बसंत पंचमी पर महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा, कृष्ण-बालराम की अराधना

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में बसंत पंचमी के मौके पर बाबा महाकाल का भव्य श्रृंगार होगा और उन्हें पीले रंग के पुष्प अर्पित किए जाएंगे। इस दिन विशेष रूप से पीले पकवानों का भोग अर्पित किया जाएगा।

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Kaushiki
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उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर सोमवार को बसंत पंचमी का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाने के लिए तैयार है। इस विशेष अवसर पर बाबा महाकाल का भव्य श्रृंगार किया जाएगा। मंदिर के पुजारी आशीष शर्मा के मुताबिक, सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को पीले और बसंती रंग के पुष्प अर्पित किए जाएंगे, जो बसंत पंचमी के पर्व का प्रतीक माने जाते हैं।

वहीं, संध्या आरती के दौरान भी बाबा को विशेष श्रृंगार और भोग अर्पित किया जाएगा। महाकालेश्वर मंदिर की परंपरा के मुताबिक, यहां सभी प्रमुख पर्व और त्योहारों की शुरुआत सबसे पहले होती है। इस दिन बाबा महाकाल के भोग में विशेष रूप से पीले पकवानों का वितरण किया जाएगा, जो बसंत ऋतु की शुभता और समृद्धि का प्रतीक होते हैं।

सांदीपनि आश्रम में विशेष आयोजन और विद्यारंभ संस्कार

बसंत पंचमी के पावन मौके पर सांदीपनि आश्रम में भी एक विशेष आयोजन किया जाएगा। आश्रम के मुख्य पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण और बलराम को पीले वस्त्र पहनाए जाएंगे और उन्हें सरसों के पीले फूलों से सजाया जाएगा। इस दिन खासतौर पर भोग में मीठे पीले चावल अर्पित किए जाएंगे।

इसके अलावा, सांदीपनि आश्रम में पहली बार विद्यालय जाने वाले बच्चों का विद्यारंभ संस्कार भी किया जाएगा। इसमें बच्चों को पाटी (स्लेट) पूजन करवाया जाएगा और मां सरस्वती से उन्हें विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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विष्णु मंदिरों में फाग महोत्सव की शुरुआत

वैष्णव मंदिरों में भी बसंत पंचमी का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन से फाग महोत्सव की शुरुआत होती है। मंदिरों में भगवान को गुलाल अर्पित किया जाता है और उनके साथ भक्तजन रंगों के इस उत्सव को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। कुछ वैष्णव मंदिरों में इस उत्सव का आयोजन रविवार को ही कर लिया गया है।

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बसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी का पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व रखता है। यह पर्व मुख्य रूप से ज्ञान की देवी मां सरस्वती के पूजन के रूप में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष संबंध शिक्षा, कला और साहित्य से होता है। साथ ही, यह पर्व ऋतु परिवर्तन के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे प्रकृति में नवजीवन का संचार होता है।

उज्जैन में बसंत पंचमी के आयोजन से न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाया जाता है, बल्कि यह पर्व समाज में सकारात्मक ऊर्जा और हर्ष का संचार भी करता है।

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FAQ

बसंत पंचमी कब मनाई जाएगी?
बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
महाकालेश्वर मंदिर में किस प्रकार के आयोजन होंगे?
महाकालेश्वर मंदिर में विशेष श्रृंगार, भस्म आरती और पीले पकवानों का भोग अर्पित किया जाएगा।
सांदीपनि आश्रम में कौन सा विशेष आयोजन होगा?
सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री कृष्ण और बलराम को पीले वस्त्र पहनाए जाएंगे और बच्चों का विद्यारंभ संस्कार होगा।
वैष्णव मंदिरों में क्या आयोजन होगा?
वैष्णव मंदिरों में फाग महोत्सव की शुरुआत होगी, जिसमें भगवान को गुलाल अर्पित किया जाएगा।
बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व क्या है?
बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती की पूजा, ज्ञान की प्राप्ति और ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है।

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