क्या सच में कार्तिक मास में इन दो पेड़ों की पूजा से कटते हैं पाप? जानें इसका रहस्य

शास्त्रों में बताया गया है कि आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ब्राह्मणों को भोजन कराने और स्वयं भोजन ग्रहण करने से सात जन्मों के पाप कट जाते हैं और अक्षय पुण्य मिलता है।

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Kaushiki
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Kartik Month Worship
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Kartik Month Worship: कार्तिक मास हिन्दू पंचांग का वो महीना है जो धार्मिक कर्मकांडों और पवित्रता के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इस महीने में दीपावली, छठ पूजा और कई अन्य बड़े पर्व आते हैं। इस पूरे माह में नदी स्नान, दीप दान और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

लेकिन इस महीने में एक और महत्वपूर्ण परंपरा है जिसका उल्लेख हमारे पुराणों और ग्रंथों में विस्तार से मिलता है। वह है पवित्र वृक्षों की पूजा और उनके नीचे धर्म-कर्म करना।

इनमें केले का पेड़ और आंवला सबसे प्रमुख हैं। आइए, इस पावन महीने में इन पवित्र वृक्षों के नीचे होने वाली पूजा और विश्राम के गहरे रहस्य को समझते हैं।

केले और आंवले की पूजा

कार्तिक माह में केले और आंवले के वृक्षों की पूजा करना भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का सीधा आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है।

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केले का पेड़ में देवगुरु बृहस्पति का वास

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, केले का पेड़ सीधे देवगुरु बृहस्पति से जुड़ा हुआ माना जाता है। बृहस्पति ज्ञान, धर्म, सुख और सौभाग्य के कारक हैं।

कार्तिक माह में गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करने से गुरु ग्रह मजबूत होते हैं, जिससे व्यक्ति को जीवन में शिक्षा, विवाह और धन की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, केले के पेड़ में भगवान विष्णु स्वयं वास करते हैं।

कार्तिक माह में, खासकर एकादशी और देवउठनी एकादशी के दिन इस वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाने, दीप जलाने और हल्दी लगाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख-संकट दूर करते हैं।

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आंवला वृक्ष में मां लक्ष्मी और शिवा का आशीर्वाद

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, आंवले के पेड़ को भी भगवान विष्णु ने अत्यंत प्रिय माना है। मान्यता है कि इस वृक्ष में समस्त देवी-देवताओं का वास होता है, इसीलिए इसे अक्षय वृक्ष भी कहते हैं।

आंवला न केवल एक धार्मिक वृक्ष है, बल्कि आयुर्वेद में भी इसे उत्तम औषधि माना गया है। इसकी पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

मान्यता के मुताबिक, कार्तिक माह (kartik mahina) में शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी मनाई जाती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे बैठकर भोजन करना अक्षय पुण्य देता है।

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पवित्र वृक्षों के नीचे भोजन या विश्राम का विधान

कार्तिक मास में पवित्र वृक्षों, जैसे पीपल, बरगद, आंवला और केले के पेड़ के नीचे भोजन करने या विश्राम करने की एक विशेष परंपरा है।

वातावरण की शुद्धि

धार्मिक वृक्ष, जैसे पीपल और बरगद, सबसे अधिक ऑक्सीजन देते हैं और पूरे वातावरण को शुद्ध करते हैं। कार्तिक मास में इन वृक्षों के नीचे बैठने से हमें उनकी सकारात्मक और शुद्ध तरंगें मिलती हैं, जिससे हमारा मन शांत और विचार शुद्ध होते हैं। इस शुद्ध वातावरण में किया गया भोजन भी अमृत तुल्य माना जाता है।

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पुण्य की प्राप्ति

शास्त्रों में बताया गया है कि आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ब्राह्मणों को भोजन कराने और स्वयं भोजन ग्रहण करने से सात जन्मों के पाप कट जाते हैं और अक्षय पुण्य मिलता है। 

यह विधान हमें यह सिखाता है कि प्रकृति हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है और हमें वृक्षों का सम्मान और संरक्षण करना चाहिए। वृक्षों की पूजा करना वास्तव में पंच तत्त्वों के प्रति आभार व्यक्त करना है। 

इस प्रकार, कार्तिक मास में केले और आंवले की पूजा और वृक्षों के नीचे भोजन करने का विधान केवल एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि ग्रहों की कृपा, उत्तम स्वास्थ्य और प्रकृति से जुड़ा एक गहरा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य है।

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