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भगवान की अलग-अलग मूर्ति
शास्त्रों के अनुसार Diwali पूजन के लिए मां लक्ष्मी और श्री गणेश जी की मूर्तियां (दिवाली 2025) हमेशा अलग-अलग ही लेनी चाहिए।
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कमल पर विराजित मूर्ति खरीदें
माता लक्ष्मी जी की मूर्ति कमल के आसन पर बैठी हुई हो, ताकि उनकी कृपा मिले। साथ ही, उनके हाथ से धन की वर्षा हो रही हो। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खड़ी हुई मुद्रा को अस्थिरता का प्रतीक माना जाता है।
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गणेश जी की प्रतिमा ऐसी खरीदें
गणेश जी की प्रतिमा में उनकी सूंड बाईं तरफ मुड़ी हुई ही शुभकारी मानी गई है। शास्त्रों में इसे सिद्धिदायक और सौम्य स्वरूप कहा गया है, जिसकी पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
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गणपति का स्वरूप
गणेश जी की मूर्ति में उनके हाथ में मोदक जरूर हो, (भगवान गणेश की कृपा ) यह खुशहाली की निशानी है। इसके साथ ही उनका वाहन मूषक भी मूर्ति में जरूर होना चाहिए।
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शांत और प्रसन्न मुख
भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का मुख शांत और प्रसन्न मुद्रा में होना जरूरी है। यह स्वरूप घर में सकारात्मक ऊर्जा और आनंद लाता है।
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खंडित मूर्ति न हो
मूर्ति खरीदते वक्त ध्यान रखें कि वह कहीं से टूटी-फूटी या खंडित न हो, और उसका रंग भी फीका या उतरा हुआ नहीं होना चाहिए। खंडित मूर्ति की पूजा अशुभ मानी जाती है।
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किस धातु या सामग्री की मूर्ति लें
दिवाली के लिए मिट्टी (टेराकोटा), पीतल, चांदी या अष्टधातु की मूर्ति लेना सबसे उत्तम माना जाता है। प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) या प्लास्टिक की मूर्ति से बचना चाहिए।