/sootr/media/media_files/2025/07/31/sawan-putrada-ekadashi-2025-2025-07-31-14-24-30.jpg)
सावन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, ताकि उन्हें संतान सुख, वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि मिल सके।
पंचांग के मुताबिक इस वर्ष, सावन पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त 2025, मंगलवार को पड़ रही है और इसका पूजन 4 अगस्त को प्रारंभ होकर 5 अगस्त को समाप्त होगा।
पंडित संतोष शर्मा के मुताबिक, सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि इसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन किए गए व्रत से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है। विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए इस व्रत का महत्व है। यह व्रत निसंतान दंपत्तियों के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
मुहूर्त
पंडित संतोष शर्मा के मुताबिक,
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 04 अगस्त 2025, सुबह 11:41 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 05 अगस्त 2025, दोपहर 01:12 बजे
इस हिसाब से, सावन पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त को मंगलवार को होगी और इस दिन व्रत रखना और पूजन करना विशेष रूप से लाभकारी रहेगा। इस दिन मंगला गौरी व्रत और रवि योग का संयोग भी बन रहा है, जो इस व्रत की महत्ता को और बढ़ाता है।
ये खबर भी पढ़ें...सावन में ऐसे करें अपने नन्हें लड्डू गोपाल का शृंगार, घर में आएगी खुशियों की बहार
पुजन के लिए शुभ मुहूर्त
|
पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। बहुत से दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त नहीं होता और वे इसके लिए मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। ऐसी स्थिति में पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
इसे रखने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ संतान के जीवन में चल रही समस्याओं का समाधान भी होता है। मान्यता है कि, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। यही कारण है कि इस व्रत को निसंतान दंपत्तियों द्वारा विशेष रूप से किया जाता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, द्वापर युग की शुरुआत में महिष्मति नाम की एक नगरी हुआ करती थी। इस नगरी पर महीजित नाम के एक राजा का शासन था। राजा बहुत धर्मात्मा और न्यायप्रिय थे, लेकिन उन्हें एक बड़ा दुख था - उनकी कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और उनकी रानी बहुत चिंतित रहते थे, क्योंकि पुत्र के बिना उन्हें अपना जीवन अधूरा और राजपाट व्यर्थ लगता था। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए कई उपाय किए, लेकिन कोई फल नहीं मिला।
अपनी इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए एक बार राजा ने अपने राज्य के सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को एकत्रित किया। राजा ने उनसे अपनी व्यथा बताई और पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा।
राजा की बात सुनने के बाद, सभी विद्वानों ने मिलकर गहन विचार किया और फिर राजा को बताया कि, "हे राजन! आपके पुत्रहीन होने का कारण आपके पिछले जन्म का एक कर्म है।" उन्होंने समझाया कि अपने पिछले जन्म में सावन (श्रावण) माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन आपने एक प्यासी गाय को जल पिलाने से मना कर दिया था। उसी गाय ने आपको संतान न होने का श्राप दिया था, जिसके चलते आप इस जन्म में पुत्र सुख से वंचित हैं।
विद्वानों ने राजा को इस श्राप से मुक्ति पाने और पुत्र प्राप्ति के लिए सावन की एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि यदि राजा पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक यह व्रत करेंगे, तो उन्हें निश्चित रूप से संतान सुख की प्राप्ति होगी।
राजा ने सभी की बात मानी और पूरी श्रद्धा और मनोभाव से पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। उन्होंने भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और अपनी मनोकामना उनके सामने रखी। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से कुछ समय बाद रानी गर्भवती हुईं और उन्होंने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया।
माना जाता है कि तभी से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत एक महत्वपूर्ण और फलदायी व्रत बन गया। यह कथा इस बात पर जोर देती है कि सच्चे मन और विधि-विधान से किए गए धार्मिक कार्य जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं, और भगवान की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है।
ये खबर भी पढ़ें... सावन में क्यों की जाती है पार्थिव शिवलिंग की पूजा, जानें शिवलिंग बनाने की विधि
एकादशी पर कब करें पूजा
एकादशी व्रत में निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए:
- व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
- चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु को गंगाजल, पंचामृत से स्नान कराएं।
- पीला चंदन, फूल, माला, और तुलसी दल चढ़ाएं।
- घी का दीपक जलाएं और विष्णु जी को फल, मिठाई, और पंचमेवा का भोग अर्पित करें।
- विष्णु चालीसा का पाठ करें और भगवान विष्णु की आरती करें।
कुछ उपाय
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस दिन कुछ विषेश उपाय भी किए जा सकते हैं,
- तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं:
तुलसी के पौधे के पास गाय के घी का दीपक जलाएं और मंत्र का जाप करें। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। - पीले फूल और फल अर्पित करें:
भगवान विष्णु को पीले फूल और फल अर्पित करने से संतान सुख मिलता है। - मखाने की खीर का भोग अर्पित करें:
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को मखाने की खीर का भोग लगाने से संतान संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। - तुलसी दल अर्पित करें:
भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने से संतान सुख के योग बनते हैं। - दान पुण्य करें:
एकादशी के दिन दान पुण्य करना बहुत फलदायक होता है। इससे न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि संतान सुख की प्राप्ति होती है।
thesootr links
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬
👩👦👨👩👧👧
एकादशी पर पूजा | एकादशी पर बरसेगा धन | all problems will go away on Ekadashi | धर्म ज्योतिष न्यूज