दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश के साथ क्यों जरूरी है बही खाते की पूजा, जानें व्यापारियों के लिए इस पूजा का खास महत्व

दिवाली की रात व्यापारी समुदाय के लिए नए साल की शुरुआत होती है, जिसे चोपड़ा पूजा कहते हैं। इस पूजा में धन, बुद्धि और ज्ञान की त्रिवेणी पूजा करके व्यापारी संकल्प लेते हैं। उनका लेखा-जोखा ईमानदार और साफ रहे, ताकि पूरे साल व्यापार में समृद्धि और बरकत बनी रहे।

author-image
Kaushiki
New Update
Worship of new ledger on Diwali
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Latest Religious News: जब दिवाली के दिन चारों ओर दीये जलते हैं तो व्यापारी समुदाय के लिए ये सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि नए साल की शुरुआत होती है। इस खास रात को मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ नए बही-खातों (लेखा-पुस्तकों) की पूजा होती है। ये एक पुरानी परंपरा है, जिसे चोपड़ा पूजा या शारदा पूजा भी कहते हैं।

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, इस पूजा के जरिए व्यापारी यह संकल्प लेते हैं कि उनका नया साल शुभ मुहूर्त में शुरू हो। साथ ही उनका हिसाब-किताब साफ रहे और व्यापार में सालभर धन और समृद्धि बनी रहे। दरअसल भारत में व्यापारिक और धार्मिक गणनाएं विक्रम संवत कैलेंडर पर आधारित थीं।

कार्तिक माह की अमावस्या यानी दिवाली के दिन से ही नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए, व्यापारी इस शुभ अवसर पर पुराने हिसाब-किताब को खत्म करके नया बही-खाता शुरू करते हैं। ऐसा करने से उनका आने वाला साल लाभ और समृद्धि से भरा रहता है।

ये खबर भी पढ़ें...

कुछ ऐसी है धनतेरस की अनोखी परंपरा, कहीं यमराज के लिए दीया तो कहीं सेहत के लिए पूजा

व्यापार वृद्धि के लिए पूजा: लागत, विधि और लाभ - 99पंडित

क्यों है ये परंपरा इतनी खास

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, चोपड़ा पूजा केवल कागज और पेन को पूजने का विधान नहीं है। यह एक गहरा आध्यात्मिक और व्यावहारिक संदेश देती है।

  • धन और ज्ञान का संयोग

    देवी लक्ष्मी की पूजा करने का उद्देश्य धन की प्राप्ति है। लेकिन बिना सही हिसाब-किताब और बुद्धि के व्यापार में धन का आना व्यर्थ है।

  • गणेश जी

    पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश को पूजने का अर्थ है कि बुद्धि (विवेक) से ही व्यापारिक फैसले लिए जाएँ।

  • सरस्वती जी (बही-खाता) 

    बही-खाते को ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती का रूप माना जाता है। सरस्वती की पूजा का मतलब है कि हमारा लेखा-जोखा हमेशा साफ, सही और पारदर्शी रहे।

इस त्रिवेणी धन (लक्ष्मी), बुद्धि (गणेश) और ज्ञान (सरस्वती) की संयुक्त पूजा यह सुनिश्चित करती है कि व्यापार में केवल धन ही न आए बल्कि वह सही तरीके से प्रबंधित हो और शुभ कार्यों में लगे। Hindu News

ये खबर भी पढ़ें...

दीपावली की सही तारीख घोषित, 20 अक्टूबर को ही जलाएं खुशियों के दीये, जानें शुभ मुहूर्त

चोपड़ा पूजन: तिथि, समय, मुहूर्त (चौघड़िया) और पूजा गाइड

शुद्धता और नई शुरुआत का संकल्प

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, नए बही-खाते को शुरू करने से पहले उस पर स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है और 'शुभ लाभ' लिखा जाता है और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। स्वास्तिक को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। यह क्रिया व्यापारी के लिए एक संकल्प है कि,

  • यह संकल्प लेना कि हम अपने पिछले साल की सभी गलतियों को यहीं खत्म कर रहे हैं।

  • नए साल में हम अपने व्यवसाय को पूरी ईमानदारी, शुद्धता और पारदर्शिता से आगे बढ़ाएंगे।

  • इस दिन पूजा किए गए बही-खाते में पहली प्रवेश भी शुभ मुहूर्त में ही की जाती है, ताकि साल भर काम में बरकत बनी रहे।

चोपड़ा पूजा 2025 - दिव्यसंसार

बही-खाता पूजा की विधि

ये पूजा (दिवाली 2025) बहुत ही श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है, खासकर दिवाली की रात को।

पूजन सामग्री और तैयारी

  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाया जाता है।

  • गणेश जी और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।

  • नए बही-खाते को लक्ष्मी जी के सामने रखा जाता है।

  • पूजा में कलम, दवात, रोली, अक्षत (चावल), सुपारी, और मिठाई जरूरी होती है।

Diwali Puja Muhurat 2023: दिवाली पर पूजा के लिए कितने हैं मुहूर्त, देखें  आपके लिए कौन-सा रहेगा सही - Diwali Puja Shubh Muhurat 2023 Importance In  Hindi diwali devi lakshmi puja time

 पूजन की प्रक्रिया

  • सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि व्यापार में आने वाली सभी बाधाएं दूर हों।

  • इसके बाद देवी लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है, उनसे धन और समृद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है।

  • बही-खातों पर हल्दी या रोली से स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है। 'शुभ' और 'लाभ' लिखा जाता है।

  • कलम और दवात (या स्याही) को भी पूजा जाता है, क्योंकि वे व्यापार के साधन हैं। यह पूजा इस बात का प्रतीक है कि हमारा लेखा-जोखा हमेशा सही लिखा जाए।

  • शुभ मुहूर्त में नए खाते के पहले पन्ने पर रोली या केसर से पहली एंट्री की जाती है, जिसमें किसी शुभ अंक या प्रतीक को दिखाया जाता है।

धार्मिक अपडेटः मान्यता के मुताबिक, यह पूरी क्रिया न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती देती है, बल्कि यह व्यापारियों को अपने काम के प्रति ईमानदारी और अनुशासन बनाए रखने के लिए भी प्रेरित करती है।

यही कारण है कि भारतीय व्यापारिक समुदाय के लिए दिवाली का पर्व वास्तव में नया साल होता है, जब वे अपनी समृद्धि की नींव को फिर से मजबूत करते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

ये खबर भी पढ़ें...

दिवाली पर क्यों जलाते हैं आकाशदीप, जानें ये एक दीया कैसे बनता है घर का रक्षा कवच

दिवाली से पहले आ रहा पुष्य नक्षत्र, इस दुर्लभ संयोग में इन चीजों को खरीदने से होगी धन की वर्षा

गणेश जी मां लक्ष्मी का पूजन दिवाली 2025 Diwali Latest Religious News धार्मिक अपडेट Hindu News
Advertisment