गुप्त नवरात्रि : कन्याओं को दें शिक्षा से जुड़ी चीजें, मिलेगा आशीर्वाद

गुप्त नवरात्रि में देवी पूजा और सुहाग सामग्री का दान श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर देवी की पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ता है।

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Kaushiki
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इस समय माघ मास की गुप्त नवरात्रि चल रही है, जो 5 फरवरी को अष्टमी और 6 फरवरी को नवमी तिथि तक मनाई जाएगी। यह समय देवी पूजा का खास अवसर होता है, खासकर उन भक्तों के लिए जो शुरुआती सात दिन देवी की पूजा नहीं कर पाए थे। मान्यता है कि, यदि अष्टमी और नवमी तिथि पर देवी पूजा की जाए, तो पूरी नवरात्रि के पूजा-पाठ का पुण्य प्राप्त हो सकता है। गुप्त नवरात्रि की पूजा विशेष रूप से ध्यान और साधना की होती है और इसमें देवी दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है।

देवी पूजा में सुहाग सामग्री का महत्व

गुप्त नवरात्रि की पूजा में एक विशेष परंपरा है, जिसमें देवी को सुहाग सामग्री अर्पित की जाती है। यह सामग्री जैसे लाल चुनरी, कुमकुम, सिंदूर, चूड़ियां, आभूषण, बिंदिया आदि पूजन सामग्री में शामिल होती है। पूजा के बाद इन चीजों का दान सुहागिनों को किया जाता है। मान्यता है कि इससे भक्तों को समृद्धि और सुखमय जीवन मिलता है। इस दिन श्रद्धालु देवी को चढ़ाई गई इन सामग्रियों को विशेष रूप से शुभ मानते हैं।

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छोटी कन्याओं को दान और भोजन कराना

इस दिन एक और महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है। इसके साथ ही, कन्याओं को पढ़ाई से जुड़ी चीजों जैसे किताबें, पेंसिल, कॉपी, स्कूल बैग, स्कूल ड्रेस आदि दान किए जाते हैं। इस प्रकार के दान से न केवल कन्याओं का सम्मान बढ़ता है, बल्कि इसे पुण्यदायिनी माना जाता है। कई लोग क्षमता के मुताबिक धन, वस्त्र या अन्य दान भी देते हैं। इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होने की मान्यता है।

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पूजा विधि और अनुष्ठान

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस दिन के पूजा विधि में सबसे पहले स्नान करने के बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। गणेश पूजा के बाद देवी दुर्गा की पूजा होती है। देवी दुर्गा के साथ-साथ शिवलिंग की पूजा भी की जाती है। पूजा में पंचामृत, जल, पुष्प, इत्र, सुहाग का सामान और अन्य सामग्री अर्पित करनी चाहिए। पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे "दुं दुर्गायै नमः" और "ऊं नम: शिवाय"। पूजा के बाद, प्रसाद का बांटा जाता है और छोटी कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

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गुप्त नवरात्रि का महत्व

इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह अवसर देवी सती की दस महाविद्याओं की साधना का होता है। यह साधना केवल विशिष्ट साधकों द्वारा की जाती है, जबकि सामान्य और गृहस्थ देवी भक्तों को देवी दुर्गा की सामान्य पूजा करनी चाहिए। इस दौरान श्रद्धालु देवी के विभिन्न रूपों की उपासना करते हैं और शक्ति के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप करते हैं। विशेष रूप से इस समय किए गए व्रत और पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

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गुप्त नवरात्रि और साधना

इस दिन विशेष रूप से साधना और तंत्र-मंत्र के लिए उपयुक्त मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि, इस दौरान किए गए व्रत और पूजा के द्वारा व्यक्ति अपनी इच्छाओं और उद्देश्यों को सिद्ध कर सकता है। गुप्त नवरात्रि के समय की गई साधनाओं को विशेष फलकारी माना जाता है। इसलिए इसे तंत्र-मंत्र और ध्यान साधकों के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। यह समय जीवन में बदलाव और शक्ति प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

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