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ज्येष्ठ महीना हिंदू पंचांग का तीसरा महीना होता है, जो 13 मई से शुरू होता है। इस महीने में खासतौर पर व्रत, दान और जल की पूजा का महत्व है। यह समय शुद्धता और धार्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
वहीं, धार्मिक मान्यता के मुताबिक, इस माह में बैंगन का सेवन न करने की सलाह दी जाती है और तिल का दान करने से विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
साथ ही, इस महीने में जल की बर्बादी से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे। आइए जानें इस माह के कुछ महत्वपूर्ण नियम और व्रत...
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जरूरी नियम और व्रत
वृष संक्रांति – 14 मई
हिंदू पंचांग के मुताबिक, वृष संक्रांति हर साल 14 मई को होती है जब सूर्य मेष से वृष राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव की विशेष पूजा करनी चाहिए।
यह दिन ऋतु परिवर्तन का प्रतीक होता है और भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे धार्मिक महत्व दिया जाता है।
गणेश चतुर्थी व्रत – 16 मई
हिंदू पंचांग के मुताबिक, गणेश चतुर्थी व्रत 16 मई को ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी के दिन मनाया जाएगा। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उन्हें मोदक और अन्य पसंदीदा भोग अर्पित करते हैं। यह दिन सिद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
अपरा एकादशी – 23 मई
अपरा एकादशी या अचला एकादशी व्रत 23 मई को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और विशेष अभिषेक किया जाता है। यह व्रत पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
शनि जयंती – 27 मई
हिंदू पंचांग के मुताबिक, शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी, जो ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन होती है। इस दिन लोग शनि देव की पूजा करते हैं और सरसों का तेल दान करते हैं। शनि जयंती पर स्नान और दान का विशेष महत्व है, जो जीवन में सुख और शांति लाने के लिए किया जाता है।
गंगा दशहरा – 5 जून
हिंदू पंचांग के मुताबिक, गंगा दशहरा 5 जून को मनाई जाएगी, जो उस दिन को दर्शाती है जब गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना और दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इसके साथ-साथ गंगा मंत्र का जप भी लाभकारी है।
निर्जला एकादशी – 6 जून
निर्जला एकादशी 6 जून को मनाई जाएगी, जो सालभर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य देने वाली मानी जाती है। इस व्रत में भक्त जल और अन्न का त्याग करते हैं और पूरे दिन पानी भी नहीं पीते। इसे तप के समान माना जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा – 10 जून
ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 जून को है, जो ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि है। इस दिन पूर्णिमा व्रत किया जाता है और साथ ही संत कबीर की जयंती भी मनाई जाती है।
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ज्येष्ठ महीनें के नियम
बैंगन का सेवन न करें
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, बैंगन को ज्येष्ठ माहीनें में खाने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि बैंगन खाने से संतान दोष हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी ज्येष्ठ संतान जीवित हो। आयुर्वेद भी इस महीने में बैंगन खाने को हानिकारक मानता है, क्योंकि यह शरीर में वात रोग और गर्मी बढ़ा सकता है।
जल दान और तिल दान करें
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, ज्येष्ठ महीनें में जल दान और तिल दान करना बहुत फलदायी माना जाता है। विशेष रूप से, भगवान विष्णु के प्रति आस्था को बढ़ाने के लिए तिल का दान किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि यह दान मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और अकाल मृत्यु को भी दूर करता है। जल दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और यह भगवान की विशेष कृपा का कारण बनता है।
दिन में सोने से बचें
ज्येष्ठ माहीनें में दिन में सोना शुभ नहीं माना जाता। एक कहावत भी है, "जो ज्येष्ठ महीनें में दिन में सोए, उसका शरीर हमेशा रोगी रहता है।"
यह मान्यता है कि दिन में सोने से शरीर में नमी और गर्मी का असंतुलन होता है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही, इस माहीनें में धूप में चलने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर में और अधिक गर्मी बढ़ सकती है।
बजरंगबली की पूजा करें
ज्येष्ठ महीनें में हनुमानजी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि, इसी माह में भगवान राम ने हनुमानजी से मिलने के बाद उन्हें आशीर्वाद दिया था।
इस माह में बड़ा मंगल मनाना बहुत फलदायी होता है। यदि आप इस माह में नियमित रूप से हनुमानजी की पूजा करते हैं, तो इससे जीवन में खुशहाली और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
एक समय भोजन करें
महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है, "जो व्यक्ति ज्येष्ठ महीनें में एक समय भोजन करता है, वह धनवान बनता है।" इसलिए, इस महीने में एक समय भोजन करना शुभ माना जाता है। यह शारीरिक और मानसिक रूप से भी व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखता है और उसे धन की कमी नहीं होती।
जल की बर्बादी से बचें
ज्येष्ठ महीनें में जल की बर्बादी से बचना चाहिए। कहा जाता है कि जल की बर्बादी करने से वरुण दोष लगता है, जिससे जीवन में विभिन्न समस्याएं आ सकती हैं। इस माह में जल का दान करना और प्यासे लोगों और पशुओं के लिए जल की व्यवस्था करना पुण्यकारी होता है।
संतुलित दिनचर्या अपनाएं
इस महीनें में संतुलित दिनचर्या और ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। शास्त्रों के मुताबिक, इस महीनें में व्यक्ति को अधिकतर समय ध्यान, तप और धार्मिक कार्यों में बिताना चाहिए, जिससे उसे सुख-समृद्धि और धन लाभ होता है।
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