शारदीय नवरात्रि 2025: तिथियों को लेकर पंडितों में मतभेद, 25 सितंबर को किस देवी की करें पूजा

इस साल शारदीय नवरात्रि की तिथियों को लेकर पंडितों में मतभेद है, जिससे श्रद्धालु असमंजस में हैं कि 25 सितंबर को किस देवी की पूजा करें। कुछ का मानना है कि तृतीया तिथि दो दिन है, जबकि कुछ चतुर्थी तिथि के दो दिन होने की बात कह रहे हैं।

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Kaushiki
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शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 22 सितंबर से शुरू हो चुका है, लेकिन इस बार तिथियों को लेकर पंडितों में बहस छिड़ी हुई है। इस कारण इनके बीच मतभेद पैदा हो गया है, इनके मतभेदों को चलते भक्त भी असमंजस में हैं।

कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि तृतीया तिथि दो दिनों तक रहेगी, जबकि कुछ अन्य का मानना है कि चतुर्थी तिथि दो दिन की है। दरअसल, कुछ पंडितों का कहना है कि तृतीया तिथि दो दिनों तक रहेगी, जिस कारण मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा 24 और 25 सितंबर दोनों दिन की जाएगी।

वहीं, कुछ अन्य ज्योतिषियों का मानना है कि चतुर्थी तिथि दो दिनों तक है, जिसकी वजह से 25 सितंबर को मां कूष्मांडा की पूजा होगी। इस मतभेद के चलते, श्रद्धालु दुविधा में हैं कि कल 25 सितंबर को, वे किस देवी की पूजा करें।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस तरह का योग 27 साल बाद बन रहा है जब नवरात्रि की अवधि बढ़ गई है। यह स्थिति भक्तों के लिए मां की कृपा पाने का एक सुनहरा मौका तो है, लेकिन सही तिथि को लेकर स्पष्टता न होने से कन्फ्यूजन भी है।

तृतीया तिथि पर बना दुर्लभ योग

पंडितों के मुताबिक, इस साल शारदीय नवरात्रि की तीसरी तिथि यानी तृतीया तिथि 24 सितंबर को सुबह 4 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 25 सितंबर को सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। तिथि में यह वृद्धि, जिसे तिथि वृद्धि कहा जाता है, इस संयोग का कारण है।

इस साल की तृतीया तिथि पर कुछ बहुत ही शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं:

  • महालक्ष्मी राजयोग: तुला राशि में चंद्रमा और मंगल के एक साथ आने से यह शक्तिशाली योग बन रहा है।

  • बुधादित्य योग: यह योग सूर्य और बुध के एक ही राशि में होने से बनता है, जो शुभ फल देने वाला माना जाता है।

  • रवि योग: यह योग भी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है।

पंडित संतोष शर्मा के मुताबिक इन शुभ योगों के कारण 25 सितंबर को मां चंद्रघंटा की पूजा और साधना करने वालों को दोगुना लाभ मिलेगा। इन दिनों में की गई आराधना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है।

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नवरात्रि की तिथियां और देवी स्वरूप

दिनांकदेवी स्वरूप
22 सितंबरप्रतिपदा: शैलपुत्री
23 सितंबरद्वितीया: ब्रह्मचारिणी
24-25 सितंबरतृतीया: चंद्रघंटा (दो दिन)
26 सितंबरचतुर्थी: कूष्मांडा
27 सितंबरपंचमी: स्कंदमाता
28 सितंबरषष्ठी: कात्यायनी
29 सितंबरसप्तमी: कालरात्रि
30 सितंबरअष्टमी: महागौरी
01 अक्टूबरनवमी: सिद्धिदात्री

मां चंद्रघंटा का स्वरूप

The Story of Maa Chandraghanta | Third Day Navratri Devi Puja | Chaitra  Navratri Day 3

देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा का नाम उनके मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचंद्र के कारण पड़ा। वे बाघ पर सवार होती हैं और उनके गले में सफेद फूलों की माला शोभा बढ़ाती है।

उनकी दस भुजाओं में कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा जैसे दिव्य अस्त्र हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं। वे अपने भक्तों को साहस और निडरता प्रदान करती हैं।

मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के विशेष उपाय

About Chandraghanta Devi - LovenHeal

पंडित संतोष शर्मा के मुताबिक, मां चंद्रघंटा को घंटी की ध्वनि बहुत पसंद है। इस शुभ अवसर पर घंटी से जुड़े कुछ विशेष उपाय करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।

  • घंटी का दान: नवरात्रि के तीसरे दिन किसी मंदिर में पीतल की घंटी का दान करने से मां चंद्रघंटा प्रसन्न होती हैं। अगर मंदिर में दान संभव न हो, तो किसी धर्म-कर्म से जुड़े व्यक्ति को भी घंटी दान कर सकते हैं।

  • बीज मंत्र का जाप: इस दिन मां की कृपा पाने के लिए पूरे घर में घंटी बजाते हुए देवी के बीज मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" का जाप करें। यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर घर में सकारात्मकता लाता है।

  • आरती के समय घंटी: सुबह और शाम की आरती करते समय घंटी की ध्वनि जरूर करें। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

इन उपायों को सच्चे मन से करने पर मां चंद्रघंटा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद देती हैं।

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मां कूष्मांडा की पूजा

Navratri 2022 4th Day Maa Kushmanda Puja Vidhi, Vrat Katha, Timings,  Mantra, Aarti, Samagri, Muhurat, Kahani in Hindi माता कुष्मांडा को है हरा  रंग बेहद प्रिय, पूजा करने से सभी कष्टों से

नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है। इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और चंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।

कथा के मुताबिक, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। तो ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दिव्यमान हैं।

इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। मां की आठ भुजाएं हैं। ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है।

आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन शेर है। इसीलिए इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।

मां कूष्मांडा का भोग

Navratri 2018 Day Fourth Worship Of Maa Kushmanda - Amar Ujala Hindi News  Live - नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कूष्माण्डा की पूजा, उपासना से दूर  होते हैं रोग

मां कूष्मांडा को कुम्हरा यानी के पेठा सबसे प्रिय है। इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा हलवा, मीठा दही या मालपुए का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।

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मां की पूजा विधि

मां कूष्मांडा का ध्यान कर कुमकुम, मौली, अक्षत, लाल रंग के फूल, फल, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं। अगर सफेद कुम्हड़ा या उसके फूल हैं तो उन्हें मातारानी को अर्पित कर दें। फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें।

मां के मंत्र जाप

सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते। ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु में॥

या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। 9 days Navratri | नवरात्रि का तीसरा दिन | नवरात्रि का चौथा दिन

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