नर्मदा जयंती : भारत की एकमात्र नदी, जिसकी परिक्रमा और पूजा का है खास महत्व

नर्मदा जयंती, नर्मदा नदी के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का अहम हिस्सा है। यह दिन नदी की पवित्रता और पर्यावरणीय महत्व को सम्मानित करने का अवसर है।

Advertisment
author-image
Kaushiki
New Update
narmada jayanti 2025

narmada jayanti 2025

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नर्मदा नदी भारत की एक प्रमुख और पवित्र नदी मानी जाती है, जिसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वता अत्यधिक है। इसे "मातृ नदी" के रूप में पूजा जाता है। भारत में हर साल नर्मदा जयंती मनाई जाती है। ये दिन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह हमारे पर्यावरण, संस्कृति और आस्थाओं का एक प्रतीक है। यह दिन हमें नर्मदा नदी की महिमा को समझने और उसकी पवित्रता को बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

इसका महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक साथ आने और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने का संदेश भी देता है। यह त्योहार खासकर मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार नर्मदा जयंती 4 फरवरी को मनाई जा रही है। तो ऐसे में आइए, विस्तार से जानते हैं नर्मदा जयंती के इतिहास के बारे में...

खबर ये भी- धर्म अध्यात्म: पुण्य सलिला शिप्रा में ही स्नान करेंगे श्रद्धालु, काम तेज

नर्मदा नदी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

नर्मदा नदी को भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान दिया गया है। यह नदी प्राचीन काल से ही भारतीय धर्म और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रही है। नर्मदा नदी को एक पवित्र नदी माना जाता है और इसे ‘शिव की वरदानी’ के रूप में पूजा जाता है।

हिंदू धर्म में इसे एकमात्र ऐसी नदी माना जाता है, जो केवल दक्षिण से उत्तर की दिशा में बहती है। इसके अलावा, नर्मदा नदी का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है, जहां इसे ‘पुण्यभूमि’ के रूप में सम्मानित किया गया है।

ऐतिहासिक महत्व

नर्मदा नदी का इतिहास भी बहुत पुराना है। इसे लेकर कई किवदंतियां और कथाएं भी प्रचलित हैं। एक कथा के मुताबिक, नर्मदा नदी का प्रकट होना शिवजी के आशीर्वाद से हुआ था। यह नदी एक विशेष समय पर भगवान शिव के आशीर्वाद से प्रकट हुई थी।

कहा जाता है कि शिवजी ने नर्मदा नदी को पृथ्वी पर भेजा ताकि वह मानवता को शांति और समृद्धि प्रदान करे। इसे ‘नर्मदा’ नाम भगवान शिव के साथ जुड़ा हुआ है, क्योंकि इसे ‘शिव के आशीर्वाद’ से उत्पन्न माना जाता है।

खबर ये भी -महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या पर चलेंगी 150 से ज्यादा ट्रेन, रेलवे के इतिहास में सबसे ज्यादा

नर्मदा जयंती का महत्त्व - Divya Himachal

पुण्य कमाने का पर्व

ये पर्व नर्मदा नदी के जन्म के दिन मनाया जाता है। भारतीय पंचांग के मुताबिक, यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। विशेष रूप से इस दिन नर्मदा नदी के किनारे स्थित मंदिरों में पूजा-अर्चना और भव्य स्नान की परंपरा है।

इस दिन श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए जुटते हैं और साथ ही नदी के किनारे स्थित शिव मंदिरों में भगवान शिव की पूजा करते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जो अपनी आस्थाओं और विश्वासों के मुताबिक, नर्मदा नदी के तट पर आकर पुण्य कमाने की इच्छा रखते हैं।

धार्मिक अनुष्ठान

इस दिन विशेष रूप से उन स्थानों पर जहां नर्मदा नदी बहती है, भारी संख्या में श्रद्धालु नदी के किनारे पूजा-अर्चना करते हैं। लोग नर्मदा नदी के पवित्र जल में स्नान करते हैं, जिससे उन्हें पापों से मुक्ति और आत्मिक शांति मिलती है। इसके बाद लोग मंदिरों में जाकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।

