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शालिग्राम पूजा हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। ये देखने में एक काले रंग का चिकना पत्थर लगता है लेकिन धार्मिक शास्त्रों में इसे भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। यह विशेष रूप से गण्डकी नदी में होता है।
वैष्णव समुदाए में शालिग्राम की पूजा को बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ नियमित रूप से पूजा जाता है। ये मुख्य रूप से नेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। इसके पूजा से घर में सुख-शांति, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के मुताबिक 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। ऐसे में इस दिन शालिग्राम की पूजा का बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से करने से भक्तों के पाप समाप्त होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानें शालिग्राम जी की पूजा विधि...
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शालिग्राम क्या होता है
शालिग्राम एक काले रंग का गोल पत्थर है, जो विशेष रूप से गंडकी नदी के किनारे मिलता है। इसे भगवान विष्णु का रूप माना जाता है और यह हिंदू धर्म में बहुत पवित्र होता है।
शालिग्राम का आकार अक्सर हेलिक्स शेप (घुमावदार आकार) में होता है। शास्त्रों में शालिग्राम को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है और इसे बहुत सम्मान और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है।
शालिग्राम पूजा का महत्व
शालिग्राम पूजा का हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व है। इसे खासकर देवशयनी एकादशी के दिन पूजा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस दिन शालिग्राम की पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
साथ ही, इस पूजा से घर में सुख-शांति, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। शालिग्राम की पूजा करने से पाप समाप्त होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
शालिग्राम पूजा की विधि
शालिग्राम पूजा करते वक्त कुछ खास विधियों का पालन करना चाहिए:
- स्नान और शुद्धता
पूजा से पहले स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहनें। यह पूजा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए जरूरी है। - शालिग्राम की स्थापना
शालिग्राम को एक साफ चांदी या मिट्टी के पात्र में रखें। फिर इसे पवित्र जल से धोकर गंगाजल से अभिषेक करें। - मंत्रों का जाप
शालिग्राम की पूजा में भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप किया जाता है। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" और "ॐ श्री महाविष्णु" जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए। - पुष्प अर्पण और दीपक जलाना
शालिग्राम के पास पुष्प अर्पित करें और दीपक जलाएं। दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में खुशहाली आती है। - नैवेद्य अर्पण
पूजा के दौरान शालिग्राम को दूध, घी, शहद, फल आदि का नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद शालिग्राम की अर्चना करें और पूजा समाप्त करें। - आरती और श्रद्धा
पूजा के अंत में आरती गाएं और शालिग्राम को श्रद्धा और भक्ति से सम्मानित करें। आप भगवान के नाम का जाप भी कर सकते हैं। - अन्न दान
पूजा के बाद, किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न या वस्त्र दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
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देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी वह दिन है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह दिन शालिग्राम पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
शास्त्रों के मुताबिक, देवशयनी एकादशी के दिन शालिग्राम पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। इस दिन शालिग्राम की पूजा से घर में धन, सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।
भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलने से जीवन में सफलता और खुशहाली आती है। इसलिए, इस दिन शालिग्राम की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
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