छठ पर्व पर नाक से मांग तक सिंदूर क्यों लगाती हैं व्रती महिलाएं? महाभारत काल से जुड़ी है परंपरा

छठ पूजा में नाक से मांग तक सिंदूर लगाना पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन का प्रतीक है। यह परंपरा वीरता, प्रेम, और इज्जत से जुड़ी पौराणिक कथाओं से अपना महत्व पाती है।

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Kaushiki
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Latest Religious News: छठ पूजा में जब व्रती महिलाएं नदी के घाट पर खड़ी होती हैं, तो एक दृश्य सबसे अधिक ध्यान खींचता है। वह है उनका नाक से लेकर मांग तक भरा हुआ सिंदूर। यह केवल श्रृंगार नहीं है बल्कि, सुहाग और आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है।

हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर लगाना जरूरी माना जाता है। यह उनके विवाहित होने की निशानी है। यह माना जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और खुशहाल दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, नारंगी रंग का सिंदूर भगवान सूर्य की लालिमा का प्रतीक माना जता है जो हमेशा चमकता रहता है।

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छठ पूजा में क्‍यों लगाते हैं नाक से मांग तक सिंदूर, जानें क्‍या है महत्‍व

क्यों लगाया जाता है नाक से मांग तक सिंदूर

इस परंपरा के पीछे दो प्रमुख पौराणिक कथाएं और स्थानीय मान्यताएं प्रचलित हैं:

वीरवान और धीरमति की शौर्य गाथा

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में वीरवान नाम का एक युवक रहता था, जो एक बहादुर शिकारी था। गांव के बाहर एक युवती रहती थी, जिसका नाम धीरमति था। एक बार जब जंगली पशुओं ने धीरमति को घेर लिया, तो वीरवान ने अपनी वीरता से उसके प्राण बचाए। इस घटना के बाद दोनों एक दूसरे के साथ रहने लगे।

एक दिन जब वे शिकार पर गए, तो वीरवान को कालू नाम के एक दुश्मन ने घायल कर दिया। धीरमति ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए कालू को मार डाला। वीरवान को अपनी पत्नी की बहादुरी पर बहुत गर्व महसूस हुआ।

उसने अपने खून से सने हाथ को प्यार से धीरमति के सिर पर रखा। खून में रंगा हुआ वह हाथ धीरमति की मांग और माथे तक लग गया। इस घटना के बाद, इस लंबे सिंदूर को प्रेम, शौर्य, वीरता और इज्जत, जो कि नाक से जुड़ी है, का प्रतीक माना जाने लगा। यह दिखाता है कि पत्नी न केवल सुहाग के लिए, बल्कि अपने पति की रक्षा के लिए भी वीर हो सकती है।

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महाभारत काल से जुड़ी कथा

एक दूसरी पौराणिक कथा (छठ पूजा का महत्व) महाभारत काल से जुड़ी है, जो द्रौपदी से संबंधित है। कथा के मुताबिक, जब दुःशासन द्रौपदी के कक्ष में उन्हें जबरन खींचने पहुंचा, तब उन्होंने सिंदूर नहीं लगाया था।

जब दुःशासन ने उनके बाल खींचे, तो द्रौपदी बिना सिंदूर लगाए पतियों के सामने नहीं जाना चाहती थीं। उन्होंने जल्दी में सिंदूर दानी ही अपने सिर पर पलट ली। इससे सिंदूर गलती से उनकी नाक तक लग गया।

वस्त्र हरण की घटना के बाद, द्रौपदी ने बाल खुले रखे और यह संकल्प लिया। इसी घटना को याद करते हुए, सुहाग के इस अखंड रूप को बनाए रखने के लिए विवाहित महिलाएं नाक से मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं।

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सुखी दांपत्य और आस्था का बंधन

स्थानीय परंपराओं और छठ महापर्व की कठोर आस्था के मुताबिक, नाक से मांग तक सिंदूर लगाने का सीधा संबंध पति की दीर्घायु और सुखी दांपत्य जीवन से है।

यह माना जाता है कि मांग में सिंदूर जितना लंबा होगा, पति की उम्र भी उसी तरह लंबी होती है। यह परंपरा पति-पत्नी के बीच प्रेम, सम्मान और सुरक्षा के अटूट बंधन को दर्शाती है, जिसे छठी मैया और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News

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