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Latest Religious News:गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति ही सबसे बड़ी शक्ति है। हमें गायों, पहाड़ों और अन्न का सम्मान करना चाहिए। गोबर से गोवर्धन पहाड़ बनाना और अन्नकूट का भोग लगाना, हमें धरती और गौमाता के महत्व को समझाता है।
इस दिन भक्त गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर, भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इस दिन श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। आइए जानें गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त....
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक साल 2025 में गोवर्धन पूजा का पावन त्योहार 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा।
प्रतिपदा तिथि की शुरूआत: 21 अक्टूबर, शाम 5 बजकर 54 मिनट से।
प्रतिपदा तिथि का समापन: 22 अक्टूबर, शाम 8 बजकर 16 मिनट पर।
पूजा का सबसे शुभ समय: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 08 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
इस खास दिन पर भक्तगण भगवान श्री कृष्ण, गायों और गोवर्धन पर्वत की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं।
क्यों पूजे जाते हैं गिरिराज जी
पौराणिक कथा के मुताबिक, द्वापर युग में ब्रजवासी अच्छी वर्षा और फसल के लिए इंद्र देव की पूजा किया करते थे। पर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को यह कहकर समझाया कि इंद्र से ज्यादा महत्वपूर्ण तो गोवर्धन पर्वत और गौमाता हैं। गोवर्धन पर्वत ही वह आधार है जो गायों के लिए घास, औषधियां और वर्षा का जल इकट्ठा करता है।
यानी यह पर्वत ही प्रत्यक्ष रूप से ब्रजवासियों के जीवन और गौ-धन का रक्षक है। तो श्रीकृष्ण के कहने पर जब ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा बंद करके गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की तो इंद्र क्रोधित हो गए। उन्होंने पूरे ब्रज को डुबाने के लिए मूसलधार वर्षा कर दी।
तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठाकर, सात दिनों तक ब्रजवासियों को उस पर्वत की शरण में रखा। इससे यह सिद्ध हुआ कि हमारा जीवन प्रकृति पर निर्भर है न कि किसी अभिमानी देवता पर।
संदेश: इसीलिए इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है। गोबर गौमाता का प्रसाद है। इससे पहाड़ बनाना यह संदेश देता है कि हमें पर्यावरण के हर छोटे से छोटे हिस्से पहाड़, पेड़, गाय का सम्मान करना चाहिए। बाद में यह गोबर खाद के रूप में खेतों में उपयोग होता है। ये प्राकृतिक चक्र को पूरा करता है।
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अन्नकूट क्या होता है
गोवर्धन पूजा के साथ ही अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। 'अन्नकूट' का शाब्दिक अर्थ है 'अन्न का पहाड़'। इस दिन भक्तजन कई तरह की सब्जियों, अनाज, दालों और पकवानों जैसे पूड़ी, मिठाई, खीर, कढ़ी-चावल को मिलाकर एक विशेष भोग तैयार करते हैं। ये परंपरा द्वापर युग में ठीक उसी दिन शुरू हुई जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था।
पौराणिक कथा के मुताबिक, जब श्रीकृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को धारण किए रखा, तो उन्होंने सात दिन तक अन्न-जल ग्रहण नहीं किया था।
इंद्र का क्रोध शांत होने के बाद ब्रजवासियों ने उनके लिए कई तरह के अन्न और व्यंजन इकट्ठे किए। फिर उन्हें मिलाकर एक साथ भोग लगाया। इस तरह सात दिनों के आठ प्रहर के हिसाब से छप्पन भोग लगाने की परंपरा भी शुरू हुई थी।
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अन्नकूट का सामाजिक संदेश
कृषि का सम्मान:
अन्नकूट (गोवर्धन पूजा 2025) हमें सिखाता है कि हमें खेत से मिले हर अन्न का सम्मान करना चाहिए। यह किसानों और प्रकृति माता का आभार व्यक्त करने का तरीका है।
सामुदायिक एकता:
अन्नकूट (गोवर्धन पूजा 2025) का प्रसाद सामूहिक रूप से तैयार किया जाता है। फिर सभी में बांटा जाता है। यह सामाजिक एकता और आपसी सहयोग की भावना को मजबूत करता है।
आरोग्यता:
यह सर्दी की शुरुआत का समय होता है। अन्नकूट में उन मौसमी सब्जियों का प्रयोग होता है जो स्वास्थ्य के लिए उत्तम होती हैं जैसे मूली, पालक, गाजर आदि। इस तरह यह भोग हमें आरोग्यता का आशीर्वाद देता है।
तो गोवर्धन पूजा 2025 का पर्व हमें बताता है कि जीवन में प्रकृति ही सबसे बड़ी शक्ति है। हमारा धर्म हमें गौमाता, पहाड़ और अन्न की पूजा करके उनका संरक्षण करना सिखाता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News
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