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Latest Religious News:हम सब जानते हैं कि धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। इस दिन नए बर्तन, सोना या चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।
इस पर्व का एक और सबसे खास रिवाज है शाम को घर के मुख्य द्वार पर यम-दीपक जलाना। यह दीपक, धन या संपत्ति के लिए नहीं बल्कि मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है।
इसके पीछे एक बहुत पुरानी और गहरी कहानी छिपी है। ये राजा हंस के पुत्र और उनकी रानी की सावधानी और प्रेम को दिखाती है। यह कहानी सिर्फ एक अंधविश्वास नहीं बल्कि जीवन और मृत्यु के सबसे बड़े सत्य को समझने का एक गहरा अर्थ रखती है। जानें धनतेरस का महत्व...
राजा हंस के पुत्र की मार्मिक कहानी
धनतेरस का इतिहास- पुराने समय में राजा हंस नाम के एक बहुत प्रतापी और धार्मिक राजा थे। उनके घर लंबे समय बाद एक पुत्र का जन्म हुआ, जिससे पूरे राज्य में खुशी छा गई। लेकिन राज-ज्योतिषी ने जब बच्चे की कुंडली देखी तो एक भयानक भविष्यवाणी की।
ज्योतिषी ने बताया कि यह बालक अपने विवाह के ठीक चौथे दिन सांप के काटने से मर जाएगा। राजा और रानी को यह सुनकर गहरा दुःख हुआ। राजा हंस ने मृत्यु के इस अटूट सत्य को टालने का निश्चय किया। उन्होंने राजकुमार को आम जनता और काल की नजरों से दूर एक ऐसे स्थान पर भेज दिया जहां उसका पाला किसी स्त्री से न पड़े।
विवाह और मृत्यु का आगमन
समय बीतता गया और राजकुमार युवा हो गया। नियति को कोई नहीं टाल सकता। एक दिन, राजा हंस ने एक सुंदर राजकुमारी से उसका विवाह कर दिया।
जब विवाह को ठीक चार दिन हुए, तो राजकुमार की पत्नी को उस पुरानी और भयानक भविष्यवाणी का पता चला। वह डर से कांप उठी, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने संकल्प लिया कि वह अपने प्रेम और सावधानी से अपने पति की रक्षा करेगी।
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रानी का अनोखा उपाय
चौथे दिन की रात जब मृत्यु को राजकुमार के पास आना था, रानी ने एक अनोखा उपाय किया। उसने राजकुमार के कमरे के चारों ओर और विशेषकर प्रवेश द्वार पर सोने और चांदी के आभूषणों का एक ऊंचा ढेर लगा दिया।
उसने कमरे को हजारों दीयों से रोशन कर दिया। दीयों की रोशनी इतनी तेज थी कि अंधकार का नामो-निशान नहीं था। इसके बाद, रानी रात भर बैठी रही और अपने पति को जगाए रखने के लिए उन्हें कहानियां सुनाती रही और भजन गाती रही।
जब मृत्यु के देवता यमराज एक सर्प का रूप धारण करके राजकुमार के प्राण लेने आए तो वह प्रवेश द्वार पर सोने और चांदी के ढेर से टकरा गए। तेज रोशनी और आभूषणों की चमक ने उनकी आंखें चक्करा दी।
यमराज उस ढेर को पार नहीं कर पाए और उन्हें वहीं रुकना पड़ा। सुबह होने तक यमराज को बिना प्राण लिए वापस लौटना पड़ा क्योंकि राजकुमार को मारने का शुभ मुहूर्त निकल चुका था। इस तरह रानी की सजगता, प्रेम और दीपक की रोशनी ने काल को हरा दिया।
धनतेरस के दीपक का आध्यात्मिक महत्व
यह कहानी सिर्फ एक चमत्कारी घटना नहीं है बल्कि जीवन जीने के तरीके का एक गहरा दार्शनिक अर्थ बताती है।
सतर्कता और सजगता
दीपक यहां केवल रोशनी नहीं है, बल्कि ज्ञान और सजगता का प्रतीक है। रानी ने दीपक जलाकर सिर्फ अंधेरा ही नहीं हटाया, बल्कि अपने जीवन और कर्तव्यों के प्रति सतर्कता दिखाई।
दार्शनिक सीख
हमारी जिंदगी में मृत्यु एक निश्चित सत्य है। लेकिन लापरवाही और अज्ञान ही हमें भयभीत करता है। अगर हम रानी की तरह सतर्क रहें यानी, अच्छे कर्म करें और धर्म का पालन करें तो हम काल के भय को टाल सकते हैं या कम कर सकते हैं।
धन का सही प्रयोग
सोने और चांदी के आभूषणों का ढेर केवल संपत्ति नहीं है, यह बताता है कि धन का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए। जैसे रानी ने धन को बचाने के लिए नहीं, बल्कि जीवन को बचाने के लिए इस्तेमाल किया। यह सिखाता है कि धन का वास्तविक आध्यात्मिक महत्व तभी है जब वह धर्म और जीवन की रक्षा के काम आए। धन का उपयोग अहंकार को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा और शुभ कार्यों के लिए होना चाहिए।
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अंधकार पर प्रकाश की विजय
यम या मृत्यु को अक्सर अंधकार से जोड़ा जाता है। हजारों दीयों की रोशनी अंधकार पर प्रकाश की विजय को दिखाती है। धनतेरस के दिन यम-दीपक जलाना एक तरह से यह घोषणा करना है कि हम अपनी जिंदगी में अज्ञान और नकारात्मकता को दूर कर रहे हैं।
इस तरह धनतेरस हमें सिर्फ भौतिक धन इकट्ठा करना नहीं सिखाता बल्कि सजगता, ज्ञान और सतर्कता जैसे आंतरिक धन को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। इसीलिए इस दिन यम-दीपक जलाना एक ऐसी परंपरा है जो जीवन के सबसे बड़े सत्य को बड़े प्रेम और साहस के साथ स्वीकार करती है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। Hindu News | धार्मिक अपडेट
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