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गुरु पूर्णिमा के मौके पर हम गुरु की महिमा का गायन करते हैं और इस दिन विशेष रूप से गुरु के योगदान को याद करते हैं।
गुरु का महत्व जीवन में अत्यधिक होता है क्योंकि गुरु ही हमें सही मार्ग दिखाते हैं और अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाते हैं।
हिन्दू धर्म में कई महान संतों और भक्तों ने अपने जीवन में गुरु के महत्व को पहचाना और उसे स्वीकार किया। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।
तो ऐसे में आइए इस मौके पर हम आपको ऐसे ही एक महान भक्त के बारे में बताएंगे। वो महान भक्त थे तुलसीदास जी जिन्होंने हनुमान जी को अपना गुरु माना और उनके बारे में हनुमान चालीसा में अद्भुत भक्ति भाव से लिखा।
तुलसीदास हनुमान जी का संबंध
हम जानते हैं कि तुलसीदास जी एक महान भक्त थे जिन्होंने रामचरितमानस का रचनात्मक कार्य किया। उनके जीवन में भी गुरु का विशेष स्थान था। तुलसीदास जी ने हनुमान जी को अपना गुरु मानते हुए उन्हें गुरु की महिमा का वर्णन किया।
मान्यता है कि जब तुलसीदास जी रामचरितमानस लिखने के बाद चित्रकूट गए थे, तब उन्होंने रामघाट पर चंदन घिसते हुए भगवान राम के दर्शन करने की प्रार्थना की।
उन्होंने हनुमान जी को गुरु मानकर हमें यह संदेश दिया कि गुरु केवल किसी इंसान के रूप में नहीं होते, बल्कि भगवान के रूप में भी वे हमारे जीवन को सही दिशा दे सकते हैं।
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चित्रकूट की घटना
पौराणिक कथा के मुताबिक तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना के बाद एक बार चित्रकूट जाने का निश्चय किया, जो भगवान राम का प्रिय स्थान था। वहां पहुंचने पर तुलसीदास जी रामघाट पर बैठे और भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हुए चंदन घिस रहे थे। इस दौरान दो छोटे लड़के उनके पास आए और उनसे चंदन लगाने की मांग की।
तुलसीदास जी ने उन लड़कों को दूर भगा दिया, यह सोचते हुए कि वे उन्हें परेशान कर रहे हैं और कह दिया कि "यहां और भी पंडित हैं, उनसे तिलक ले लो।" लेकिन तब हनुमान जी ने तोते के रूप में प्रकट होते हुए उन्हें यह चौपाई सुनाई: "चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसैं, तिलक देत रघुवीर।"
तब तुलसीदास जी को समझ में आया कि ये लड़के कोई और नहीं, बल्कि भगवान राम और लक्ष्मण हैं। इस चौपाई को सुनकर तुलसीदास जी ने तुरंत उन लड़कों के चरणों में श्रद्धा के साथ गिरकर उन्हें पहचाना।
इसके बाद, हनुमान जी ने अपने असली रूप में तुलसीदास जी को दर्शन दिए और उनसे कहा कि वे उनका गुरु बनकर उनके जीवन को सही मार्ग दिखा सकते हैं। यही कारण था कि तुलसीदास जी ने हनुमान जी को गुरु माना और हमेशा उनके आशीर्वाद के साथ अपना जीवन चलाया।
हनुमान चालीसा में गुरु की महिमा
तुलसीदास जी ने अपनी भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हनुमान चालीसा में भी डाला। इस चालीसा के पहले दोहे में, उन्होंने हनुमान जी को गुरु के रूप में स्वीकार करते हुए लिखा:
"श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।"
इसका अर्थ है कि तुलसीदास जी ने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके भगवान राम के निर्मल यश का गुणगान किया। यहां तुलसीदास जी ने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त किया। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि गुरु ही हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चार प्रमुख फल प्रदान करते हैं।
"बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल, बुधि, बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।"
इसका अर्थ है कि तुलसीदास जी हनुमान जी से शारीरिक बल, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने सभी दुखों और दोषों का नाश चाहते हैं, क्योंकि वह जानते थे कि केवल हनुमान जी ही उन्हें इन कठिनाइयों से बाहर निकाल सकते हैं।
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हनुमान चालीसा और गुरु की कृपा
हनुमान चालीसा की एक और चौपाई में भी तुलसीदास जी ने गुरु की कृपा को महत्व दिया:
"जय जय जय हनुमान गोसाईं,
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।"
इसका अर्थ है कि तुलसीदास जी हनुमान जी से गुरु की तरह कृपा की प्रार्थना करते हैं। वह यह मानते हैं कि जो व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करेगा, वह सभी बंधनों से मुक्त हो जाएगा और उसे परमानंद मिलेगा। उन्होंने कहा है कि जैसे गुरु अपने शिष्य पर कृपा करते हैं, वैसे ही हनुमान जी उनकी मदद करें और उन्हें आशीर्वाद दें।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यह हम सभी को याद दिलाने का दिन है कि गुरु के बिना ज्ञान और सही मार्गदर्शन प्राप्त करना असंभव है। तुलसीदास जी ने हनुमान जी को गुरु मानकर हमें यह संदेश दिया कि गुरु केवल किसी इंसान के रूप में नहीं होते, बल्कि भगवान के रूप में भी वे हमारे जीवन को सही दिशा दे सकते हैं।
हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए हमें यह सिखाया कि गुरु की कृपा से ही हम जीवन के सारे कष्टों से मुक्त हो सकते हैं। इस गुरु पूर्णिमा पर हमें अपने गुरु का आभार व्यक्त करना चाहिए और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को एक नया दिशा देनी चाहिए।
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