महाशिवरात्रि 2025 : 149 साल बाद बन रहा महासंयोग, शनि पीड़ा से बचने के लिए करें ये उपाय

इस बार शिवरात्रि पर 149 साल बाद दुर्लभ ग्रह योग बन रहा है, जिसमें सूर्य, शनि और बुध की युति भक्तों के लिए शुभ फलदायी होगी। माना जा रहा है कि, इस महासंयोग में शिव आराधना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और शनि दोष से मुक्ति मिलेगी...

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Kaushiki
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MAHASHIVRATRI SANYOG
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Mahashivratri 2025 की महाशिवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है, क्योंकि इस बार 149 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक, 26 फरवरी को पड़ने वाली महाशिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि ग्रह कुंभ राशि में एक साथ स्थित रहेंगे, जिससे यह दिन और भी शुभ हो जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि, इससे पहले ऐसा संयोग 1873 में बना था। इस विशेष योग में भगवान शिव की आराधना करने से मनोकामनाओं की पूर्ति और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।

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ग्रहों का महासंयोग

ग्रहों की स्थिति के मुताबिक, इस बार सूर्य, शनि और बुध कुंभ राशि में एक साथ रहेंगे। शनि और सूर्य के पिता-पुत्र संबंध को लेकर ज्योतिष में विशेष महत्व दिया जाता है। कुंभ राशि शनि की अपनी राशि होती है और सूर्य उनके पिता हैं। इस महासंयोग का प्रभाव भक्तों के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। ऐसा योग पिछले 149 सालों में पहली बार बना है, जिससे इस दिन शिव साधना का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

शुक्र और राहु का विशेष योग

महाशिवरात्रि के दिन शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा और उसके साथ राहु भी स्थित रहेगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह एक शुभ योग माना जाता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और आर्थिक उन्नति के योग बनते हैं। शुक्र और राहु का यह संयोग गुरु-शिष्य के रूप में भी देखा जाता है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का द्वार खोल सकता है।

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विशेष ज्योतिषीय प्रभाव

ज्योतिषियों के मुताबिक, इस महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि में चंद्रमा की उपस्थिति जैसे विशेष योग भी बन रहे हैं। इन सभी ग्रह स्थितियों के कारण यह शिवरात्रि विशेष रूप से सिद्धिदायक मानी जा रही है। ऐसी मान्यता है कि इन दुर्लभ संयोगों के बीच भगवान शिव की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

शनि दोष से मुक्ति

ज्योतिषियों के मुताबिक, जो लोग शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में हैं, उनके लिए यह महाशिवरात्रि बेहद शुभ मौका लेकर आया है। इस दिन शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और काले तिल चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा करें। ओम नमः शिवाय का जाप करने से शनि दोषों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, जरूरतमंदों को काले वस्त्र और काले तिल का दान करने से भी शनि ग्रह की पीड़ा कम होती है।

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महाशिवरात्रि पर पूजा का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्याता के मुताबिक,महाशिवरात्रि 2025 पर पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त रात्रि 11:45 बजे से सुबह 12:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शिव चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ मिलेगा। यदि कोई व्यक्ति पूरे रात्रि जागरण करके शिव आराधना करता है, तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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FAQ

इस महाशिवरात्रि पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
पंडितों के मुताबिक, पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त रात 11:45 बजे से सुबह 12:35 बजे तक रहेगा।
इस दिन शनि दोष से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और काले तिल चढ़ाने के साथ ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और जरूरतमंदों को काले वस्त्र दान करें।
शुक्र और राहु का योग क्या प्रभाव डालेगा?
शुक्र और राहु का योग सुख-समृद्धि और आर्थिक लाभ देने वाला माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवन में स्थिरता लाने में सहायक हो सकता है।
क्या महाशिवरात्रि पर जागरण करना लाभकारी होता है?
हां, पूरी रात जागकर भगवान शिव की पूजा करने से भक्त को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और जीवन की सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।

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