/sootr/media/media_files/2025/10/09/diwali-laxmi-pujan-20-october-2025-2025-10-09-08-40-54.jpg)
Diwali 2025 Date: दीपावली यानी खुशियों और प्रकाश का महापर्व। यह दिन मां लक्ष्मी के पूजन और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे बड़ा मौका होता है। लेकिन, इस बार 2025 में कार्तिक मास की अमावस्या तिथि दो दिन होने के कारण भक्तों के मन में संशय था कि आखिर सही तिथि क्या है?
क्या दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 21 अक्टूबर को? ऐसे में बनारस, उज्जैन और भोपाल के प्रकांड ज्योतिषाचार्यों ने सभी संशय दूर कर दिए हैं और साफ तौर पर घोषणा की है कि दीपावली 20 अक्टूबर, सोमवार को ही मनाई जाएगी।
21 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन क्यों नहीं
धर्म और ज्योतिष के नियम एकदम स्पष्ट हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, लक्ष्मी पूजन हमेशा कार्तिक अमावस्या की रात को विशेष रूप से प्रदोष काल और निशीथ काल में किया जाता है।
तो ऐसे में वरिष्ठ ज्योतिषियों का मत है कि 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सूर्य डूबने से पहले ही खत्म हो जाएगी। उस दिन शाम होते ही अमावस्या का 'राज' खत्म हो जाएगा और प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी।
21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि न तो प्रदोष काल में रहेगी और न ही रात यानी निशीथ काल में। इसलिए, 21 अक्टूबर को दीपावली मनाना या लक्ष्मी पूजन करना शास्त्रसम्मत नहीं होगा। वहीं महाकाल की नगरी उज्जैन में भी दीपावली इसी दिन यानी 20 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
ये खबर भी पढ़ें...
प्राचीन काल में छठ पूजा को किस नाम से जाना जाता था? जानें पूजा से जुड़ी वो बात जो कर देगी हैरान
20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का सही समय क्या है
पंचांग के मुताबिक, इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत और समाप्ति का समय कुछ इस प्रकार है:
अमावस्या तिथि का आरंभ: 20 अक्टूबर, सोमवार को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से।
अमावस्या तिथि की समाप्ति: 21 अक्टूबर, मंगलवार को शाम 5 बजकर 43 मिनट पर।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि पूरे दिन और रात को भी रहेगी। यही वह कारण है जिसके चलते इस दिन प्रदोष काल और निशीथ काल दोनों ही शुभ मुहूर्त होंगे।
ये खबर भी पढ़ें...
दीवाली, छठ और तुलसी विवाह कब? जानें कार्तिक मास 2025 के 10 सबसे बड़े पर्वों की लिस्ट और पूजा विधि
प्रदोष काल और निशीथ काल को समझिए
हमारे धर्म शास्त्रों में लक्ष्मी पूजन के लिए दो समयों को सबसे खास और शुभ माना गया है:
प्रदोष काल:
यह समय सूर्यास्त होने से लगभग डेढ़ से दो घंटे पहले शुरू होता है और सूर्यास्त के डेढ़ से दो घंटे बाद तक रहता है। यह वह समय है जब देवी-देवता पृथ्वी पर विचरण करते हैं और यह पूजन के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
निशीथ काल:
यह आधी रात का समय होता है, जो लगभग रात 12 बजे से 1:30 बजे तक रहता है। तंत्र-मंत्र और विशेष सिद्धियों के लिए यह समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। चूंकि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष और रात के निशीथ काल दोनों में मौजूद रहेगी, इसलिए इसी दिन पूरे विधि-विधान से मां लक्ष्मी का पूजन करना और दीपावली मनाना उचित है।
बीते वर्षों के आंकड़े और भविष्य के संकेत
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, दीपावली की तारीख पिछले 25 सालों में यह तीसरी बार होगा जब दिवाली 2025 सोमवार को मनाई जाएगी। ये एक संयोग ही है कि इन 25 सालों में 11 बार दीपावली (Diwali) अक्टूबर महीने में आई है और 13 बार नवंबर के महीने में।
इन आंकड़ों से साफ होता है कि त्योहारों की तिथियां चंद्रमा की गति पर निर्भर करती हैं और हर साल बदलती रहती हैं। इसलिए भक्तों को किसी भी प्रकार के भ्रम में न रहते हुए 20 अक्टूबर, सोमवार को ही पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ अपने घर और जीवन में प्रकाश का यह महान पर्व दीपावली मनाना चाहिए और लक्ष्मी माता का आशीर्वाद लेना चाहिए।
ये खबर भी पढ़ें...
Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की रात क्यों की जाती है चंद्रमा की पूजा, क्या है चांदनी रात में खीर रखने का सही मुहूर्त