पितृ-ऋण, देव-ऋण और गुरु-ऋण से मुक्ति पाने का स्थल हैं ऋणमुक्तेश्वर मंदिर

डिंडौरी जिले के मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डिंडौरी-अमरकंटक रोड से 10 किलोमीटर आगे जाने के बाद मुख्य मार्ग से 4 किलोमीटर अंदर जाने पर कुकर्रामठ गांव में इस ऐतिहासिक मंदिर का दर्शन होता है।

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Sandeep Kumar
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डिंडौरी जिले के समनापुर जनपद स्थित ग्राम कुकर्रामठ में स्थित ऋणमुक्तेश्वर मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पूरे जिले में प्रसिद्ध है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। यहां पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने और दर्शन प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

मंदिर का स्थान और पहुंच

यह प्रसिद्ध मंदिर डिंडौरी जिले के मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डिंडौरी-अमरकंटक रोड से 10 किलोमीटर आगे जाने के बाद मुख्य मार्ग से 4 किलोमीटर अंदर जाने पर कुकर्रामठ गांव में इस ऐतिहासिक मंदिर का दर्शन होता है। इस स्थान तक पहुंचने के लिए थोड़ी कठिनाई हो सकती है, लेकिन यहां आने वाले भक्तों का आस्था और श्रद्धा उन्हें इस स्थान तक पहुंचाने में मदद करती है।

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ऋणमुक्तेश्वर मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

ऋणमुक्तेश्वर मंदिर का निर्माण लगभग 1000 ईस्वी के आसपास माना जाता है, हालांकि कुछ लोग इसे 8वीं सदी का भी मानते हैं। यह मंदिर कल्चुरी कालीन माना जाता है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, पहले यहां छह मंदिरों का समूह था, लेकिन समय के साथ अन्य मंदिर खंडहर हो गए हैं और अब सिर्फ एक मंदिर बाकी बचा है। यह मंदिर एक विशाल चबूतरे पर स्थित है और इसके बीच में विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसे श्रद्धालु पूजा करते हैं।

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मंदिर की संरचना और नंदी की मूर्ति

ऋणमुक्तेश्वर मंदिर की संरचना बेहद खास है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने नंदी की मूर्ति स्थापित है। यह शिव के वाहन नंदी की प्रतीक मानी जाती है। मंदिर में तीन और प्रकोष्ठ बने हैं, जिनमें संभवतः कभी अन्य मूर्तियां स्थापित की गई थीं। वर्तमान में इनमें से अधिकांश मूर्तियों का क्षरण हो चुका है, लेकिन कुछ मूर्तियां आज भी सुरक्षित हैं और भक्तों की पूजा का केंद्र बनी हुई हैं।

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धार्मिक अवसरों पर भक्तों की भीड़

इस मंदिर का विशेष महत्व पवित्र श्रावण मास, महाशिवरात्रि, नागपंचमी जैसे प्रमुख धार्मिक त्योहारों के दौरान देखने को मिलता है। इन अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है, जो भगवान शिव की पूजा करके पितृ-ऋण, देव-ऋण और गुरु-ऋण से मुक्ति पाने की कामना करते हैं। यहां की धार्मिक वातावरण और दिव्यता भक्तों को आकर्षित करती है, और वे यहां अपनी आस्थाओं को लेकर आते हैं।

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मंदिर की प्राचीनता और मड़ई

ऋणमुक्तेश्वर मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में प्रसिद्ध है। यहां प्रत्येक वर्ष जिले की सबसे प्राचीन मड़ई भी लगती है, जो इस स्थान के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी बढ़ाती है। यह मड़ई श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षक स्थल बन चुकी है, जहां लोग धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनते हैं। कुकर्रामठ स्थित ऋणमुक्तेश्वर मंदिर डिंडौरी जिले का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए भी एक आस्था का केंद्र है। यह प्राचीन मंदिर अपनी दिव्यता, इतिहास और धार्मिक महत्व के कारण हमेशा श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र बना रहेगा।

 

FAQ

ऋणमुक्तेश्वर मंदिर कहां स्थित है?
यह मंदिर डिंडौरी जिले के समनापुर जनपद के कुकर्रामठ गांव में स्थित है।
इस मंदिर का प्रमुख त्योहार कौन सा है?
महाशिवरात्रि, श्रावण मास और नागपंचमी जैसे त्योहारों पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
ऋणमुक्तेश्वर मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
इस मंदिर का निर्माण लगभग 1000 ईस्वी के आसपास माना जाता है, जबकि कुछ लोग इसे 8वीं सदी का मानते हैं।
मंदिर की संरचना कैसी है?
मंदिर एक विशाल चबूतरे पर स्थित है और इसके बीच में शिवलिंग है। इसके मुख्य द्वार के सामने नंदी की मूर्ति स्थापित है।
ऋणमुक्तेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां पूजा करने से पितृ-ऋण, देव-ऋण और गुरु-ऋण से मुक्ति मिलती है।

 

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