छोटे बच्चों की शिक्षा को आसान बनाएगा AI APPU , रॉकेट लर्निंग का नया मॉडल जारी

अप्पू एक AI-आधारित लर्निंग टूल है, जो बच्चों को मजेदार तरीके से पढ़ाता है। यह टूल खासकर 3 से 6 साल के बच्चों के लिए बनाया गया है और गूगल के सहयोग से विकसित हुआ है। क्या यह बच्चों की पढ़ाई को सस्ता और आसान बना सकता है?

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Kaushiki
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AI 'अप्पू'
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AI-आधारित शिक्षा: आजकल, बच्चों की पढ़ाई पर बहुत पैसा खर्च होता है, चाहे वह स्कूल हो या फिर ट्यूशन। लेकिन अब AI 'अप्पू' के साथ बच्चों की पढ़ाई को और भी आसान और सस्ता बनाया जा सकता है। रॉकेट लर्निंग नाम के एक संस्था ने अप्पू नाम का एक खास लर्निंग टूल बनाया है, जो बच्चों को खेलने के जैसे तरीके से सीखने में मदद करता है। इसे Google ने मिलकर तैयार किया है। खासकर 3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है और खासतौर पर जो बच्चे कमजोर परिवारों से हैं, उनके लिए यह एक बड़ी मदद साबित हो सकता है।

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अप्पू कैसे अलग है

रॉकेट लर्निंग के फाउंडर्स विशाल सुनील और अजीज गुप्ता कहते हैं कि आमतौर पर जो पढ़ाई के ऐप्स होते हैं, वो बच्चों को एक जैसी बातें बार-बार सिखाते हैं, जिससे उनका मन उब जाता है। लेकिन अप्पू बच्चों को मजेदार तरीके से और सवाल-जवाब के माध्यम से पढ़ाता है। अगर बच्चा किसी विषय को समझने में मुश्किल महसूस करता है, तो अप्पू उसे नए तरीके से समझाता है, जिससे बच्चा जल्दी सीख सकता है।

आवाज से सीखना

भारत में बच्चों और माता-पिता के बीच आवाज (Sound) का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। इसीलिए इनके फाउंडर्स बताते हैं कि अप्पू को आवाज के जरिए पढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। अभी फिलहाल यह हिंदी में अवेलेबल है, लेकिन जल्द ही यह मराठी, पंजाबी और 20 अन्य भाषाओं में आ जाएगा, ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा (Mother tongue) में भी सीख सकें।

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AI का ह्यूमन आस्पेक्ट 

अप्पू केवल एक साधारण मशीन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा ट्यूटर है जो बच्चों से बात करता है, उनकी मदद करता है और उन्हें समझाता है। रॉकेट लर्निंग ने इसे बनाने से पहले अच्छे शिक्षकों के तरीकों को ध्यान से समझा है ताकि यह बच्चों के लिए आसान और दिलचस्प बन सके। यह बच्चों के दिमाग को भी सक्रिय (Active) करता है और उन्हें बेहतर सोचने में मदद करता है।

गूगल का सहयोग

गूगल ने भी अप्पू के विकास में मदद की है। गूगल का कहना है कि वे उन संस्थाओं को सपोर्ट करते हैं जो AI का इस्तेमाल करके बड़े समाजिक बदलाव ला रही हैं। अब तक गूगल ने  AI-बेस्ड  प्रोजेक्ट्स में $200 मिलियन से ज्यादा का कंट्रीब्यूशन किया है और अप्पू भी इसी दिशा में एक कदम है।

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चैलेंजेज और आगे का रास्ता

AI पर ज्यादा निर्भर रहने से बच्चों की सोचने की क्षमता पर असर पड़ सकता है, इसलिए अप्पू को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह बच्चों के मन में और ज्यादा जिज्ञासा पैदा करता है। साथ ही, भारत में बहुत से लोग डिजिटल साक्षर (literate) नहीं हैं, इसलिए अप्पू को व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध कराया गया है, ताकि माता-पिता इसे आसानी से यूज कर सकें। इसके अलावा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी इसमें जोड़ा गया है ताकि और बच्चों तक यह पहुंच सके।

50 मिलियन बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य

बता दें कि, रॉकेट लर्निंग का लक्ष्य है कि 2030 तक 50 मिलियन बच्चों तक अप्पू पहुंचे। उनका मानना है कि अगर यह शिक्षा सिर्फ कुछ खास बच्चों तक सीमित रही, तो समाज में और डिजिटल खाई बढ़ सकती है। इसलिए वे इसे एक सार्वजनिक डिजिटल संसाधन (public digital resources) के रूप में विकसित कर रहे हैं। सरकार के साथ मिलकर आंगनवाड़ी केंद्रों को शिक्षा के अच्छे केंद्र बनाने की योजना भी बनाई जा रही है। इस AI टूल के जरिए भारत में बच्चों की शुरुआती शिक्षा को और भी बेहतर और प्रभावी बनाया जा सकता है।

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FAQ

'अप्पू' क्या है और यह कैसे काम करता है?
'अप्पू' एक AI आधारित लर्निंग टूल है, जो बच्चों को खेल-खेल में सीखने का मौका देता है। यह बच्चों से सवाल-जवाब करके उन्हें पढ़ाता है और यदि कोई बच्चा किसी विषय को समझने में कठिनाई महसूस करता है, तो इसे नए तरीके से समझाया जाता है।
क्या 'अप्पू' ऐप केवल हिंदी में उपलब्ध है?
नहीं, 'अप्पू' फिलहाल हिंदी में उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही इसे मराठी, पंजाबी और 20 अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा।
क्या 'अप्पू' ऐप को व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध कराया गया है?
जी हां, अप्पू को व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध कराया गया है, ताकि माता-पिता इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकें, विशेषकर उन परिवारों में जहां डिजिटल लिटरेसी कम है।
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