इस तारीख से शुरू हो रहा सावन का महीना, जानें पूजा और अभिषेक की विधि

सावन के महीने में सोमवार के दिन का विशेष महत्व माना जाता है। यदि सोमवार को जल चढ़ाकर या व्रत रखकर भोलेनाथ की पूजा की जाए तो तुरंत सुख की प्राप्ति होती है।

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Sandeep Kumar
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सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। शिव भक्तों को इस महीना का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस महीने में की गई पूजा पाठ का व्यक्ति को विशेष फल मिलता है। भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं। इस बार सावन पर बहुत ही अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई सोमवार से होने जा रही है। 

सावन महीना का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव ही रुद्र रुप में सृष्टि का संचालन करते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी तो सावन के महीने में भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। इसलिए भी यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। इस महीने में की गई पूजा पाठ का व्यक्ति को विशेष फल मिलता है।

सावन महीने में सोमवार 

22 जुलाई 2024 सावन का पहला सोमवार

29 जुलाई 2024 सावन का दूसरा सोमवार

5 अगस्त 2024 सावन का तीसरा सोमवार

12 अगस्त 2024 सावन का चौथा सोमवार 

19 अगस्त 2024 सावन का पांचवा सोमवार

शिवरात्रि बहुत खास

सावन महीने की शिवरात्रि बहुत खास होती है।  हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 को सावन महीने की शिवरात्रि पड़ेगी। पंचांग के अनुसार, सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी  तिथि का आरम्भ 2 अगस्त को दोपहर 3:26 बजे से होगा और  3 अगस्त को दोपहर 3:50 बजे समाप्त होगा। शिवरात्निरि की पूजा निशिता काल में की जाती है इसलिए सावन की शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाएगी। आपको बताते चलें कि भगवान शिव को पंचानन भी कहते हैं।

सावन में मंगला गौरी व्रत

सावन का पहला मंगला गौरी व्रत- 23 जुलाई, 2024

सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत- 30 जुलाई, 2024

सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत- 6 अगस्त, 2024

सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत- 13 अगस्त, 2024

क्यों कहते हैं शिवजी को पंचानन

पंच यानी पांच और आनन यानी मुख। इसका अर्थ है पांच मुख वाले भगवान शिव। भगवान शिव के पांच मुख में अघोर, सद्योजात, तत्पुरुष, वामदेव और ईशान हैं। इसलिए उन्हें पंचानन या पंचमुखी कहा जाता है। शिवजी के इन सभी मुख में तीन नेत्र भी हैं, जिस कारण उनके कई नामों में एक नाम त्रिनेत्रधारी भी है।

सावन में भगवान शिव जी के पूजा के नियम

1. भगवान शिव की पूजा के लिए बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, आक के फूल, सफेद फूल, कमल, मौसमी फल, शहद, शक्कर, गंगाजल, गाय का दूध, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि जरूरी होते हैं। 

2. महादेव की पूजा में तुलसी के पत्ते, हल्दी, केतकी के फूल, सिंदूर, शंख, नारियल आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।  ये सभी वस्तुएं शिव पूजा में वर्जित हैं। 

3. सावन के सोमवार, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के दिन उपवास रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए।  ये तीनों ही दिन शिव कृपा प्राप्ति के लिए विशेष माने जाते हैं। 

4. शिव जी के मंत्रों का जाप करें।  सामान्य पूजा में आप चाहें तो ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।  शिव चालीसा पढ़कर भगवान शिव शंकर की आरती कर लें।  आरती करने से पूजा की कमियां दूर होती है। 

5. सावन के महीने के प्रारंभ होते ही तामसिक वस्तुओं जैसे मांस, शराब, नशीली वस्तुओं, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करते हैं। सावन में पूरे माह सात्विक भोजन करना चाहिए। पूजा से पूर्व स्नान करके साफ कपड़े पहनना चाहिए। 

भगवान शिव के पंचानन रूप की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्री हरि विष्णु ने मनोहर किशोर रूप धारण किया। उन्हें इस अत्यंत मनोहर रूप को देखने के लिए चतुरानन ब्रह्मा, बहुमुख वाले अनंत आदि सभी देवतागण आए। उन्होंने भगवान के रूपमाधुर्य का अधिक आनंद लिया और प्रशंसा की। ये देख शिवजी सोचने लगे कि यदि मेरे भी अनेक मुख और नेत्र होंगे तो मैं भी भगवान के इस किशोर रूप का सबसे अधिक दर्शन करता। शिवजी के मन में यह इच्छा जागृत हुई और उन्होंने पंचमुख व पंचानन रूप ले लिया।

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