क्यों छठ महापर्व में संतान की देवी को धन की देवी से भी बड़ा माना जाता है? जानें इस पवित्र पर्व की अनसुनी कहानी

छठी मैया को मां लक्ष्मी से भी बड़ा दर्जा दिया गया है। वे संतान और स्वास्थ्य की देवी हैं, जो जीवन के उत्थान की साक्षी हैं। यह पर्व सूर्य उपासना और कठोर तपस्या का प्रतीक है।

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Kaushiki
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Latest Religious News: छठ पूजा सिर्फ बिहार का ही नहीं, बल्कि अब पूरी दुनिया में फैल चुका एक ऐसा महापर्व है जो अपनी सादगी, पवित्रता और कठोरता के लिए जाना जाता है। इस पर्व को भले ही सूर्य देव की उपासना से जोड़ा जाता है, लेकिन असल में यह उनकी शक्ति स्वरूपा छठी मैया की आराधना है।

लोगों की आस्था में छठी मैया का स्थान इतना ऊंचा है कि कई जगहों पर उन्हें धन की देवी मां लक्ष्मी से भी बड़ा दर्जा दिया जाता है। यह कोई अंधविश्वास नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा और सच्चा धार्मिक कारण छिपा है।

छठी मैया कौन हैं? जानें संतान की रक्षा करने वाली देवी और उनका महत्व - Jagat  Kranti News

छठी मैया को मां लक्ष्मी से बड़ा क्यों माना जाता है?

भारतीय संस्कृति में संतान और स्वास्थ्य को हमेशा धन-संपत्ति से ऊपर रखा गया है। यही कारण है कि छठी मैया को इतना विशेष महत्व दिया जाता है:

  • संतान और स्वास्थ्य की देवी: 

    धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, छठी मैया को संतान और दीर्घायु का आशीर्वाद देने वाली देवी माना जाता है। एक माता-पिता के लिए उनकी संतान का कल्याण, उनका उत्थान और उनका स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी दौलत होती है। जब तक संतान सुख और अच्छा स्वास्थ्य नहीं है, तब तक भौतिक धन का कोई मोल नहीं रहता। इसीलिए, जो देवी संतान की रक्षा करती हैं और परिवार को जीवनदान देती हैं, वे उस देवी से बड़ी मानी जाती हैं जो केवल धन-संपत्ति देती हैं।

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  • जीवन के उत्थान की साक्षी: 

    छठी मैया को सूर्य देव की बहन या प्रकृति के छठे अंश के रूप में भी जाना जाता है। वे सृष्टि की संरक्षिका हैं और जीवन की रचना से जुड़ी हैं। वे जीवन के उत्थान और पतन, दोनों की साक्षी हैं। उनका सीधा संबंध जीवन की मूलभूत जरूरतों और अस्तित्व से है, जो धन से कहीं अधिक जरूरी हैं।

  • मातृत्व का सर्वोच्च स्थान: 

    छठ पूजा दरअसल मातृत्व सूर्य उपासना और कठोर तपस्या का अद्भुत संगम है। इस पर्व में एक मां अपनी संतान और परिवार के कल्याण के लिए 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती है। यह कठोर तप और समर्पण ही छठ की शक्ति को अद्वितीय बनाता है, जिसके सामने भौतिक धन का महत्व कम हो जाता है।

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छठ पूजा का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, छठी मैया को प्रकृति का छठा अंश या ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। उन्हें 'षष्ठी देवी' भी कहा जाता है। वे संसार को जीवन देने वाली और उसकी रक्षा करने वाली देवी हैं।

पुराणों में इनका उल्लेख 'देवसेना' के रूप में भी है, जो सृष्टि की संरक्षिका हैं। ये जीवन की रचना और उसकी पवित्रता को बनाए रखती हैं। चूंकि छठी मैया प्रकृति से जुड़ी हैं, इसलिए छठ पर्व में शुद्धता, सात्विकता और पर्यावरण के प्रति कृतज्ञता का भाव सर्वोपरि होता है।

इस तरह, छठ महापर्व सिर्फ सूर्य आराधना नहीं है, बल्कि प्रकृति, मातृत्व और जीवन के प्रति आभार व्यक्त करने का एक महान पर्व है। व्रती की कठोर तपस्या के बल पर मैया हर परिवार को स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu Newsdharm news today

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