हिंदू धर्म पंचाग के अनुसार इस साल 2024 में काल भैरव जयंती पर्व 22 एवं 23 नवंबर दो दिन मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार भगवान शंकर के अंश से जन्में काल भैरव बाबा को मदिरा यानि की शराब का भोग अति प्रिय है। जो भक्त मदिरा का भोग बाबा काल भैरव को लगाते हैं उन्हें मिल जाता है मनचाहा वरदान।
कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि का महत्तव
सनातन धर्म के शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार कालभैरव बाबा की उत्पत्ति भगवान महादेव के अंश से आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए हुई थी। जिस दिन कालभैरव बाबा का प्राकट्य हुआ था, उस दिन अगहन (मार्गशीर्ष) मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि थी। तभी से कालभैरव जयंती और हर महीने की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
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बाबा भैरव को पसंद है मदिरा का भोग
भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में स्थित काल भैरव बाबा के भव्य मंदिर में भगवान काल भैरव को विधिवत पूजन अर्चन के बाद भैरव नाथ को मदिरा (शराब) को भोग लगाया जाता है। सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवान भैरव जी को इसलिए मदिरा का पान कराया जाता है क्योंकि काल भैरव जी तामसिक प्रवृत्ति के देवता है। मान्यता के अनुसार उनकी उपासना करने वाले भक्तों की रक्षा वें आसुरी शक्तियों से करते हैं, इसलिए उन्हें शराब का भोग लगाया जाता है, जो भक्त अपने शत्रुओं से और अपनी बुराइयों से बचना चाहते हैं वे अपने आसपास के या फिर उज्जैन में जाकर भगवान कालभैरव को शराब का भोग लगावें। शराब के भोग से शीघ्र ही भैरव बाबा प्रसन्न हो जाते हैं।
भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं भैरव नाथ
बाबा भैरव नाथ अपने भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं, ग्रह-क्लेश आदि दोष दूर करने के साथ ही कालसर्प दोष, अकाल मृत्यु और पितृ दोष आदि से भी मुक्ति मिल जाती है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि यहां प्रतिदिन लगभग 2 हजार बोतलें मदिरा का भोग लगाया जाता है।
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यहां के मंदिर में भी लगता मदिरा का भोग
उज्जैन के अलावा एक और प्रसिद्ध मंदिर है जहां पर बाबा काल भैरव को मदिरा पान करने की परंपरा है। यह शहर है इंदौर, इंदौर के पंढरीनाथ इलाके में स्थित काल भैरव बाबा के अति प्राचीन काल भैरव मंदिर में बाबा को शराब का भोग लगाने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं, और भगवान को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना से प्रति रविवार शराब का भोग लगाते हैं।
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