उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर बन रहा डेस्टिनेशन वेडिंग का हॉटस्पॉट, यहीं पर हुआ था शिव-पार्वती का विवाह

उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर आजकल डेस्टिनेशन वेडिंग का नया केंद्र बन गया है। मान्यताओं के अनुसार यहीं त्रेता युग में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।

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Kaushiki
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Latest Religious News: आजकल डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन बहुत बढ़ गया है। लोग विवाह के लिए नई-नई जगहें तलाश रहे हैं। ऐसे में इन दिनों उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर विवाह का एक नया केंद्र बन गया है। इस मंदिर की प्रसिद्धि का कारण इसका पौराणिक महत्व है।

मान्यताओं के मुताबिक, यह वही पवित्र स्थल है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। त्रेता युग में इसी स्थान पर यह दिव्य विवाह हुआ था जो इस मंदिर को अत्यंत शुभ बनाता है। 

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मनोकामनाएं होती है पूरी

इस विवाह में स्वयं भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई का कर्तव्य निभाया था। वहीं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने विवाह की सभी रस्में पूरी कराई थीं, वे पुरोहित बने थे। 

इस कारण यह मंदिर हर जोड़े के वैवाहिक जीवन के लिए बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। यहां आकर दर्शन करने मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जो जोड़े यहां शादी करते हैं, उनका रिश्ता प्रेम और समर्पण से मजबूत होता है।

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मंदिर में जल रहे अखंड ज्योति का रहस्य

त्रियुगीनारायण मंदिर की सबसे बड़ी पहचान यहां लगातार जल रही अखंड ज्योति है। कहा जाता है कि यह पवित्र अग्नि उसी समय से निरंतर जल रही है, जब शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। इसे अखंड धूनी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कभी न बुझने वाली अग्नि।

भक्तजन मानते हैं कि इस अखंड धूनी के चारों ओर फेरे लेने से विवाह का बंधन और भी मजबूत हो जाता है। यह भी मान्यता है कि इस पवित्र अग्नि की राख को घर ले जाना वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

मंदिर के ठीक सामने वह ब्रह्मशिला स्थित है, जिसे शिव-पार्वती के विवाह का वास्तविक हवन कुंड माना जाता है। कई श्रद्धालु यहां अपनी शादी की खुशियों और वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए हवन-पूजन करते हैं।

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भक्तों की अटूट आस्था

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारघाटी के इस सुंदर इलाके में स्थित मंदिर की वास्तुकला भी बहुत आकर्षक है। प्राचीन शैली में निर्मित यह मंदिर पत्थर और लकड़ी की सुंदर नक्काशी से सजा हुआ है। इसका शांत और पवित्र वातावरण इसे विवाह के लिए एक अत्यंत उपयुक्त स्थान बनाता है।

इस मंदिर का नाम त्रियुगीनारायण भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह तीन शब्दों से बना है: 'त्रि' का अर्थ है तीन, 'युगी' काल यानी युग का प्रतीक है और 'नारायण' भगवान विष्णु का ही दूसरा नाम है।

भक्तजन यहां केवल विवाह करने ही नहीं आते। बल्कि अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद लेने भी आते हैं। उनकी अटूट मान्यता है कि यहां शिव-पार्वती और भगवान विष्णु से आशीर्वाद लेने वाले दंपत्तियों का जीवन हमेशा खुशहाल रहता है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट

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