महाकुंभ में रबड़ी बाबा की अनोखी सेवा, सुबह से रात तक गर्म करते हैं दूध

महाकुंभ में 'रबड़ी बाबा' अपनी अनोखी सेवा से चर्चा में हैं। वो दिनभर दूध उबालकर श्रद्धालुओं को रबड़ी प्रसाद देते हैं, जिस वजह से वो महाकुंभ के आकर्षण बन गए हैं।

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Sourabh Bhatnagar
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RABRI BABA

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महाकुंभ मेला, जो हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है, इस बार प्रयागराज में होने जा रहा है। यहां संगम के किनारे आस्था और भक्ति की लहरें उमड़ रही हैं और लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए आ रहे हैं। कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है जो अनेकों साधु-संत, बाबा और भक्तों का समागम होता है। ऐसे में इस बार कुंभ मेला में एक ऐसे बाबा हैं, जो अपने अनोखे तरीके से चर्चा का विषय बने हुए हैं। ये हैं ‘रबड़ी बाबा’ जिनका लोगों की सेवा करने का तरीका थोड़ा अलग है। चलिए जानते हैं...

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रबड़ी बाबा की अनोखी सेवा

रबड़ी बाबा, जिनका असली नाम श्री महंत देवगिरि है, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से जुड़े हुए हैं। रबड़ी बाबा का एक अनोखा तरीका है लोगों की सेवा करने का। वो हर दिन सुबह से लेकर देर रात तक दूध उबालते हैं और फिर उसे मलाईदार रबड़ी में बदल देते हैं। इस रबड़ी का प्रसाद वो श्रद्धालुओं को भोग के रूप में बांटते हैं। रबड़ी बाबा की ये निस्वार्थ सेवा महाकुंभ मेला में एक प्रमुख आकर्षण बन गई है।

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रबड़ी बनाने का विचार

रबड़ी बाबा बताते हैं कि, उनको ये विचार 2019 में आया था। उन्होंने तब कई लोगों को मिठाई परोसकर उनका दिल जीता था। 9 दिसंबर 2024 से महाकुंभ में अपनी सेवा शुरू करने वाले बाबा कहते हैं कि, ये रबड़ी केवल लोगों की सेवा के लिए है। उनका उद्देश्य किसी पब्लिसिटी स्टंट का नहीं, बल्कि वो देवी महाकाली के आशीर्वाद से ये कार्य कर रहे हैं। वो बताते हैं कि हर दिन वो सुबह 8 बजे से रबड़ी तैयार करना शुरू कर देते हैं और पहले इसे कपिल मुनि और अन्य देवताओं को भोग के रूप में अर्पित करते हैं। फिर इसे श्रद्धालुओं में बांटते हैं।

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महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ मेला विशेष रूप से तीन शाही स्नानों के लिए प्रसिद्ध है। इस साल तीन शाही स्नान 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को होंगे। लोगों का मानना है कि, इस दौरान संगम में डुबकी लगाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। महाकुंभ में रबड़ी बाबा की सेवा का ये अद्भुत अनुष्ठान न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि ये दिखाता है कि सेवा और भक्ति के माध्यम से कोई भी व्यक्ति समाज में एक खास स्थान बना सकता है। उनकी सेवा श्रद्धालुओं के दिलों में जगह बना चुकी है और उनके प्रसाद का स्वाद लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

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