अनुसार, भारत में मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन स्नान दान करने के लिए खास शुभ मुहूर्त है।

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मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति 2025  के शुभ मुहूर्त की बात करें तो मंगलवार 14 जनवरी 2025 को पुण्य काल सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे तक रहेगा।

स्नान करने का शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति को स्नान-दान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है। इस महा पुण्य काल में स्नान और दान करने का खास पुण्य मिलता है।

मकर संक्रांति 2025 का विशेष संयोग

मकर संक्रांति के दिन एक विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में भौम पुष्प योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। ये योग मंगल और पुष्य नक्षत्र के मिलने से बनता है। इस योग में किए गए कामों में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

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मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय तीनों रूपों में खास महत्व है। धार्मिक मान्यता में ये दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए खास दिन माना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियो में नहाते हैं और दान पुण्य करते हैं। सांस्कृतिक रूप से ये पर्व नई फसल के आगमन की खुशी का प्रतीक है। इस दिन गुड़ और तिन से बनी चीजें खाई जाती हैं और पतंगें उड़ाई जाती है। खगोलीय दृष्टि से इस दिन सूर्य की स्थिति में बदलाव होता है। जिससे इस दिन के बाद से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं।

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