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हनुमान चालीसा का पाठ न सिर्फ धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी फायदेमंद माना जाता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता अड़ातिया के शोध के मुताबिक, इसका नियमित जाप करने से मानसिक तनाव, डर और कई बीमारियों से राहत मिलती है। वैज्ञानिक रूप से इसे एक प्रकार की यौगिक ब्रीदिंग (yogic breathing) भी कहा जाता है, जिससे दिल और दिमाग की सेहत में सुधार होता है। शोध में पाया गया कि, इसका उच्चारण करने से हमारे शरीर की कार्यप्रणाली संतुलित होती है और हार्ट रेट में सकारात्मक बदलाव आता है।
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हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे
जब हम इसे पढ़ते हैं, तो सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया नियंत्रित होती है, जिससे मस्तिष्क शांत होता है और एंग्जायटी कम होती है। ये ध्यान (मेडिटेशन) की तरह काम करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा, इसे सुनने से भी मन को सुकून मिलता है। इसे धीरे-धीरे पढ़ने से ज्यादा फायदा होता है, क्योंकि इससे ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि हनुमान चालीसा पढ़ने के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक फायदे क्या हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Approach)
हनुमान चालीसा सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि यौगिक ब्रीदिंग तकनीक का भी हिस्सा माना जाता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता अड़ातिया के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करता है, तो उसके उच्चारण से सांस लेने की एक विशेष प्रक्रिया विकसित होती है। जैसे:
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"जय हनुमान ज्ञान गुण सागर" बोलने पर सांस अंदर जाती है।
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"जय कपीस तिहु लोक उजागर" पर सांस रुकती है।
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"रामदूत अतुलित बलधामा" बोलने पर सांस बाहर जाती है।
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"अंजनि पुत्र पवनसुत नामा" कहने पर सांस को होल्ड किया जाता है।
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इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक रूप से हार्ट रेट वैरिएबिलिटी (Heart Rate Variability - HRV) से जोड़ा गया है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा संतुलित रहती है, ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है और तनाव में कमी आती है।
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मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
डॉ. श्वेता के मुताबिक, हनुमान चालीसा का नियमित जाप करने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि, ये हमारे लिम्बिक सिस्टम (Limbic System) को प्रभावित करता है, जो हमारी भावनाओं और तनाव को नियंत्रित करता है। जब कोई व्यक्ति इसका पाठ करता है, तो उसका दिमाग शांत रहता है और डोपामिन व सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इससे तनाव, डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करता है
डॉ. श्वेता के मुताबिक, इसका जाप वेगस नर्व (Vagus Nerve) को सक्रिय करता है, जिससे शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों में सुधार होता है। वेगस नर्व हृदय गति, पाचन तंत्र और इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करता है। जब यह नर्व सक्रिय होती है, तो पाचन बेहतर होता है, शरीर में सूजन कम होती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है। इसके अलावा, इसके जाप से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
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पढ़ने और सुनने के फायदे
डॉ. श्वेता अड़ातिया के मुताबिक, हनुमान चालीसा का पाठ करने और सुनने दोनों के फायदे होते हैं-
अगर कोई व्यक्ति इसे ध्यान लगाकर पढ़ता है, तो उसकी हार्ट रेट वैरिएबिलिटी में सकारात्मक बदलाव आता है।
इसे सुनने से भी मानसिक शांति मिलती है और अनिद्रा की समस्या कम होती है।
जो लोग नियमित रूप से इसे सुनते या गाते हैं, उनके दिमाग में सकारात्मक तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिससे एकाग्रता और मेमोरी पावर बढ़ती है।
रोग प्रतिरोधक (disease resistant) क्षमता में सुधार
शोध में ये भी पाया गया है कि इसका जाप करने से आयु बढ़ती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से, यह एक दीर्घायु बढ़ाने वाली यौगिक तकनीक मानी जा सकती है, क्योंकि इससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है, कोशिकाएं पुनर्जीवित होती हैं और मेटाबोलिज्म बेहतर होता है। डॉ. श्वेता ने अपने शोध में यह निष्कर्ष निकाला कि जो लोग नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, उनकी उम्र लंबी होती है और वे शारीरिक व मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ रहते हैं।
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