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नवरात्रि के छठे दिन पर मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन मां के कात्यायनी रूप की पूजा करके भक्त अपनी जिन्दगी में सकारात्मक ऊर्जा और धार्मिक शक्ति का अनुभव करते हैं। इस दिन की पूजा से सभी कष्ट दूर होते हैं और मानसिक प्रगति मिलती है...
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कात्यायनी माता की कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देव ऋषि कात्यायन मां दुर्गा के परम उपासक थे। एक बार उन्होंने मां दुर्गा की कठोर तपस्या की ताकि वे मां की कृपा प्राप्त कर सकें। देव ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा प्रकट हुईं और बोलीं, “वत्स, जो वर मांगना चाहते हो, मांगो।” इस पर ऋषि कात्यायन ने मां से वरदान मांगा कि वे उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां दुर्गा ने उनका वर स्वीकार किया और उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस कारण से मां दुर्गा का यह रूप कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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मां का प्रिय भोग
मां कात्यायनी को विशेष रूप से शहद का भोग प्रिय है। इस दिन पूजा के दौरान यदि भक्त शहद का भोग अर्पित करें, तो इससे व्यक्तित्व में निखार आता है और भक्त की कर्मों में शुभता आती है।
मां कात्यायनी का मंत्र
मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र इस प्रकार है:
ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥
मां कात्यायनी के प्रमुख मंत्र में यह भी कहा जाता है:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
कात्यायनी माता पूजा विधि
कात्यायनी के पूजन के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद कात्यायनी की चौकी लगाएं। कात्यायनी देवी को पीला रंग बहुत पसंद है, इसलिए नवरात्रि के 6वें दिन पीले रंग के वस्त्र को जरूर धारण करें और माता की चौकी लगाते हुए पीले रंग का कपड़ा और फूलों का प्रयोग करें। कात्यायनी देवी को पीले पुष्प, हल्दी का तिलक और भोग चढ़ाएं। कात्यायनी देवी की आरती और मंत्रों का जाप करें।
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मां कात्यायनी की आरती
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहा वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम है कई धाम है।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भगत हैं कहते।
कत्यानी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करिए।
ध्यान कात्यायनी का धरिए।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को 'चमन' पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
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