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प्रयागराज में स्थित लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर अपनी अनोखी मान्यता और रहस्यमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि संगम में स्नान तब तक पूर्ण नहीं माना जाता, जब तक भक्त लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन नहीं कर लेते। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके निर्माण और स्थापित होने की कहानी भी बेहद रोचक और चमत्कारी है।
बता दें कि, इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में स्थित है, जो अन्य किसी भी मंदिर में देखने को नहीं मिलती। भक्तों का मानना है कि, यह एक सिद्ध मंदिर है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर को बड़े हनुमान जी, किले वाले हनुमान जी, बांध वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है।
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कैसे हुई इस अनोखी मूर्ति की स्थापना
ऐसा माना जाता है कि, मंदिर की स्थापना को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले एक धनी व्यापारी बजरंगबली की इस मूर्ति को लेकर जा रहा था। जब उसकी नाव संगम के तट पर पहुंची, तो बजरंगबली की मूर्ति अचानक नदी में गिर गई।
व्यापारी और अन्य लोगों ने इसे उठाने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन मूर्ति अपनी जगह से नहीं हिली। इस घटना के बाद, व्यापारी को बजरंगबली ने एक रात सपने में दर्शन दिए और कहा कि वे संगम किनारे ही रहना चाहते हैं। इसके बाद, इस स्थान पर बजरंगबली की मूर्ति को स्थापित किया गया, जो आज भी लेटी हुई मुद्रा में स्थित है।
क्या है मूर्ति की खास विशेषता
ऐसा माना गया है कि बजरंगबली की यह अनूठी मूर्ति लगभग 20 फीट लंबी है और जमीन के अंदर विराजमान है। मंदिर की मान्यता है कि बजरंगबली अपनी एक भुजा से अहिरावण और दूसरी भुजा से दूसरे राक्षस को पकड़े हुए हैं। यह दृश्य उनके बल, पराक्रम और भक्तों की रक्षा करने की शक्ति को दर्शाता है।
कहा जाता है कि, गंगा का जल हर साल बजरंगबली के चरणों को स्पर्श करता है और फिर अपने आप ही उतर जाता है। भक्तों का मानना है कि यह गंगा जी के बजरंगबली को अर्पित किया गया विशेष स्नान है।
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इस मंदिर से जुड़ा अकबर का रहस्य
इतिहास में दर्ज एक अन्य कथा के मुताबिक, 1582 में मुगल सम्राट अकबर ने प्रयागराज में एक किला बनवाया। उसने बजरंगबली की इस प्रतिमा को हटाने का आदेश दिया, ताकि इसे किले में स्थापित किया जा सके। लेकिन जब सैनिकों ने मूर्ति हटाने का प्रयास किया, तो मूर्ति अपनी जगह से हिली भी नहीं। इसी दौरान अकबर को एक रात बजरंगबली ने सपने में दर्शन दिए और उसे ऐसा करने से रोका। इस घटना के बाद अकबर ने बजरंगबली की शक्ति को स्वीकार कर लिया और मूर्ति को वहीं रहने देने का आदेश दे दिया।
महाकुंभ से क्या है इनका का नाता
ऐसा माना गया है कि, महाकुंभ मेले और लेटे हुए बजरंगबली के मंदिर का गहरा संबंध है। मान्यता है कि, महाकुंभ में स्नान तब तक अधूरा माना जाता है, जब तक श्रद्धालु लेटे हुए बजरंगबली के दर्शन नहीं कर लेते। हर महाकुंभ और माघ मेले के दौरान, करोड़ों श्रद्धालु संगम स्नान करने के बाद इस मंदिर में आकर दर्शन करते हैं और भगवान हनुमान से आशीर्वाद लेते हैं।
यह भी कहा जाता है कि गंगा स्वयं हर साल बजरंगबली के चरणों का स्पर्श करती हैं, जिससे यह स्थान और भी दिव्य और शक्तिशाली माना जाता है। महाकुंभ के दौरान इस मंदिर में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है और श्रद्धालु संकटमोचन हनुमान जी से जीवन के संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। यही कारण है कि यह मंदिर महाकुंभ मेले का आध्यात्मिक केंद्र भी माना जाता है।
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भक्तों के लिए इस मंदिर की मान्यता
- मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
- मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- संकटमोचन हनुमान जी यहां अपने भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं।
- महाकुंभ और माघ मेले के दौरान यह स्थान श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है।
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