पितृ पक्ष में पितरों को खुश करने के लिए इन 5 चीजों का करें दान, मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति

पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के साथ दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए तिल, अनाज, चांदी, गुड़ और गाय जैसी वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

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Kaushiki
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हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह 16 दिनों की वह अवधि है जब हम अपने पितरों को याद करते हैं, उनका श्राद्ध करते हैं और उन्हें श्रद्धापूर्वक तर्पण देते हैं।

ऐसी मान्यता है कि इन 16 दिनों में हमारे पूर्वज सूक्ष्म रूप में पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और दान से तृप्त होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।

इस साल पितृ पक्ष 2025, 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

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Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में दान करने का है बड़ा महत्व, तिल और चांदी के  दान से मिलती है पितरों को शांति - pitru paksha 2023 Donating sesame seeds  and silver

पितृ पक्ष में दान का महत्व

श्राद्ध पक्ष में दान-पुण्य को बहुत ही लाभकारी माना गया है। पितरों का श्राद्ध न केवल हमारे पितरों की आत्मा को शांति देता है, बल्कि हमारे जीवन में आने वाली परेशानियों को भी दूर करता है।

दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं, इस दौरान किन चीजों का दान करना सबसे उत्तम माना जाता है।

तिल और अनाज का दान:

  • पितृ पक्ष (पितृ पक्ष का राम से हैं संबंध) में काले तिल का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। तिल को पवित्रता का प्रतीक माना गया है और यह शनि ग्रह से भी संबंधित है। पितृ पक्ष में तिल का दान करने से ग्रह शांत होते हैं और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • इसके अलावा, गेहूं, चावल और जौ जैसे अनाज का दान करना भी बहुत लाभकारी होता है। यह अन्नदान हमें अपने पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर देता है और माना जाता है कि इससे जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होती।

चांदी का दान:

  • शास्त्रों में चांदी को बहुत ही पवित्र धातु माना गया है। पितृ पक्ष में चांदी से बनी वस्तुएं, जैसे चांदी के बर्तन या सिक्के, का दान करना अत्यंत शुभ होता है।
  • ऐसा माना जाता है कि चांदी का दान करने से पितरों की आत्मा को शीतलता और शांति मिलती है, जिससे वे प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद देते हैं।

भूमि का दान:

  • भूमि दान को महादान की श्रेणी में रखा गया है। पितृ पक्ष में भूमि दान करने से व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
  • हालांकि, यह दान हर कोई नहीं कर सकता, लेकिन अगर संभव हो तो इसे अवश्य करना चाहिए। यदि आप भूमि दान नहीं कर सकते, तो आप किसी धार्मिक स्थान या आश्रम को भूमि दान करने में योगदान कर सकते हैं।

गुड़ का दान:

  • गुड़ का दान करना बहुत ही सरल और प्रभावी उपाय है। गुड़ को सूर्य ग्रह का कारक माना गया है और पितृ पक्ष में इसका दान करने से परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
  • यह दान पितरों को भी प्रसन्न करता है और उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में मिठास आती है।

गौदान:

  • हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और गौदान को सबसे बड़ा दान माना गया है। पितृ पक्ष में गौदान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और पितृ दोष समाप्त होता है।
  • गौदान करने से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यह दान न केवल पितरों को तृप्त करता है, बल्कि हमारे कर्मों को भी शुद्ध करता है।

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श्राद्ध और तर्पण में क्या है अंतर

बहुत से लोग श्राद्ध और तर्पण को एक ही मानते हैं, लेकिन इन दोनों में सूक्ष्म अंतर है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक,

श्राद्ध: 

  • श्राद्ध का अर्थ है "श्रद्धा से किया गया कर्म"। इसमें पितरों को भोजन, जल और अन्य वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। यह (श्राद्ध का विधि विधान) एक विस्तृत अनुष्ठान है, जिसमें ब्राह्मणों को भोजन कराना, पिंडदान करना और मंत्रों का जाप करना शामिल होता है।

तर्पण: 

  • तर्पण का अर्थ है "तर्पण देना" या "संतुष्ट करना"। यह पितरों को जल अर्पित करने की एक सरल प्रक्रिया है, जिसमें कुश, तिल और जल का प्रयोग किया जाता है।
  • तर्पण पितरों की प्यास बुझाता है और उनकी आत्मा को शांत करता है। पितृ पक्ष के दौरान इन दोनों ही कर्मों को करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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श्राद्ध कर्म के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें

कुतुप वेला: 

  • श्राद्ध कर्म हमेशा कुतुप वेला में करना चाहिए। यह दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच का समय होता है, जिसे श्राद्ध के लिए सबसे उत्तम माना गया है।

तिल: 

  • काले तिल का प्रयोग श्राद्ध कर्म में अवश्य करें। यह पवित्रता का प्रतीक है और पितरों को बहुत प्रिय है।

दौहित्र (नाती): 

  • पुराणों के मुताबिक, नाती के बिना श्राद्ध अधूरा माना जाता है। नाती द्वारा किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष दिलाता है।

सफाई और शुद्धता: 

  • श्राद्ध कर्म करने से पहले स्वयं को और अपने घर को पूरी तरह से शुद्ध कर लें। बिना किसी जल्दबाजी या क्रोध के शांत मन से श्राद्ध करें।

नए वस्त्र: 

  • श्राद्ध कर्म के लिए हमेशा नए और साफ वस्त्र पहनें। देव पूजा और पितृ पूजा के लिए अलग-अलग वस्त्र धारण करना उचित माना जाता है।

पितृ पक्ष 2025 की तिथियां

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  • पूर्णिमा श्राद्ध: 7 सितंबर, 2025 (रविवार)
  • प्रतिपदा: 8 सितंबर, 2025 (सोमवार)
  • द्वितीया: 9 सितंबर, 2025 (मंगलवार)
  • तृतीया: 10 सितंबर, 2025 (बुधवार)
  • चतुर्थी: 11 सितंबर, 2025 (गुरुवार)
  • पंचमी: 12 सितंबर, 2025 (शुक्रवार)
  • षष्ठी, सप्तमी: 13 सितंबर, 2025 (शनिवार)
  • अष्टमी: 14 सितंबर, 2025 (रविवार)
  • नवमी (मातृ नवमी): 15 सितंबर, 2025 (सोमवार)
  • दशमी: 16 सितंबर, 2025 (मंगलवार)
  • एकादशी: 17 सितंबर, 2025 (बुधवार)
  • द्वादशी: 18 सितंबर, 2025 (गुरुवार)
  • त्रयोदशी: 19 सितंबर, 2025 (शुक्रवार)
  • चतुर्दशी: 20 सितंबर, 2025 (शनिवार)
  • सर्वपितृ अमावस्या: 21 सितंबर, 2025 (रविवार)

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

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