संगीत, नृत्य, युद्ध कला... क्या आप जानते हैं श्रीकृष्ण की 64 कलाओं के बारे में? जानें पूरी सूची

भगवान श्रीकृष्ण 64 कलाओं में निपुण थे, जिनमें संगीत, नृत्य, युद्ध कला, ज्योतिष, और कृषि जैसे विषय शामिल थे। इन कलाओं के माध्यम से उन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा और ज्ञान को दर्शाया, जो उन्हें अन्य देवताओं और मानवों से अद्वितीय बनाता है।

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Kaushiki
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कृष्ण जन्माष्टमी: जन्माष्टमी का पावन पर्व जो इस वर्ष 16 अगस्त को मनाया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मथुरा में देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यह पर्व पूरे देश में अत्यंत श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आइए इस कला के बारे में जानें...

यह थीं वह 64 कलाएं जिनके माहिर भगवान श्री कृष्ण - सच की दस्तक

भगवान श्रीकृष्ण की 64 कला

धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण 64 कलाओं में पूर्ण रूप से निपुण थे, चाहे वह संगीत हो, नृत्य हो या युद्ध कला। उनकी इन कलाओं की निपुणता ने उन्हें अन्य देवताओं और मानवों से अलग और अद्वितीय बना दिया।

अद्भुत रूप से उन्होंने ये सभी कलाएं केवल 64 दिनों के भीतर अपने गुरु संदीपनि के मार्गदर्शन में सीखी थीं। यह घटना आज भी उनकी विलक्षण प्रतिभा और सीखने की अद्भुत क्षमता का प्रमाण है। आइए, इस विशेष अवसर पर हम उन 64 कलाओं के बारे में विस्तार से जानें, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को संपूर्ण बनाया।

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यह थीं वह 64 कलाएं जिनके माहिर भगवान श्री कृष्ण - सच की दस्तक

गुरु सांदीपनि के गुरुकुल में श्रीकृष्ण की शिक्षा

श्रीमद्भागवत पुराण (श्रीमद्भागवत गीता) के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा उज्जैन स्थित गुरु सांदीपनि के आश्रम में प्राप्त की। उनके साथ उनके भाई बलराम और प्रिय सखा सुदामा भी विद्याध्ययन के लिए गए थे।

माना जाता है कि यह गुरुकुल विश्व के सबसे प्राचीन गुरुकुलों में से एक था। कहा जाता है कि गुरु सांदीपनि ने श्रीकृष्ण को सिर्फ 64 दिनों में सभी 64 कलाओं का ज्ञान दे दिया था। इसके पीछे एक रोचक कहानी है।

गुरु सांदीपनि ने अपने मृत पुत्र को वापस पाने की इच्छा प्रकट की। श्रीकृष्ण ने यमलोक जाकर गुरुपुत्र को वापस लाकर उन्हें गुरुदक्षिणा दी। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि श्रीकृष्ण सिर्फ एक कुशल छात्र ही नहीं थे, बल्कि एक समर्पित शिष्य भी थे।

उन्होंने न केवल ज्ञान अर्जित किया, बल्कि गुरु के प्रति अपने कर्तव्य को भी निभाया। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें ज्ञान और गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व सिखाता है।

5500 साल पहले उज्‍जैन आए थे श्रीकृष्ण, 64 दिनों में पाया था 64 कलाओं का  ज्ञान - Shri Krishna came to Ujjain 5500 years ago got the knowledge of 64  arts in 64 days

भगवान श्रीकृष्ण की 64 कलाओं की सूची

श्रीमद्भागवत पुराण के दशम स्कंध के 45वें अध्याय में इन 64 कलाओं का उल्लेख मिलता है, जिनमें भगवान श्रीकृष्ण पारंगत थे। इन कलाओं को जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे संगीत, कला, युद्ध, ज्ञान और जीवनशैली से जोड़ा गया है।

  • नृत्य (Dance): नृत्य कला में निपुणता।
  • गायन (Singing): मधुर गायन का ज्ञान।
  • वादन (Playing Instruments): विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजाने की कला।
  • नाट्य (Acting): नाट्य-कला और अभिनय।
  • आलेख्य (Painting): चित्रकारी और कला।
  • विशेषकच्छेद्य (Decoration): माथे पर तिलक और शरीर पर सजावट की कला।
  • तण्डुल-कुसुम-वलि-विकार (Floral Offerings): चावल और फूलों से पूजा के लिए सजावट करना।
  • पुष्पास्तरण (Bed of Flowers): फूलों की सुंदर सेज बनाना।
  • दशन-वसन-रंजन (Coloring): दांत और कपड़ों को रंगना।
  • मणि-भूमिका-कर्म (Jewelery Work): मणियों से फर्श बनाना।
  • शयन-रचना (Bed Arrangement): बिस्तर की सुंदर व्यवस्था करना।
  • उदक-वाद्य (Water Instruments): जल से वाद्य बजाना।
  • उदक-घात (Water Sport): जल क्रीड़ा।

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कौन थे भगवान कृष्ण के गुरु, किससे सीखीं 14 विद्याएं-64 कलाएं? – TV9  Bharatvarsh

