Chaturmas Month 2025: चातुर्मास हुआ खत्म, जानें खाने-पीने सहित मांगलिक कार्यों में क्या आएंगे बदलाव

चातुर्मास के चार महीनों में कई चीज़ें खाना मना होता है, जैसे दही, बैंगन और प्याज़-लहसुन। लेकिन कार्तिक शुक्ल एकादशी के बाद ये व्रत खत्म होते ही ये सब फिर से खाए जा सकते हैं। इसका कारण धार्मिक तो है ही, साथ में इसमें वैज्ञानिक तर्क भी छिपा है।

author-image
Manya Jain
New Update
Chaturmas Month 2025 ke-baad-kya-kha-sakte-hain religious news
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

हर साल चातुर्मास के चार महीने (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं।

इन महीनों (चातुर्मास विश्राम) में कई खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित होता है — जैसे दही, बैंगन, हरी सब्ज़ियां, प्याज़-लहसुन और कुछ जगहों पर अनाज भी।

लेकिन जब चातुर्मास समाप्त होता है, तो कई चीज़ें फिर से खाने योग्य हो जाती हैं। आइए जानें कि कौन-कौन से खाद्य पदार्थ अब खाए जा सकते हैं और इसके वैज्ञानिक व आध्यात्मिक (धार्मिक अपडेट) दोनों कारण क्या हैं।

🌿 अब खाने योग्य चीज़ें कौन-कौन सी हैं

  1. दही और दूध से बने उत्पाद – चातुर्मास में दही और छाछ का सेवन निषिद्ध होता है, लेकिन इसके बाद इन्हें फिर से खाया जा सकता है।

  2. हरी पत्तेदार सब्ज़ियां – जैसे पालक, मेथी, बथुआ, सरसों का साग आदि अब सेवन योग्य हैं।

  3. बैंगन (भिंडी, परवल, करेला आदि) – इन सब्ज़ियों को अब दोबारा आहार में शामिल किया जा सकता है।

  4. प्याज़ और लहसुन – जो लोग व्रत या सात्त्विक भोजन का पालन करते हैं, वे अब इनका सेवन पुनः शुरू कर सकते हैं।

  5. दालें और अनाज – कुछ लोग इनका भी व्रत रखते हैं, अब यह भी पूरी तरह खाने योग्य हैं।

  6. अचार, नमकीन, तले खाद्य पदार्थ – पाचन के लिहाज़ से बेहतर मौसम होने पर इन्हें सीमित मात्रा में खाया जा सकता है।

🔬 वैज्ञानिक कारण

चातुर्मास वर्षा ऋतु में आता है। इस समय वातावरण में नमी अधिक होती है, जिससे बैक्टीरिया और फफूंदी तेजी से बढ़ते हैं।

  • दुग्ध उत्पाद, खासकर दही और छाछ, जल्दी खराब हो जाते हैं, इसलिए इन्हें न खाने की परंपरा बनी।

  • हरी सब्ज़ियां बारिश के मौसम में कीटों से ग्रसित रहती हैं, जिससे संक्रमण का खतरा होता है।

  • तली चीज़ें और भारी भोजन इस समय पाचन को कमजोर कर सकते हैं क्योंकि बारिश में पाचन अग्नि मंद पड़ जाती है।

जब चातुर्मास समाप्त होता है, यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी (प्रभो एकादशी) के बाद, तब मौसम ठंडा और शुष्क होने लगता है।

इस समय शरीर का पाचन बल बढ़ जाता है और वातावरण भी बैक्टीरिया मुक्त हो जाता है। इसलिए, इन खाद्य पदार्थों को फिर से आहार में शामिल करना स्वास्थ्य (Latest Religious News) के लिए सुरक्षित होता है।

🕉️ आध्यात्मिक कारण

चातुर्मास को संयम और साधना का काल कहा गया है। भगवान विष्णु इस अवधि में योगनिद्रा में रहते हैं, इसलिए भक्ति में लीन रहने और सात्त्विक भोजन (Hindu News) अपनाने की परंपरा है।

  • इन चार महीनों में इंद्रियों पर नियंत्रण, मन की शुद्धि और शरीर का शोधन ही प्रमुख उद्देश्य होता है।

  • जब चातुर्मास समाप्त होता है, तो इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है — भगवान विष्णु के जागरण (dharm news today) का दिन। इस दिन से सभी शुभ कार्य, जैसे विवाह, गृहप्रवेश और भोज आदि, पुनः शुरू किए जाते हैं।

  • इसलिए, चातुर्मास के बाद स्वादिष्ट और विविध आहार को वापस लेना एक तरह का उत्सव और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

चातुर्मास के बाद आते हैं ये परिवर्तन

🌸शुभ कार्यों की शुरुआत 

  • विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं।

  • देवउठनी एकादशी से शुभ समय की पुनः शुरुआत मानी जाती है।

🕉️धार्मिक नियमों का समापन

  • व्रत, उपवास और संयम से जुड़े नियम समाप्त होते हैं।

  • मंदिरों में तुलसी विवाह, भजन-कीर्तन और विशेष पूजा आयोजित होती है।

🍃आहार में विविधता की वापसी

  • दही, दूध, हरी सब्ज़ियां, प्याज़-लहसुन आदि का सेवन फिर से शुरू होता है।

  • ठंड के मौसम के अनुसार तिल, गुड़, घी और सूखे मेवे आहार में शामिल किए जाते हैं।

🌤️मौसम और दिनचर्या में बदलाव

  • बारिश समाप्त होकर शरद और हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है।

  • वातावरण स्वच्छ और रोग-मुक्त होता है, यात्रा व बाहर के कार्य फिर शुरू होते हैं।

🧘🏻‍♀️साधना से कर्म की ओर परिवर्तन

  • चातुर्मास आत्मचिंतन का समय होता है, अब कर्म और सक्रियता का काल शुरू होता है।

  • लोग नई ऊर्जा और उत्साह के साथ कार्यों में जुट जाते हैं।

🎉त्योहारों और मेलों का आगाज़

  • दीपावली, देव दिवाली, कार्तिक पूर्णिमा जैसे बड़े त्योहार मनाए जाते हैं।

  • मेलों, धार्मिक यात्राओं और सामाजिक आयोजनों में लोगों की भागीदारी बढ़ती है।

मानसिक और आध्यात्मिक नवीकरण

  • चार महीने की साधना के बाद मन और शरीर दोनों ताजगी महसूस करते हैं।

  • संयम से प्राप्त संतुलन आगे के जीवन में सकारात्मकता लाता है।

ये खबर भी पढ़ें...

4 या 5 नवंबर कब है Guru Nanak Jayanti 2025, जानें गुरु नानक देव जी के जीवन का इतिहास

Som Pradosh Vrat 2025 क्यों है इतना खास, इस शुभ दिन ऐसे करें शिव पूजा, चंद्र दोष से मिलेगी मुक्ति

साल 2026 शादियों के लिए होगा सुपर शुभ, मिलेंगे पूरे 81 मुहूर्त, जानें 2026 में कब से बजेंगी शहनाइयां

कैसे हुई काल के काल बाबा महाकाल की उत्पत्ति? पढ़ें महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की अद्भुत कहानी

dharm news today Hindu News Latest Religious News धार्मिक अपडेट धर्म चातुर्मास विश्राम चातुर्मास
Advertisment