शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को खाने से क्या होता है? जानें पूरी मान्यता

शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद भगवान शिव के गण चण्डेश्वर को अर्पित होता है, जिन्हें भूत-प्रेतों के स्वामी माना जाता है। इसलिए, कुछ विशेष परिस्थितियों में ही शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण किया जा सकता है।

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Kaushiki
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हिंदू धर्म में शिवलिंग पूजा का बहुत ही ज्यादा महत्व है, विशेषकर सावन के महीने में। इस समय में भक्त भगवान शिव की पूजा करते हुए जल, दूध, बेलपत्र, फल और अन्य सामग्री अर्पित करते हैं। ऐसे में आपने अक्सर सुना होगा कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

यह एक धार्मिक मान्यता है, जिसका आधार शिव पुराण में मिलता है। माना जाता है कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण करने से व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि यह भगवान शिव के गण चण्डेश्वर को समर्पित होता है, जो भूत-प्रेतों के स्वामी माने जाते हैं। आइए जानें कि इस मान्यता के पीछे क्या वजह है और कब शिवलिंग का प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है।

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Shivling Prasad Why Prasad Offered On Shivling Should Not Be Consumed Know  The Reason - Amar Ujala Hindi News Live - Shivling Prasad:शिवलिंग पर चढ़े  प्रसाद को क्यों नहीं खाना चाहिए? जानें

शिव पुराण की मान्यता

शिव पुराण में एक श्लोक मिलता है, जिसमें कहा गया है कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद भगवान शिव के गण चण्डेश्वर को अर्पित होता है। चण्डेश्वर को भूत-प्रेतों के स्वामी के रूप में जाना जाता है। यह श्लोक इस प्रकार है:

"लिंगस्योपरि दत्तं यत् नैवेद्यं भूतभावनम्।
तद् भुक्त्वा चण्डिकेशस्य गणस्य च भवेत् पदम्॥"

इसका अर्थ है कि जो भोग शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, वह चण्डेश्वर के पास जाता है। यदि कोई उसे खाता है, तो वह चण्डेश्वर की तरह भूत-प्रेतों के प्रभाव में आ सकता है या नकारात्मक प्रभावों का सामना कर सकता है। इस कारण से, शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद ग्रहण करना वर्जित होता है।

शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद क्यों नहीं करना चाहिए ग्रहण? जानें कारण

चण्डेश्वर कौन हैं

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, चण्डेश्वर भगवान शिव के मुख से प्रकट हुए एक गण हैं, जिन्हें भूत-प्रेतों और अन्य गणों का प्रमुख माना जाता है। यही कारण है कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को चण्डेश्वर से जुड़े होने के कारण ग्रहण नहीं करना चाहिए। 

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क्या शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है? | संभाषण

शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को कब खा सकते हैं

हालांकि शास्त्रों के मुताबिक, कुछ परिस्थितियों में प्रसाद ग्रहण करना दोषमुक्त नहीं माना जाता है। यह स्थिति विशेष प्रकार के धातु से बने शिवलिंग पर लागू होती है:

  • धातु के शिवलिंग (कांसा, तांबा, या पारद से बने): इन पर चढ़ाए गए भोग को ग्रहण किया जा सकता है। क्योंकि यह नकारात्मक प्रभावों से मुक्त माने जाते हैं।
  • पत्थर, मिट्टी, या चीनी मिट्टी के शिवलिंग: इन पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण करना वर्जित होता है। इस प्रसाद को अधिक उचित माना जाता है यदि इसे जल में प्रवाहित किया जाए या पशुओं को खिला दिया जाए। इससे धार्मिक दृष्टि से अधिक पुण्य प्राप्त होता है।
  • भगवान शिव की मूर्ति पर चढ़ा प्रसाद: अगर भगवान शिव की मूर्ति पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण किया जाता है, तो इसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसको खाने से पापों का नाश होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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