क्या सच में शिव के पसीने से हुआ मां नर्मदा का जन्म, जानिए पूरी कहानी

नर्मदा जयंती पर जानिए क्या सच में शिव के पसीने से हुई थी नर्मदा नदी की उत्पत्ति? इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति मिलती है।

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Kaushiki
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नर्मदा जयंती एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जो माघ मास की शुक्ल सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से नर्मदा नदी के अवतरण के रूप में मनाने की परंपरा है। यह मान्यता है कि नर्मदा नदी का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ था। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है, और इस दिन नर्मदा नदी में स्नान और पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस बार ये पर्व 4 फरवरी को मनाई जा रही है। आइए जानें इस विशेष कथा और नर्मदा जयंती के महत्व के बारे में।

नर्मदा नदी का जन्म कैसे हुआ

नर्मदा नदी की उत्पत्ति के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन सबसे प्रमुख कथा वह है जिसमें ये बताया गया है कि, भगवान शिव के पसीने से नर्मदा नदी का जन्म हुआ। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान शिव तपस्या में लीन थे और उनके शरीर से निकलने वाले पसीने से यह पवित्र नदी प्रकट हुई। इस नदी का जन्म उनके आशीर्वाद और शक्ति से हुआ, जिससे इसे पवित्र माना जाता है।

माना जाता है कि, नर्मदा का नामकरण भी शिव और पार्वती ने मिलकर हुआ था, जिसमें "नर्म" का अर्थ सुख देने वाला और "दा" का अर्थ देने वाली है। नर्मदा नदी को 'शिव की पुत्री' के रूप में भी पूजा जाता है, क्योंकि उसकी उत्पत्ति शिव के आशीर्वाद से हुई थी। यह विश्वास है कि शिव के पसीने से उत्पन्न हुई नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।

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नर्मदा नदी की महिमा 

नर्मदा नदी का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी ज्यादा है। इसे भारत की सात पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। नर्मदा के जल को शुद्ध और पवित्र माना जाता है और इसके जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।

नर्मदा जयंती के दिन विशेष रूप से नदी में स्नान करने का महत्व होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति और सुख-समृद्धि लाता है। इसके अलावा, नर्मदा के जल से कई तरह के चमत्कारी असर होने की मान्यता भी है।

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नर्मदा नदी का धार्मिक महत्व

नर्मदा जयंती, माघ शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है और इस दिन का विशेष महत्व है। इस दिन नर्मदा नदी के जल में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

नर्मदा जयंती के अवसर पर, लाखों लोग नर्मदा नदी के किनारे पूजा करते हैं और इस दिन को एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह दिन विशेष रूप से नर्मदा नदी में स्नान करने और मां नर्मदा की पूजा करने का है।

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नर्मदा जयंती 2025 और ग्रह योग

इस बार नर्मदा जयंती पर शुभ और सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। यह संयोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इस दिन मां नर्मदा की पूजा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, यह दिन जीवन में सकारात्मक बदलाव और समृद्धि की शुरुआत करने के लिए उपयुक्त है।

इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही, सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है और मां लक्ष्मी और नर्मदा की पूजा की जाती है। क्योंकि इस दिन के बाद व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। इस दिन किए गए अनुष्ठान से जीवन की हर तरह की समस्याओं का समाधान होता है।

FAQ

Narmada Jayanti क्या है?
Narmada Jayanti माघ माह की शुक्ल सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, यह नर्मदा नदी के धरती पर अवतरण का दिन है।
क्या शिव के पसीने से नर्मदा नदी का जन्म हुआ था?
हां, एक धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के पसीने से नर्मदा नदी का जन्म हुआ था। यह नदी शिव के आशीर्वाद से उत्पन्न हुई थी।
नर्मदा नदी का नामकरण कैसे हुआ?
नर्मदा नदी का नामकरण भगवान शिव और पार्वती ने किया। "नर्म" का अर्थ सुख देने वाला और "दा" का अर्थ देने वाली है।
Narmada Jayanti पर क्या खास पूजा करनी चाहिए?
Narmada Jayanti पर नर्मदा नदी में स्नान करना और सूर्य देव को जल अर्पित कर पंचोपचार विधि से पूजा करना चाहिए।
नर्मदा नदी के जल में स्नान करने का क्या लाभ है?
नर्मदा नदी के जल में स्नान करने से समस्त पाप धुल जाते हैं और मानसिक शांति तथा सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

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