297 साल बाद रक्षाबंधन 2025 में बन रहे ग्रहों के दुर्लभ संयोग, जानें इस बार राखी क्यों है खास?

इस साल रक्षाबंधन 2025 पर 297 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिससे यह दिन और भी ज्यादा खास हो गया है। 9 अगस्त को पूरा दिन भद्रा-रहित रहेगा, जिससे बहनें बिना किसी चिंता के दिनभर राखी बांध सकेंगी।

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Kaushiki
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Rakshabandhan 2025
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भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक रक्षाबंधन का पावन पर्व इस साल 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार का रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन के स्नेह तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बेहद खास और दुर्लभ दिन है। इस बार राखी 2025 पर 297 साल बाद ग्रहों का एक ऐसा दुर्लभ संयोग भी बन रहा है जो इसे और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बना रहा है।

यह एक ऐसा मौका है जब बहन की प्रार्थना और भाई की सुरक्षा के वचन को ग्रहों और नक्षत्रों का भी पूरा आशीर्वाद मिलेगा। इस दिन राखी बांधने से न सिर्फ रिश्तों में मजबूती आएगी, बल्कि सुख, समृद्धि और सौभाग्य में भी बढ़ोतरी होगी। 

रक्षाबंधन पर 297 साल बाद अद्भुत संयोग, इस शुभ मुहूर्त में बंधेगी भाई की  कलाई पर राखी - Raksha bandhan 2025 auspicious combination of planets is  being formed on rakhi after 297

297 साल बाद बन रहा दिव्य शुभ योग

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस बार का राखी कई शुभ योगों के साथ आ रहा है। ऐसा दुर्लभ ग्रहों की स्थिति 1728 में बनी थी, यानी पूरे 297 साल बाद यह संयोग फिर से देखने को मिल रहा है। इन योगों के प्रभाव से यह दिन सभी के लिए अत्यंत फलदायी और मंगलकारी रहेगा।

  • आयुष्मान योग (Ayushman Yog): यह योग दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में राखी बांधने से भाई की लंबी उम्र की कामना पूरी होती है।
  • सर्वार्थसिद्धि योग (Sarvarthasiddhi Yog): इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। यह योग भाई के जीवन में हर क्षेत्र में सफलता और तरक्की लाता है।
  • सिद्धि योग (Siddhi Yog): यह योग आध्यात्मिक कार्यों और संकल्पों को सिद्ध करने के लिए बहुत प्रभावी होता है। यह योग भाई-बहन के रिश्ते में पवित्रता और विश्वास को और गहरा करता है।
  • सौभाग्य योग (Saubhagya Yog): जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह योग सौभाग्य और समृद्धि लाता है। यह भाई के जीवन में सुख-शांति और खुशहाली सुनिश्चित करता है।
  • इसके अलावा इस दिन शनैश्चरी पूर्णिमा, मकर राशि का चंद्रमा, श्रवण एवं धनिष्ठा नक्षत्र और प्रीति योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन की शुभता को कई गुना बढ़ा रहे हैं।

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ग्रहों की स्थिति

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, ग्रहों की स्थिति ऐसी रहेगी, 

  • सूर्य (Sun): कर्क राशि में
  • चंद्रमा (Moon): मकर राशि में
  • मंगल (Mars): कन्या राशि में
  • बुध (Mercury): कर्क राशि में
  • गुरु (Jupiter) और शुक्र (Venus): मिथुन राशि में
  • राहु (Rahu): कुंभ राशि में
  • केतु (Ketu): सिंह राशि में

इस तरह का ग्रहों का दुर्लभ संयोग सामाजिक सौहार्द, आर्थिक समृद्धि और पारिवारिक खुशहाली के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक, यह योग सभी राशियों के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।

भद्रा का नहीं रहेगा साया

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ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, राखी पर सबसे ज्यादा जिस चीज का ध्यान रखा जाता है, वह है भद्रा काल। भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। लेकिन इस साल आपको इसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

इस बार भद्रा (रक्षाबंधन भद्रा का साया) का साया राखी से एक दिन पहले, यानी 8 अगस्त की रात में ही समाप्त हो जाएगा। इसका मतलब है कि 9 अगस्त को पूरा दिन भद्रा-रहित रहेगा।

इस कारण बहनें बिना किसी मुहूर्त की चिंता किए, पूरे दिन कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी। यह एक बहुत बड़ी राहत की बात है, खासकर उन लोगों के लिए जो दूर रहते हैं और जिनके पास समय कम होता है।

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राखी बांधने का सही समय

पंचांग के मुताबिक, राखी 2025 का त्योहार 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। हालांकि सावन महीना की पूर्णिमा तिथि (रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त) 8 अगस्त से ही शुरू हो रही है, लेकिन उदया तिथि के मुताबिक 9 अगस्त को ही त्योहार मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त की जानकारी:

  • पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: 8 अगस्त, शुक्रवार, दोपहर 2:12 बजे
  • पूर्णिमा तिथि का समापन: 9 अगस्त, शनिवार, दोपहर 1:24 बजे
  • राखी बांधने का शुभ समय: 9 अगस्त को सुबह से लेकर दोपहर 1:24 बजे तक का पूरा समय राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा।
    इस दौरान राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में और भी ज्यादा मजबूती और सकारात्मकता आएगी।

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सिर्फ भाई-बहन नहीं, गुरुओं को भी बांधे रक्षा सूत्र

  • राखी का पर्व सिर्फ भाई-बहन के लिए ही नहीं है। भारतीय संस्कृति में इस दिन का और भी गहरा महत्व है।
  • इस दिन गुरुओं को भी रक्षा सूत्र बांधा जाता है।
  • यह गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है।

इसके अलावा, वेदपाठी ब्राह्मण भी इस दिन श्रावणी उपाकर्म का विधान करते हैं, जिसमें वे पूरे साल के पाप-कर्मों का प्रायश्चित करते हैं और जीवन को सकारात्मक दिशा देने का संकल्प लेते हैं। यह पर्व हमें हमारे रिश्तों, हमारी संस्कृति और हमारे नैतिक मूल्यों को याद दिलाता है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

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