ढाई हजार से ज्यादा मंदिरों ने इस फूल को किया बैन, जानें क्या है पूरा मामला

2500 से ज्यादा मंदिरों का संचालन करने वाले दो देवास्वोम बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। बोर्ड द्वारा संचालित किए जा रहे मंदिरों में अब अरली के फूलों (ओलियंडर) का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

Advertisment
author-image
Aparajita Priyadarshini
New Update
flower.png
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मंदिरों में पूजा और फूल का अटूट रिश्ता है। कहा जाता है कि फूल के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है, लेकिन अगर मंदिर ही किसी फूल को मना कर दें तो क्या कहिएगा? ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां एक- दो नहीं पूरे ढाई हजार मंदिरों ने एक खास फूल को अपने परिसरों में पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। 

केरल के मंदिरों ने लिया फैसला…

मामला केरल का है, जहां के 2500 से ज्यादा मंदिरों का संचालन करने वाले दो देवास्वोम बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। बोर्ड द्वारा संचालित किए जा रहे मंदिरों में अब अरली के फूलों (ओलियंडर) का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा ( KERELA TEMPLE BANNED ARALI FLOWER )। त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड के अध्यक्ष पीएस प्रशांत कहते हैं कि अरली के फूलों को लेकर लोगों कि चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। अब तक मंदिर में अरली यानी कनेर के फूलों का इस्तेमाल अनुष्ठान और नैवेद्यम में किया जाता रहा है। लेकि यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि यह फूल जहरीली प्रकृति के होते हैं और मनुष्यों समेत जानवरों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

ये भी पढ़िए....

फिल्म भैया जी का ट्रेलर हुआ रिलीज, मनोज बाजपेयी का एक्शन मोड हुआ ऑन

कनेर का पौधा कैसा होता है ?



कनेर का फूल बहुत ही मशहूर है। इसके पेड़ की ऊंचाई लगभग 10 से 11 हाथ के बराबर होती है। फूल खासकर गर्मियों के मौसम में ही खिलते हैं। इसकी फलियां बहुत ही जहरीली होती हैं। फूलों और जड़ों में भी जहर होता है। कनेर की चार जातियां होती हैं। सफेद, लाल व गुलाबी और पीला। हालांकि सफेद कनेर औषधि के उपयोग में बहुत आता है। बताया जाता है कि कनेर के फूलों में ग्लाइकोसाइड्स होते हैं, जो सीधे हार्ट पर प्रभाव डालते हैं। इसी कारण इस फूल पर मंदिरों में प्रतिबंध लगाया गया है। 

ये भी पढ़िए.....

चौथे चरण की वोटिंग से पहले कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, खंडवा की पूर्व महापौर ने पति संग थामा बीजेपी का दामन



पूजा में और कौन-कौन से फूल वर्जित हैं ?

हिंदू धर्म में फूल- पत्तों का विशेष महत्व बताया गया है। लेकिन कुछ फूलों के इस्तेमाल की मनाही है।  

भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूलों के इस्तेमाल पर मनाही है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, स्वयं भगवान शिव (भगवान शिव के 8 पुत्र) ने केतकी को श्राप दिया था और अपनी पूजा में होने से वर्जित कर दिया था।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार, भगवान विष्णु की पूजा में लोध, माधवी और अगस्त्य के फूलों का इस्तेमाल वर्जित माना गया है। भगवान विष्णु को यह फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।



भगवान शिव की पत्नी यानी माता पार्वती की पूजा में मदार के फूलों का प्रयोग अनुचित माना गया है। मान्यता है कि मदार के फूल माता पार्वती को चढ़ाने से वह क्रोधित हो जाती हैं।



भगवान राम की पूजा में कनेर के फूल वर्जित हैं। ऐसी मान्यता है कि कनेर के फूल चढ़ाने से प्रभु श्री राम अपनी कृपा व्यक्ति पर पड़ने से रोक देते हैं। हालांकि मां दुर्गा को कनेर चढ़ाया जा सकता है।



सूर्य देव की पूजा में बेलपत्र चढ़ाने की मनाही है। एक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने बेलपत्र को प्रिय बताया था, तब सभी देवताओं ने बेलपत्र को महादेव के सम्मान में अपनी पूजा से वर्जित कर दिया था।

ये भी पढ़िए....

चौथे चरण की वोटिंग से पहले कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, खंडवा की पूर्व महापौर ने पति संग थामा बीजेपी का दामन

कनेर के फूल ARALI FLOWER KERELA TEMPLE BANNED ARALI FLOWER