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Sharadiya Navratri: हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार आता है उनमें से शारदीय नवरात्रि का सबसे अधिक महत्व है। इस नौ दिवसीय उत्सव में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, 2025 से शुरू हो रही है और भक्तों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
ऐसे में ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष शर्मा के मुताबिक, नवरात्रि में कुछ विशेष वस्तुएं घर लाने से मां दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बरसती है। ये वस्तुएं घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं। आइए, जानते हैं कौन सी हैं ये 5 शुभ वस्तुएं...
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महालक्ष्मी यंत्र
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, महालक्ष्मी यंत्र को मां दुर्गा का एक प्रिय स्वरूप माना जाता है। इसे घर में लाना बहुत शुभ माना जाता है।
महत्व: ज्योतिषियों के मुताबिक, अगर आप नवरात्रि से पहले महालक्ष्मी यंत्र को अपने घर के पूजा स्थल में स्थापित करते हैं और इसकी नियमित पूजा करते हैं, तो घर में कभी धन की कमी नहीं होती। यह आर्थिक तंगी को दूर करता है और धन-धान्य में वृद्धि करता है।
कैसे उपयोग करें: नवरात्रि के नौ दिनों तक इस यंत्र की पूजा करें, मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और इसे लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी या धन स्थान पर रखें।
स्वास्तिक
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, स्वास्तिक को हिंदू धर्म में एक बहुत ही पवित्र और शुभ चिन्ह माना जाता है। यह भगवान गणेश का प्रतीक है और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत इसी से होती है।
महत्व: नवरात्रि के दौरान स्वास्तिक को घर के मुख्य द्वार और पूजा स्थल पर बनाना या स्थापित करना बहुत शुभ माना जाता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाता है।
कैसे उपयोग करें: नवरात्रि के पहले दिन घर में हल्दी या कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। आप धातु का बना स्वास्तिक भी घर ला सकते हैं और उसे पूजा स्थल में स्थापित कर सकते हैं।
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नवग्रह यंत्र
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रह दोष है तो नवग्रह यंत्र आपके लिए बहुत लाभकारी हो सकता है।
महत्व: नवग्रह यंत्र सभी नौ ग्रहों के अशुभ प्रभावों को दूर करने में मदद करता है। अगर आप इसे नवरात्रि से पहले घर ले आते हैं और नौ दिनों तक इसकी पूजा-अर्चना करते हैं, तो सभी ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं और जीवन में संतुलन आता है।
कैसे उपयोग करें: इसे पूजा स्थल में स्थापित करें और हर दिन घी का दीपक जलाकर इसकी पूजा करें।
श्रृंगार की वस्तुएं
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, मां दुर्गा को श्रृंगार बहुत प्रिय है। इसलिए नवरात्रि में 16 श्रृंगार की वस्तुएं देवी को अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
महत्व: 16 श्रृंगार सौभाग्य का प्रतीक है। ये वस्तुएं जैसे चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी और लाल चुनरी माँ को अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
कैसे उपयोग करें: नवरात्रि के दौरान इन वस्तुओं को खरीदें और माता रानी को अर्पित करें। बाद में, इन वस्तुओं को सुहागिन महिलाओं को दान कर सकते हैं।
शंख
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, पूजा-पाठ में शंख का विशेष महत्व होता है। शंख बजाए बिना कई पूजाएं अधूरी मानी जाती हैं।
महत्व: शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन और समृद्धि को आकर्षित करता है।
कैसे उपयोग करें: शारदीय नवरात्र से पहले दक्षिणावर्ती शंख घर लाएं और इसे पूजा स्थल में स्थापित करें। इसे जल से भरकर मां दुर्गा की पूजा करें और पूजा के बाद इस जल का छिड़काव पूरे घर में करें।
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शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि (नवरात्रि दुर्गा पूजा) मां दुर्गा की आराधना का महापर्व है। इन नौ दिनों में मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
कलश स्थापना:
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है।
- इसके लिए एक मिट्टी के बर्तन में थोड़ी मिट्टी और जौ डालकर पानी से भिगो दें। फिर इसके ऊपर जल से भरा एक कलश रखें।
- कलश के मुख पर आम के पत्ते और नारियल रखें, जिसे लाल कपड़े से लपेटकर बांध दें। यह मां दुर्गा के आगमन का प्रतीक है।
देवी का आह्वान:
- कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और फूल, अक्षत (चावल), रोली और चंदन चढ़ाकर उनका आह्वान करें।
प्रतिदिन की पूजा:
- हर दिन देवी के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है।
- सुबह और शाम दोनों समय देवी की आरती करें और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
व्रत और उपवास:
- कई भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। इस दौरान (शारदीय नवरात्रि व्रत नियम) वे केवल फलाहार और सात्विक भोजन ही करते हैं।
अखंड ज्योति जलाना:
- कुछ लोग नौ दिनों के लिए अपने घर में अखंड ज्योति जलाते हैं, जो लगातार जलती रहती है। यह मां के प्रति अटूट आस्था का प्रतीक है।
कन्या पूजन:
- अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
- इसमें नौ छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनके पैर धोए जाते हैं और उन्हें भोजन कराया जाता है, जिसमें हलवा, पूरी और चना शामिल होता है।
हवन और आरती:
- नवरात्रि के अंतिम दिन, नवमी पर, देवी की कृपा पाने के लिए हवन किया जाता है।
- हवन के बाद मां दुर्गा की आरती करके पूजा का समापन करें।
विसर्जन और प्रसाद:
- पूजा के बाद प्रसाद के रूप में चढ़ाई गई मिठाई और फल परिवार और दोस्तों में बांटें।
- इसके बाद दशमी के दिन कलश का विसर्जन करें और जौ को बहते जल में प्रवाहित करें।
- यह पूजा विधि श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। कब है नवरात्रि
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