सनातन धर्म की पवित्र धर्म ग्रंथ रामचरित मानस के लेखक गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas ) द्वारा रचित हनुमान चालीसा सबसे सरल और शक्तिशाली स्तुति है। इसकी हर चौपाई अलग अलग रूप से शक्तिशाली और जीवन के लिए हितकारी है। हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa ) में जीवन की हर समस्याओं का समाधान समाहित है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कहते हैं कि इन्हें संभालने की शक्ति भी केवल महाबली हनुमान में ही थी। हनुमानजी के पास आठ प्रकार की सिद्धियां थीं।
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हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां
भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram ) के परम भक्त हनुमान जी को आठ सिद्धियों का वरदान माता जानकी ( सीता ) ने दिया था। इनके प्रभाव से वे किसी भी व्यक्ति का रूप धारण कर सकते थे। अत्यंत सूक्ष्म से लेकर विशाल शरीर धारण कर सकते थे। इतना ही नहीं हनुमान जी जहां चाहे वहां मन की शक्ति से पल-भर में पहुंच सकते थे। हनुमान चालीसा केअलावा ब्रह्मवैवर्त पुराण (Brahmavaivarta Purana ) और मार्कंडेय पुराण ( Markandeya Purana ) में भी अष्ट सिद्धियों का वर्णन किया गया है।
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ये है हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां
1. अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
2. वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।
3. ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमान को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।
4. गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमान स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।
5. लघिमा: इस सिद्धि से हनुमान स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।
6. प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमान किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं।
7. महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।
8. प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी ने पृथ्वी की गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं।
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