अन्नदाताओं को धन्यवाद देने का पर्व है दिवाली, जानें इस पर्व का कृषि चक्र से अटूट संबंध

दीवाली सिर्फ अंधेरे पर रौशनी की जीत या सिर्फ लक्ष्मी जी के स्वागत का त्योहार नहीं है। ये हमारे किसानों के लिए सबसे बड़ा शुक्राने का त्योहार है।

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Kaushiki
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Latest Religious News: हम सब जानते हैं कि दिवाली रोशनी का त्योहार है और इस दिन हम लक्ष्मी जी का स्वागत करते हैं। हमारी परंपरा में हर त्योहार कहीं न कहीं खेती-बाड़ी और प्रकृति से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि भारत असली मायनों में एक खेती प्रधान देश रहा है।

किसानों के नजरिए से देखें तो दिवाली सिर्फ पूजा-पाठ भर नहीं, बल्कि धन्यवाद का दिन भी है। इस समय खरीफ की फसल कट जाती है, तो किसान खुशी मनाते हैं और अन्न देने वाली देवी का शुक्रिया करते हैं। उनके लिए यह मेहनत के फल का जश्न मनाने वाला सबसे बड़ा त्योहार होता है। इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को है, तो चलिए जान लेते हैं कि किसानों के लिए इसका क्या महत्व है…

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लक्ष्मी - विकिपीडिया

खरीफ फसल की कटाई का जश्न

दिवाली का समय आमतौर पर अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में आता है। यह समय भारत के कई हिस्सों में खरीफ फसल जैसे धान/चावल, मक्का, बाजरा, कपास आदि की कटाई का अंतिम दौर होता है।

ऐसे में फसल कटाई के बाद किसानों के घर में नया अनाज आता है। यह उनकी एक साल की मेहनत का फल होता है। दिवाली इसी मेहनत की कमाई और समृद्धि का उत्सव है। इस दिन किसान सबसे पहले अपने घर आए नए अनाज की पूजा करते हैं।

वे इसे अन्न की देवी का आशीर्वाद मानते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। यह एक तरह से प्रकृति को 'शुक्रिया' कहने का उनका तरीका है। व्यापारी वर्ग के लिए यह नया वित्तीय वर्ष शुरू करने का दिन होता है। लेकिन किसानों के लिए यह नई उपज और आय के साथ आगे बढ़ने का प्रतीक है।

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धन और अन्न की देवी- महालक्ष्मी

दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा का विधान इसी कृषि चक्र से जुड़ा हुआ है।

  • लक्ष्मी, धन और अन्न की प्रतीक: 

    लक्ष्मी को केवल पैसे की देवी नहीं माना जाता। वह समृद्धि, अन्न और खुशहाली की भी प्रतीक हैं। जब फसल अच्छी होती है और घर में अनाज आता है, तो इसे लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है।

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  • धान और समृद्धि: 

    दिवाली पर कई जगह चावल (धान) को पूजा में शामिल किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि अन्न ही सबसे बड़ा धन है।

  • गोवर्धन पूजा और प्रकृति का सम्मान: 

    दिवाली के ठीक अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, जिसमें गाय और कृषि से जुड़े उपकरणों की पूजा की जाती है। यह त्योहार सीधे तौर पर किसानों और उनकी आजीविका का सम्मान करता है।

इस तरह किसानों के लिए दिवाली 2025 केवल दीये जलाने का पर्व नहीं है। ये खेत की मिट्टी से घर तक आई हुई खुशहाली की रोशनी और प्रकृति का आभार व्यक्त करने का सबसे बड़ा और सबसे सच्चा मौका है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News

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