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महावीर जयंती जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं की याद दिलाता है। कहा जाता है कि, भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे, जिन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों को प्रकट किया।
कब है महावीर जयंती
इस साल महावीर जयंती 10 अप्रैल (गुरुवार) को मनाई जाएगी। जैन कैलेंडर और पारंपरिक पंचांग के मुताबिक, यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। महावीर जयंती को महावीर जन्म कल्याणक या जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। यह जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है।
महावीर जयंती के दिन भगवान महावीर के भक्त उनकी शिक्षाओं का स्मरण करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। इस दिन वे श्रद्धा भाव से विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं। पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल को रात 10:55 बजे से शुरू होगी और 11 अप्रैल को 1:00 बजे समाप्त होगी।
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महावीर जयंती का महत्व
महावीर जयंती का आयोजन जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत खास माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान महावीर के जीवन और उनके सिद्धांतों का उत्सव है। इस दिन जैन समाज अपने गुरु की शिक्षाओं का पालन करते हुए उनकी महिमा का गुणगान करता है। भगवान महावीर ने अहिंसा और शांति का संदेश दिया, जो आज भी दुनिया भर के लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।
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भगवान महावीर का जीवन और योगदान
मान्यता के मुताबिक, भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में कुंडलग्राम (वर्तमान वैशाली, बिहार) में हुआ था। वे एक महान आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने जैन धर्म को विस्तार दिया। महावीर स्वामी ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह के सिद्धांतों का प्रचार किया, जो आज भी जैन धर्म के मूल सिद्धांतों के रूप में माने जाते हैं। उन्होंने 527 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त किया।
पूजा विधि
मान्यता के मुताबिक, इस दिन जैन समाज के लोग भगवान महावीर के चरणों में श्रद्धा अर्पित करते हैं और उनकी शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जैसे:
- उपवास: भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान महावीर की उपासना करते हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान: जैन धर्मग्रंथों का पाठ और भगवान महावीर की उपदेशों को प्रचारित किया जाता है।
- दान-पुण्य: लोग इस दिन दान और पुण्य के कार्य करते हैं, जिससे समाज की भलाई होती है।
- अहिंसा और शाकाहार: इस दिन अहिंसा और शाकाहार के महत्व को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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महावीर स्वामी के पंचशील सिद्धांत
महावीर स्वामी द्वारा दिए गए पंचशील सिद्धांत जैन धर्म के नैतिक और आचार-संबंधी मूल सिद्धांत हैं:
- अहिंसा: किसी भी परिस्थिति में हिंसा से बचना और शांति का पालन करना।
- सत्य: हमेशा सच बोलना और अपने विचारों में ईमानदार रहना।
- अस्तेय: किसी भी वस्तु को बिना अनुमति के न लेना।
- ब्रह्मचर्य: संयमित जीवन जीना और कामुकता से बचना।
- अपरिग्रह: भौतिक चीजों से मोह नहीं करना और सादा जीवन जीना।
- महावीर स्वामी के ये सिद्धांत आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं और उनके जीवन में शांति और संयम लाने का मार्ग दिखाते हैं।
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