इस दिन को मनाने का एक और विशेष कारण है - "नर्मदा की परिक्रमा"। यह परिक्रमा नर्मदा नदी के आस-पास के क्षेत्रों में की जाती है, जो एक धार्मिक और शारीरिक चुनौती दोनों है। नर्मदा परिक्रमा को करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। कुछ लोग इस दिन विशेष रूप से नर्मदा नदी के किनारे स्थित सिद्ध तीर्थ स्थलों पर जाते हैं और वहां पूजा करते हैं।

खबर ये भी- Mahakumbh 2025 । महाकुंभ का रोचक रहा है इतिहास, अंग्रेज क्यों करते थे वसूली ?

Narmada Jayanti 2023: दुल्हन सी सजने लगी मां नर्मदा, आपका मन मोह लेंगी  घाटों की ये तस्वीरें - narmada jayanti 2023 date and significance all you  need to know – News18 हिंदी

विशेष पूजा विधि

इस दिन विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है। श्रद्धालु दिनभर उपवासी रहते हैं और रातभर जागरण करते हैं। सुबह के समय नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद, लोग नर्मदा और शिवजी की पूजा करते हैं। इस दिन विशेष रूप से नर्मदा व्रत, नर्मदा गंगा व्रत, और शिव पूजा का आयोजन किया जाता है। साथ ही, मंत्रोच्चारण और शंख ध्वनि से वातावरण को शुद्ध किया जाता है।

नर्मदा जयंती – जबलपुर | जबलपुर संभाग | भारत

नर्मदा नदी के प्रमुख तीर्थ स्थल

इस दिन विशेष रूप से इन तीर्थ स्थानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ होती हैं:

  • महेश्वर: महेश्वर नर्मदा नदी के किनारे स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो भगवान शिव से जुड़ा हुआ है।
  • खंडवा: खंडवा में नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव का मंदिर है।
  • ओंकारेश्वर: ओंकारेश्वर नर्मदा के दो प्रमुख घाटों में से एक है, जिसे बहुत पवित्र माना जाता है।

खबर ये भी-नर्मदा नदी में 120 किमी चलेगा क्रूज, इन दो राज्यों का बढ़ेगा टूरिज्म

Narmada Jayanti 2023: जबलपुर में मां नर्मदा जयंती पर लगा आस्था का मेला,  दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

पर्यावरणीय महत्व

नर्मदा नदी का पर्यावरणीय महत्व भी बहुत अधिक है। यह नदी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है।ऐसा माना जाता है कि, नर्मदा नदी के जल से न केवल कृषि को फायदा मिलता है, बल्कि इसके आस-पास के क्षेत्रों में जलवायु भी संतुलित रहती है। इस दिन लोग नर्मदा नदी को साफ रखने और उसके जल को प्रदूषित न करने की शपथ भी लेते हैं।

FAQ

नर्मदा जयंती कब मनाई जाती है?
नर्मदा जयंती माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है।
नर्मदा नदी का धार्मिक महत्व क्या है?
नर्मदा नदी को 'शिव की वरदानी' माना जाता है और यह हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी है।
नर्मदा जयंती पर कौन से विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते हैं?
इस दिन श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान करते हैं, शिव मंदिरों में पूजा करते हैं और नर्मदा परिक्रमा करते हैं।
नर्मदा नदी के प्रमुख तीर्थ स्थल कौन से हैं?
महेश्वर, खंडवा और ओंकारेश्वर नर्मदा नदी के प्रमुख तीर्थ स्थल हैं।
नर्मदा जयंती का पर्यावरणीय महत्व क्या है?
नर्मदा नदी का पानी कृषि को लाभ पहुंचाता है और आस-पास के क्षेत्रों में जलवायु संतुलन बनाए रखता है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

मध्यप्रदेश ओंकारेश्वर खंडवा नर्मदापुरम में नर्मदा जयंती latest news नर्मदा नदी नर्मदा जयंती Narmada Jayanti धर्म ज्योतिष न्यूज महेश्वर