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Navratri 2025: नवरात्रि का पावन पर्व मां दुर्गा की नौ दिनों तक चलने वाली उपासना और भक्ति का सबसे बड़ा अनुष्ठान है। इस साधना को पूरा करने के लिए हवन करना बहुत जरूरी माना जाता है, क्योंकि इसके बिना नवरात्रि की पूजा और व्रत अधूरे रह जाते हैं।
यह विशेष हवन अक्सर महाअष्टमी या महानवमी के दिन किया जाता है। यह हवन नौ दिनों की भक्ति का सार है और देवी मां के प्रति अपनी कृतज्ञता दिखाने का सबसे उत्तम तरीका है।
पौराणिक मान्यता
सनातन धर्म में हवन को यज्ञ का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। इसकी महत्ता कई कारणों से है:
देवताओं का मुख अग्नि:
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, अग्नि को देवताओं का मुख माना गया है- अग्निमुखं वै देवाः। हवन में पवित्र अग्नि में जो भी आहुति (घी, हवन सामग्री आदि) समर्पित की जाती है वह सीधे देवी-देवताओं तक पहुंचती है। इस प्रकार, हवन मां दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं को भोग पहुंचाने और उन्हें प्रसन्न करने का सर्वोत्तम माध्यम है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
हवन से निकलने वाला पवित्र धुआं और मंत्रों की ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है। यह घर और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति:
हवन के दौरान विशेष देवी मंत्रों (जैसे नवार्ण मंत्र) के साथ आहुति देने से एक विशिष्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है और जीवन की बाधाओं को दूर करती है।
क्षमा प्रार्थना:
नौ दिनों की पूजा और व्रत में हुई किसी भी भूल-चूक या त्रुटि के लिए हवन के माध्यम से मां दुर्गा से क्षमा याचना की जाती है। यह क्षमा-प्रार्थना आपकी साधना को संपूर्ण फल प्रदान कराती है।
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नवमी को हवन करने की सही विधि
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, नवरात्रि के व्रत का पारण करने से पहले हवन और कन्या पूजन का विधान है। जो भक्त नवमी तिथि को व्रत का पारण करते हैं, वे इसी दिन हवन करते हैं। हवन सामग्री में मुख्य रूप से निम्नलिखित वस्तुएं शामिल होती हैं:
हवन कुंड या वेदी
आम की लकड़ी
कपूर (अग्नि प्रज्वलित करने के लिए)
शुद्ध देशी घी
काला तिल, जौ (यव), चावल
गुग्गुल, लोबान, इलायची, लौंग
सूखा नारियल (पूर्णाहुति के लिए)
कलावा (मौली), सुपारी, पान के पत्ते
गंगाजल और अन्य सामान्य पूजा सामग्री।
हवन कैसे करें
हवन से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
हवन स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और हवन कुंड को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थापित करें।
हाथ में जल, फूल और चावल लेकर गणेश जी का ध्यान करते हुए हवन का संकल्प लें, जिसमें नौ दिनों की साधना की पूर्ति की प्रार्थना हो।
तीन बार आचमन करें और अपने ऊपर तथा हवन सामग्री पर जल के छींटे लगाकर शुद्धि करें।
अग्नि प्रज्वलन:
हवन कुंड में आम की लकड़ी, सूखे नारियल के टुकड़े और कपूर रखें।
घी की सहायता से अग्नि प्रज्वलित करें।
सबसे पहले अग्नि देव का ध्यान करते हुए 'ॐ आग्नेय नमः स्वाहा' मंत्र से आहुति दें।
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आहुति और मंत्र जाप
हवन की शुरुआत भगवान गणेश के मंत्र 'ॐ गणेशाय नमः स्वाहा' से करें।
इसके बाद नवग्रहों ('ॐ नवग्रहाय नमः स्वाहा') और कुल देवताओं का ध्यान करते हुए आहुति दें।
मुख्य रूप से मां दुर्गा के मंत्रों से आहुति दें। सबसे प्रभावी मंत्र नवार्ण मंत्र है:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा या फिर, 'ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा' या दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से आहुति दें।
प्रत्येक मंत्र के साथ हवन सामग्री (घी, तिल, जौ, चावल) अग्नि में अर्पित करें। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, कम से कम एक सौ आठ बार आहुति देना अत्यंत शुभ माना जाता है।
आरती
यज्ञ हवन के अंत में पूर्णाहुति दी जाती है।
एक सूखे नारियल को लाल कपड़े या कलावा से लपेटकर, उसमें सुपारी, सिक्का और अन्य बची हुई हवन सामग्री डालकर घी में डुबोएं।
नवरात्रि का नौवां दिन मां दुर्गा का ध्यान करते हुए इसे अग्नि में समर्पित करें। यह पूर्णाहुति आपके संकल्प की सफलता का प्रतीक है।
पूर्णाहुति के बाद, कपूर या घी के दीपक से मां दुर्गा की आरती करें।
अंत में, पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना करें और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना करें।
मां दुर्गा पूजा हवन के बाद कन्या पूजन करना और उन्हें भोजन कराना भी अनिवार्य है, तभी नवरात्रि की साधना पूर्ण मानी जाती है।
तो नवरात्रि की साधना का मूल सार हवन है, जो अष्टमी या नवमी को किया जाता है। यह पवित्र अग्नि देवताओं तक भोग पहुंचाकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और मनोकामनाओं को पूरा करती है।
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