हरियाली तीज आज, ऐसे करें मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा, जानें व्रत के 10 जरूरी नियम

आज 27 जुलाई 2025 को हरियाली तीज मनाई जाएगी। सुहागिन महिलाओं के लिए यह पर्व खास है। व्रत का पूरा फल पाने के लिए निर्जला व्रत, हरे वस्त्र और 10 जरूरी नियमों का पालन करें।

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Kaushiki
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Hariyali Teej fast 2025
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सावन के महीने में आने वाले पर्वों में हरियाली तीज का अपना ही एक खास महत्व है। यह पर्व सुहाग का प्रतीक माना जाता है और करवा चौथ की तरह ही विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है।

पंचांग के मुताबिक हरियाली तीज आज 27 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आने वाली यह तीज, माता पार्वती की पूजा और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का विशेष दिन है।

महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं, ताकि वे अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना कर सकें। वहीं, अविवाहित कन्याएं भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।

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सोलह शृंगार की परंपरा

तीज पर हरे वस्त्र धारण करने और सोलह शृंगार करने की परंपरा है, जो प्रकृति और सौभाग्य का प्रतीक है। ऐसे में ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक इस बार तीज के दिन रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है, जिससे इस पर्व की शुभता और भी बढ़ गई है।

शहरों की गलियों से लेकर घरों तक तीज की तैयारियों की रौनक दिखाई दे रही है। महिलाएं मेहंदी, श्रृंगार और हरे रंग की सज-धज में इस पर्व का उल्लासपूर्वक स्वागत कर रही हैं। यह पर्व न केवल आस्था और शक्ति का प्रतीक है, बल्कि स्त्रीत्व और सौंदर्य के सम्मान का उत्सव भी है।

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तिथि और शुभ मुहूर्त

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हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि शनिवार रात से शुरू होकर रविवार रात तक रहेगी।

  • उदया तिथि के मुताबिक व्रत 27 जुलाई 2025, रविवार को रखा जाएगा।
  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 26 जुलाई 2025, रात 10:41 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त: 27 जुलाई 2025, रात 10:41 बजे
  • व्रत की तिथि: 27 जुलाई 2025 (रविवार)

शुभ मुहूर्त

पंचांग के मुताबिक इस दिन पूजा और व्रत के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जिनका ध्यान रखना चाहिए:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:46 से 05:30 बजे तक
  • प्रातः संध्या: सुबह 05:08 से 06:14 बजे तक
  • अमृत काल: दोपहर 01:56 से 03:34 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:55 से 03:48 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:16 से 07:38 बजे तक
  • सायं संध्या: शाम 07:16 से 08:22 बजे तक
  • इन शुभ मुहूर्तों में पूजा-अर्चना और व्रत के नियमों का पालन करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है।

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हरियाली तीज पूजा विधि

  • तीज का पर्व सूर्योदय के साथ ही आरंभ हो जाता है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक रूप से लाल या हरे रंग की साड़ी, चूड़ियां, मेहंदी और सोलह श्रृंगार धारण करती हैं। 
  • पूजा की तैयारियों में सबसे पहले देवी पार्वतीऔर भगवान शिव की प्रतिमा को एक सुंदर और सजे हुए मंच पर स्थापित किया जाता है। 
  • इसके आगे फूल, मिठाई, फल, नारियल आदि का भोग अर्पित किया जाता है।
  • पूजा की शुरुआत दीया जलाने और भक्ति गीतों के साथ की जाती है। 
  • इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं - जिसका अर्थ है कि वे पूरे दिन अन्न या जल ग्रहण नहीं करतीं। 
  • विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
  • तीज के पर्व को पारंपरिक लोक गीतों, नृत्य और रंग-बिरंगे झूलों पर झूलने के साथ उल्लासपूर्वक मनाया जाता है। 
  • शाम को आरती और प्रसाद वितरण के साथ पूजा संपन्न होती है। 
  • यह पर्व न केवल आस्था और शक्ति का प्रतीक है, बल्कि स्त्रीत्व और सौंदर्य के सम्मान का उत्सव भी है।

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व्रत के कुछ जरूरी नियम

तीज का व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है और इसका पूरा फल तभी मिलता है जब इसके नियमों का सही से पालन किया जाए। अगर आप भी तीज का व्रत रखने वाली हैं, तो इन 10 जरूरी नियमों को जरूर जान लें:

  • निर्जला व्रत: तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है। इसका मतलब है कि इस व्रत में व्रतधारी महिला को अन्न और जल दोनों ही ग्रहण नहीं करना चाहिए। यह व्रत उपवास की सबसे कठिन शैलियों में से एक है।
  • हरे रंग का महत्व: इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व है। महिलाओं को हरे रंग की चीजों का उपयोग करना चाहिए, जैसे हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां आदि पहननी चाहिए। हरा रंग प्रकृति, सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
  • सोलह श्रृंगार: तीज के दिन माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं जैसे कुमकुम, सिंदूर, साड़ी, चुनरी, मेहंदी, महावर, बिंदी, चूड़ियां, पायल, मंगलसूत्र आदि अर्पित करनी चाहिए। यह सुहाग और समृद्धि का प्रतीक है।
  • नकारात्मकता से दूर रहें: व्रत में क्रोध, झूठ और किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। मन को शांत और शुद्ध रखना जरूरी है।
  • व्रत कथा का पाठ: तीज पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। व्रत कथा सुनना और पढ़ना इस व्रत का एक अनिवार्य हिस्सा है, क्योंकि यह व्रत के महत्व और लाभों को बताता है।
  • भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान: व्रत के समय भगवान शिव और माता पार्वती का ज्यादा से ज्यादा ध्यान लगाना चाहिए। उनके मंत्रों का जाप करना और उनके स्वरूप का ध्यान करना शुभ माना जाता है।
  • दूसरों की निंदा से बचें: व्रत के समय किसी की बुराई या निंदा करने से बचना चाहिए। मन और वचन दोनों से शुद्धता बनाए रखना जरूरी है।
  • दान का महत्व: व्रत के बाद अपनी इच्छा मुताबिक दान करना चाहिए। दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • दिन में न सोएं: तीज का व्रत करने वाली स्त्रियों को दिन में नहीं सोना चाहिए। पूरे दिन जागकर भगवान का स्मरण और व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।
  • काले रंग से बचें: इस दिन काले रंग की चीजों को धारण करने से बचना चाहिए। काला रंग शुभ नहीं माना जाता और इसे व्रत के समय पहनने से बचना चाहिए।

इन नियमों का पालन करके तीज का व्रत रखने से माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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