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नवरात्रि पूजा विधि: नवरात्रि दुर्गा पूजा का पावन पर्व देशभर में भक्त बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है।
इस दौरान कई भक्त अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं, जिसे पूजा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। हालांकि, कई बार कुछ भक्त विभिन्न कारणों से कलश स्थापित नहीं कर पाते हैं।
ऐसे में उनके मन में यह शंका रहती है कि क्या उनकी पूजा अधूरी रह जाएगी और उन्हें इसका पूरा फल नहीं मिलेगा। इसी विषय पर पंडित संतोष शर्मा ने भक्तों की इस शंका का समाधान करते हुए एक विशेष पूजा विधि बताई है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई भक्त कलश स्थापित नहीं कर पा रहा है, तो भी वह मां दुर्गा की तस्वीर के साथ विशेष विधि से पूजन कर सकता है और उसे कलश स्थापना के समान ही पुण्य प्राप्त होगा।
बिना कलश स्थापना के नवरात्रि पूजा की विधि
पंडित संतोष शर्मा ने उन भक्तों के लिए एक सरल और प्रभावी पूजा विधि बताई है जो कलश स्थापना नहीं कर पा रहे हैं। इस विधि का पालन करके भक्त मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं:
मां की तस्वीर स्थापित करें: सबसे पहले, घर के पूजा स्थान पर मां दुर्गा की एक तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। तस्वीर स्थापित करने से पहले, उस स्थान को अच्छी तरह से साफ करें और एक लाल कपड़ा बिछाएं।
अखंड ज्योति जलाएं: यदि संभव हो, तो नौ दिनों तक अखंड ज्योति (लगातार जलने वाला दीपक) जलाएं। यदि यह संभव न हो तो सुबह-शाम नियमित रूप से मां के सामने एक दीपक अवश्य जलाएं।कब है नवरात्रि
पूजन सामग्री: मां को लाल चुनरी और लाल माला चढ़ाएं।
षोडशोपचार पूजा: नियमित रूप से षोडशोपचार विधि से मां का पूजन करें। इसमें 16 प्रकार की सामग्री से पूजा की जाती है, जैसे आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, दक्षिणा, आरती और मंत्र पुष्पांजलि।
मंत्र जाप और पाठ: नवरात्रि के नौ दिनों में मां की चालीसा, दुर्गा सप्तशती पाठ और नवाण मंत्र का जाप नियमित रूप से करें। ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे यह नवाण मंत्र है, जिसका जाप बहुत ही फलदायी माना जाता है।
संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना के साथ मां के सामने संकल्प लें। सच्चे मन से किया गया संकल्प मां अवश्य पूरा करती हैं।
पंडित जी के मुताबिक यदि आप इस विधि का पालन करते हैं तो आपकी पूजा पूर्ण मानी जाएगी और आपको कलश स्थापना जैसा ही पुण्य प्राप्त होगा।
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क्यों नहीं कर पाते लोग कलश स्थापना
पंडित जी के मुताबिक, कलश स्थापना न करने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं:
जगह की कमी: कुछ लोगों के घर या कमरा बहुत छोटा होता है, जहाँ कलश स्थापित करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती।
समय का अभाव: व्यस्त जीवनशैली के कारण कई लोग कलश स्थापना के लिए निर्धारित मुहूर्त और विधि के लिए समय नहीं निकाल पाते।
पारिवारिक परंपरा: कुछ परिवारों में शुरुआत से ही कलश स्थापना की परंपरा नहीं रही है।
नियमों का पालन करने में असमर्थता: कलश स्थापना के बाद कई कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे घर छोड़कर बाहर न जाना, जो कई लोगों के लिए संभव नहीं होता।
पंडित जी ने बताया कि इन सभी स्थितियों में भक्तों को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। मां दुर्गा अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा देखती हैं, न कि पूजा की भव्यता।
मां दुर्गा की पूजा का महत्व
नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा (नवरात्रि के व्रत के नियम) की शक्ति और उनके आशीर्वाद को समर्पित है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
शक्ति का प्रतीक: मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस का संचार होता है।
आशीर्वाद: मां दुर्गा की कृपा से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। वे अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
नवग्रहों का शांतिकरण: ज्योतिषीय मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करने से नवग्रहों की शांति होती है और उनके नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
पंडित जी का कहना है कि पूजा का असली सार भक्त की श्रद्धा और भक्ति है। यदि मन में सच्ची आस्था हो, तो साधारण विधि से भी की गई पूजा मां स्वीकार करती हैं।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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