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महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव के आराधना का विशेष दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से शिव की उपासना, व्रत और पूजा के लिए समर्पित है, ताकि उनकी कृपा प्राप्त कर जीवन के कठिन हालातों से उबरा जा सके। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष महत्व रखती है।
क्योंकि इस दिन रुद्राभिषेक, शिवलिंग पर जल अर्पित करना और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान से सभी प्रकार की ग्रह बाधाओं और पारिवारिक समस्याओं का समाधान होता है। इस दिन से भगवान शिव के पारिवारिक संबंधों के साथ नवग्रहों के संबंध भी जुड़े होते हैं और यह दिन समग्र शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति का दिन बन सकता है। इस बार ये पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा।
शिव परिवार और नवग्रहों का संबंध
भगवान शिव के परिवार में न केवल वह स्वयं, बल्कि उनके साथ जुड़े सभी देवता, जैसे गणेश, कार्तिकेय, माता पार्वती और नंदी बैल, भी नवग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूरज, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु जैसे ग्रह, भगवान शिव के परिवार में स्थित होते हैं। इसलिए, शिव पूजा के माध्यम से इन सभी ग्रहों की अशुभता को समाप्त किया जा सकता है।
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रुद्राभिषेक से ग्रह दोष का निवारण
शिव पूजा में रुद्राभिषेक का अत्यधिक महत्व है। रुद्राभिषेक, जिसमें जल, दूध, गंगा जल, घी, मधु, पंचामृत और अन्य पवित्र सामग्री का उपयोग किया जाता है, ग्रह दोषों को शांत करने के साथ-साथ पारिवारिक सौहार्द और समरसता को बढ़ाता है। इस दिन यह विशेष रूप से प्रभावी रहता है, जब पूरे परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर पूजा करते हैं। इससे घर में शांति का वातावरण बनता है और सभी ग्रहों का प्रभाव सकारात्मक रूप से प्रकट होता है।
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पंचतत्व और शिव परिवार का गहरा संबंध
भगवान शिव केवल नवग्रहों के ही नहीं, बल्कि पंचतत्वों के भी अधिपति हैं। जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश—इन सभी तत्वों से जुड़े भगवान शिव के विभिन्न रूप हमें जीवन के हर क्षेत्र में ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं। जल तत्व का संबंध गंगा से है, वायु तत्व त्रिशूल और डमरू से, अग्नि तत्व कार्तिकेय के तेजस्वी रूप में प्रकट होता है, पृथ्वी तत्व नंदी बैल के रूप में है, और आकाश तत्व स्वयं महादेव के रूप में विद्यमान है।
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महाकाल की कृपा से भाग्य परिवर्तन
इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे उपयुक्त समय है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा था कि, "तप करे कुमारी तुम्हारी, भावी मेटी सकही त्रिपुरारी," अर्थात यदि कोई व्यक्ति अपना भाग्य बदलने की शक्ति रखता है तो वह केवल महादेव हैं। इस दिन शिव की उपासना से न केवल जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं, बल्कि मनुष्य को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, सुख और शांति मिलती है।
शिव पूजा से परिवार में सुख-शांति का संचार
इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से न केवल ग्रहों के अशुभ प्रभावों का नाश होता है, बल्कि पारिवारिक जीवन में भी सुख-शांति बनी रहती है। शिव पूजा से घर के सभी सदस्य एकजुट होते हैं और रिश्तों में मधुरता आती है। यह दिन विशेष रूप से पारिवारिक समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक बन जाता है। साथ ही, महाकाल की कृपा से सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
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