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Latest Religious News: उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 2025 इस साल 30 अप्रैल को शुरू हुई थी और अब ये अपने अंतिम पड़ाव पर है। हर साल दीपावली के पर्व के बाद, कड़ाके की ठंड और भारी बर्फबारी के कारण, इन पवित्र धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
इस दौरान, देवी-देवताओं की विग्रह डोलियां उनके शीतकालीन आवासों पर ले जाई जाती हैं, जहां अगले छह महीने तक उनकी पूजा-अर्चना चलती रहती है। इस साल, कपाट बंद होने की प्रक्रिया की शुरुआत गंगोत्री धाम से हो रही है। आइए जानें किस धाम के कपाट कब होंगे बंद...
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गंगोत्री धाम
गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:36 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
शीतकालीन प्रवास:
कपाट बंद होने के बाद, मां गंगा की भोगमूर्ति की डोली मुखबा गांव में स्थापित की जाएगी। यहां अगले छह माह तक श्रद्धालु उनके दर्शन कर सकेंगे। डोली 22 अक्टूबर की रात मार्कंडेय मंदिर में विश्राम करेगी और 23 अक्टूबर की दोपहर मुखबा गांव पहुंचेगी।
यमुनोत्री धाम
कपाट बंद होने की तिथि और समय: 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार (भाई दूज के दिन), दोपहर 12:30 बजे
शीतकालीन प्रवास:
कपाट बंद होने के बाद, मां यमुना अगले छह माह के लिए अपने मायके खरसाली गांव स्थित यमुना मंदिर में विराजेंगी। 23 अक्टूबर की सुबह, मां यमुना को लेने के लिए उनके भाई सोमेश्वर महाराज शनिदेव की डोली रवाना होगी।
केदारनाथ धाम
कपाट बंद होने की तिथि और समय: 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार, सुबह 8:30 बजे.
शीतकालीन प्रवास:
बाबा केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद, उनकी पंचमुखी भोगमूर्ति को रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में लाया जाएगा। अगले छह महीने तक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन यहीं कर सकेंगे।
बद्रीनाथ धाम
कपाट बंद होने की तिथि और समय: 25 नवंबर 2025, दोपहर 2:56 बजे
शीतकालीन प्रवास:
वैकुंठ धाम के नाम से प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट सबसे अंत में बंद होते हैं। भगवान बद्री विशाल के दर्शन अगले छह माह तक कहां होंगे। इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई है, लेकिन यह आमतौर पर जोशीमठ में होता है।
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इस साल की चार धाम यात्रा 2025
प्राकृतिक आपदाओं और चुनौतियों के बावजूद भी, इस साल उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2025 में श्रद्धालुओं की संख्या ने एक बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। अब तक 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु इन चारों धामों के दर्शन कर चुके हैं। केदारनाथ धाम में सबसे ज्यादा भक्त पहुंचे हैं।
बद्रीनाथ धाम में भी श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक रही है। वहीं, गंगोत्री धाम (7,57,762 श्रद्धालु) और यमुनोत्री धाम (6,44,366 श्रद्धालु) आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या भी 6 लाख से पार रही है।
इस साल उत्तरकाशी जिले में प्राकृतिक आपदा के कारण गंगोत्री और यमुनोत्री धामों की यात्रा लंबे समय तक बाधित रही थी। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में भक्तों का पहुंचना आस्था का प्रतीक है।
यह समय उन सभी भक्तों के लिए अंतिम मौका है जो इन पावन धामों के दर्शन करना चाहते हैं। कपाट बंद होने के बाद, भक्तों को अगले छह महीने तक शीतकालीन आवासों पर ही दर्शन करने होंगे।
हर साल की तरह यह क्षण भी श्रद्धालुओं के लिए भावुक और आस्था (केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर) से भरा होता है, जब वे अपने प्रिय देवी-देवताओं को विदाई देकर उनके शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना करते हैं।
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