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21 जुलाई यानी आज बुध प्रदोष व्रत है। आज भक्त विधि-विधान से प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। बुध प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव सबसे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। उनसे ही जीवन है और उनसे ही मृत्यु है। त्रयोदशी के दिन जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं उनको रोगों से मुक्ति मिलती है, जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। दुखों और पाप का नाश होता है। जिन लोगों की कोई संतान नहीं होती है, उन लोगों को इस व्रत को करने से वंश वृद्धि के लिए संतान की प्राफ्ति होती है। आइए जानते हैं बुध प्रदोष के की कथा..
क्या है बुध प्रदोष व्रत की कथा:
बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के 2 दिनों बाद उसकी पत्नीु मायके चली गई। कुछ दिनों के बाद वह पुरुष पत्नीव को लेने उसके घर आया। बुधवार को जब वह पत्नीई के साथ लौटने लगा तो पुरुष के ससुराल पक्ष ने उसे रोकने की कोशिश की। क्योंकि विदाई के लिए बुधवार दिन शुभ नहीं होता है। लेकिन वह नहीं माना और पत्नीस के साथ चला गया।
एक शक्ल जैसे दो लोग
शहर के बाहर पहुंचते ही पत्नीा को जोर की प्यास लगी। पति लोटा लेकर पानी लाने चला गया। पत्नीह एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद जब पति पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नीे किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी भी पी रही है। पति को गुस्सा आ गया। जब वह अपनी पत्नी के निकट पहुंचा तो वह आश्चर्यचकित रह गया। क्योंकि उसकी पत्नी जिस युवक से हंस-हंसकर बात कर रही थी वह बिल्कुल उसके जैसा दिखता था। पत्नीे ने जब अपने पति को देखा तो वह सोच में पड़ गई कि आखिर दोनों में से उसका असली पति कौन है। दोनों आदमी आपस में झगड़ने लगे। आस-पास भीड़ इकट्ठी हो गई। सिपाही आए और हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्च र्यचकित हो गए।
प्रार्थना करते ही हुआ चमत्कार
सिपाहियों ने पत्नी से पूछा कि उसका पति कौन है? पत्नी हतप्रभ सी रह गई। तब उसका पति भगवान शिव से प्रार्थना करने लगा- 'हे भगवान! हमारी रक्षा करो। मुझसे बड़ी भूल हो गई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी पत्नी् को विदा करा लाया। मैं भविष्य में ऐसा कभी नहीं करूंगा।‘ जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष वहां से गायब हो गया। पति-पत्नीा सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्नीु नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखते थे।