विवाह के समय ध्रुव तारा देखना क्यों शुभ माना जाता है, जानें इसका धार्मिक महत्व

ध्रुव तारा दिखाने की रस्म हिंदू विवाह में स्थिरता और प्रेम के प्रतीक के रूप में मानी जाती है। यह रस्म विवाह के बाद वर और वधू के रिश्ते को मजबूत और स्थिर बनाने का कार्य करती है।

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Kaushiki
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ध्रुव तारा के दर्शन
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हिंदू विवाह में कई महत्वपूर्ण रस्में होती हैं, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। एक ऐसी विशेष रस्म जो सभी हिंदू शादियों में होती है, वह है ध्रुव तारा दिखाना।

यह रस्म विवाह के पवित्र बंधन की मजबूती का प्रतीक मानी जाती है, जो वर और वधू के बीच स्थिरता और प्रेम के मजबूत संबंध की कामना करती है। इस रस्म को शादी के सात फेरे पूरे होने के बाद किया जाता है, जब विवाह आधिकारिक रूप से संपन्न हो जाता है।

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ध्रुव तारा का धार्मिक महत्व

ध्रुव तारा, जिसे उत्तर सितारा भी कहा जाता है, का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। यह तारा स्थिरता और दिशा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। शादी में ध्रुव तारा दिखाने की रस्म से यह संदेश जाता है कि जैसे यह तारा आकाश में स्थिर रहता है, वैसे ही वर और वधू के रिश्ते में भी स्थिरता और प्रेम बना रहे।

इसे जीवन की दिशा और संतुलन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह विश्वास है कि इस तारे के दर्शन से जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता आती है।

उत्तर तारा का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, ध्रुव तारा को 'पोल स्टार' और 'उत्तर तारा' कहा जाता है, जो हमेशा उत्तर दिशा में स्थित रहता है। यह तारा दिशाओं का मार्गदर्शन करता है और इसका उपयोग प्राचीन काल में दिशाओं का पता लगाने के लिए किया जाता था।

इसी तरह, विवाह में ध्रुव तारा दिखाना यह संकेत देता है कि जैसे तारा स्थिर और दिशा दिखाने वाला है, वैसे ही शादी के बंधन में स्थिरता और मार्गदर्शन रहे। यह संबंधों में दृढ़ता और विश्वास का प्रतीक बनता है।

उत्तर तारा और ऋषि ध्रुव की कथा

उत्तर तारा का नाम ऋषि ध्रुव से लिया गया है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ऋषि ध्रुव का जीवन भगवान विष्णु की कृपा से चमका था। उनकी तपस्या और धैर्य के कारण ही उन्हें आकाश में सबसे स्थिर स्थान प्राप्त हुआ, जिसे ध्रुव तारा कहा जाता है।

यह तारा आकाश में स्थिर और उज्जवल रहता है, जिससे यह प्रतीक बन गया कि जैसे ध्रुव तारा स्थिर रहता है, वैसे ही वर और वधू के संबंध भी स्थिर और मजबूत रहें। इस तारे को शादी के दौरान देखना एक शुभ संकेत माना जाता है।

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उत्तर तारा दिखाने की रस्म का महत्व

ध्रुव तारा दिखाने की रस्म विवाह के समय बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह रस्म वर और वधू के बीच संबंधों को स्थिर और मजबूत बनाने के उद्देश्य से की जाती है। इसे विवाह के सात फेरे पूरे होने के बाद किया जाता है।

जब वर और वधू ध्रुव तारा देखते हैं, तो यह उनके रिश्ते के स्थायित्व और प्रेम को मजबूत करता है। इसके माध्यम से यह कामना की जाती है कि उनका रिश्ता जीवनभर स्थिर और मधुर बना रहे।

उत्तर तारा के दर्शन से क्या लाभ होता है

उत्तर तारा के दर्शन से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह तारा न केवल आकाश में स्थिर रहता है, बल्कि यह संबंधों में भी स्थिरता और प्रेम का प्रतीक है।

शादी के समय ध्रुव तारा के दर्शन से वर और वधू दोनों को अपने जीवन में खुशियों और सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह तारा उनके विवाह जीवन को अक्षय और स्थिर बनाने का कार्य करता है।

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