  • चित्रा-योग (Magic): इंद्रजाल और जादूगरी।
  • माल्य-ग्रन्थन-विकल्प (Garland Making): मालाएं बनाने की कला।
  • केशापमार्जन (Hair Dressing): बालों की सफाई और सजावट।
  • नेपथ्य-प्रयोग (Cosmetics): वस्त्र और श्रृंगार का ज्ञान।
  • कर्ण-पत्र-भंग (Ear Decorations): कान के लिए आभूषण बनाना।
  • गन्ध-युक्ति (Perfumes): इत्र और सुगंधित वस्तुएं बनाना।
  • भूषण-योजन (Jewelry Arrangement): आभूषण पहनना।
  • इन्द्रजाल (Juggling): जादू की कला।
  • कौचुमार-योग (Healing): जड़ी-बूटियों और दवाइयों का ज्ञान।
  • हस्त-लाघव (Hand Tricks): हाथ की सफाई के काम।
  • पाक-कर्म (Cooking): विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाना।
  • पानक-रस-राग (Beverages): तरह-तरह के पेय पदार्थ बनाना।

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  • सूचि-कर्म (Sewing): सिलाई और कढ़ाई का काम।
  • वीणा-डमरूक-वाद्य (Instrument Playing): वीणा और डमरू जैसे वाद्य यंत्र बजाना।
  • प्रहेलिका (Riddles): पहेलियां बूझना और बनाना।
  • प्रतिमाला (Chanting): मंत्र जाप और छंद बनाना।
  • काव्य-समस्या-पूरण (Poetry): कविता की अधूरी पंक्तियां पूरी करना।
  • छन्दो-ज्ञान (Prosody): सभी छंदों का ज्ञान।
  • क्रिया-कल्प (Rituals): कर्मकांड और अनुष्ठान का ज्ञान।
  • छलितक-योग (Disguise): अलग-अलग वेश धारण करने की कला।
  • पुस्त-वाचन (Reading): पुस्तकों को पढ़ने की कला।
  • कक्षा-रचना (Interior Design): घर को सजाने की कला।
  • नाट्याख्यायिका-दर्शन (Drama): नाटक और कहानियों की रचना करना।
  • अक्षर-मुष्टिका-कथन (Secret Language): सांकेतिक भाषा का प्रयोग।

64 arts of Lord Krishna will also provide employment know what is the plan  of Culture Department ANN | MP News: सांची यूनिवर्सिटी में भगवान कृष्ण की 64  कलाओं को पाठ्यक्रम शामिल

  • देशी-भाषा-ज्ञान (Languages): कई देशों की भाषा का ज्ञान।
  • धातु-वाद (Alchemy): धातुओं को बदलने की कला।
  • चित्र-विचित्र-कल्प (Drawing): अद्भुत चित्रकारी।
  • मनो-विनोद (Entertainment): मनोरंजन करना।
  • अश्व-ज्ञान (Horse Riding): घोड़ों की पहचान और सवारी।
  • गज-ज्ञान (Elephant Training): हाथी को वश में करना।
  • भेड़-कुक्कुट-लावक-युद्ध-विधि (Animal Fighting): जानवरों को लड़ाने की कला।
  • शुक-सारिका-प्रलापन (Bird Training): तोता-मैना जैसे पक्षियों को बोलना सिखाना।
  • सम्पादन-प्रबन्ध (Management): कुशल प्रबंधन की कला।
  • अभिधान-ज्ञान (Lexicography): शब्दकोश का ज्ञान।
  • शकुन-ज्ञान (Omens): शुभ और अशुभ शकुन जानना।
  • भवन-निर्माण (Architecture): भवन निर्माण की कला।
  • काष्ठ-कर्म (Woodwork): बढ़ई का काम।

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16 Kalas of Lord Krishna: भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाओं का रहस्य - 16 kalas  of lord krishna-mobile

  • तर्क-विद्या (Logic): तर्क-वितर्क में निपुणता।
  • ज्योतिष-ज्ञान (Astrology): ज्योतिष का ज्ञान।
  • रत्न-परीक्षा (Gemology): रत्नों की पहचान।
  • रूप-ज्ञान (Beauty): सौंदर्य का ज्ञान।
  • छल-योग (Trickery): छल से काम निकालना।
  • सामुद्रिक-ज्ञान (Palmistry): हस्तरेखा का ज्ञान।
  • कूटनीति (Diplomacy): कूटनीति का ज्ञान।
  • सेना-संचालन (Military Strategy): सेना को संगठित करने की कला।
  • गृह-निर्माण (Home Construction): घर बनाने की कला।
  • संक्षेप-वाचन (Summary): संक्षिप्त में बात कहना।
  • व्याकरण-ज्ञान (Grammar): व्याकरण का गहन ज्ञान।
  • वेताल-ज्ञान (Spirituality): भूतों और प्रेतों को वश में करना।
  • औषधि-ज्ञान (Medicine): औषधियों का ज्ञान।
  • कृषि-ज्ञान (Agriculture): खेती और कृषि की कला।

यह सूची दिखाती है कि भगवान श्रीकृष्ण (भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव) का ज्ञान कितना व्यापक और सर्वांगीण था। वे केवल एक कुशल योद्धा या राजनीतिज्ञ ही नहीं, बल्कि एक कला प्रेमी, विद्वान और कुशल प्रबंधक भी थे।

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