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भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ड्रोन युद्ध ने सुरक्षा क्षेत्र में एक नई दिशा दी है। पाकिस्तान अपने तुर्किए के ड्रोन का इस्तेमाल कर भारतीय इलाकों पर हमला कर रहा है।
भारत भी अपने एंट्री ड्रोन सिस्टम से जवाब दे रहा है। इस युद्ध के बीच यह समझना जरूरी है कि, आखिर ये एंट्री ड्रोन सिस्टम क्या है और यह कैसे काम करता है।
अगर आप भी इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं और ड्रोन टेक्नोलॉजी में एक्सपर्टीस हासिल करना चाहते हैं, तो आप 12वीं पास कर इस फील्ड में तकनीकी कोर्स कर सकते हैं।
ये आपको नई तकनीकी जानकारी और अच्छा वेतन भी देगा। तो अगर आप ड्रोन इंजीनियर बनना चाहते हैं, तो अभी से तैयारी शुरू करें और अपने सपनों को साकार करें।
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ड्रोन क्या होती है
ड्रोन एक बिना पायलट के उड़ने वाला रोबोट होता है, जिसे रिमोट कंट्रोल या ऑटोमेटेड सिस्टम से ऑपरेटेड किया जाता है। इसमें कैमरा, सेंसर और मोटर लगे होते हैं, जो इसे तस्वीरें लेने, सर्वे करने, या सामान की डिलीवरी करने में मदद करते हैं।
ड्रोन का यूज खेती, फोटोग्राफी, सेना, आपातकालीन सेवाओं और डिलीवरी जैसे डिफरेंट एरियाज में किया जाता है।
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कैसे बनें ड्रोन डेवलपर
ड्रोन टेक्नोलॉजी एक तेजी से बढ़ते हुए फील्ड के रूप में सामने आई है। इसके माध्यम से कई इंडस्ट्रीज में सुधार किया जा रहा है। ड्रोन डेवलपर बनने के लिए आपको टेक्निकल ज्ञान और सही कोर्स की जरूरी होती है।
ड्रोन एक तरह का छोटा रोबोट होता है, जिसे उड़ने, सर्वे करने, तस्वीरें लेने और सामान की डिलीवरी के लिए डिजाइन किया जाता है। इसका यूज खेती, फोटोग्राफी, डिलीवरी और सेना में किया जाता है।
भारत में, ड्रोन डेवलपमेंट में करियर बनाने के लिए कई इंस्टिट्यूट 12वीं के बाद एडमिशन के लिए कोर्सेस ऑफर करते हैं। इन कोर्सेस के समय आप ड्रोन के हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, डिजाइन और ऑपरेशन के बारे में सीख सकते हैं।
ड्रोन डेवलपमेंट के लिए कोर्सेस
बीटेक इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
यह कोर्स ड्रोन के सेंसर, कैमरा, GPS, मोटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की समझ पर आधारित है। इस 4 साल के कोर्स में आपको ड्रोन के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को डिजाइन और विकसित करने का ट्रेनिंग मिलेगा।
बीटेक इन एयरोनॉटिकल या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
यह भी एक 4 साल का कोर्स है, जिसमें आपको ड्रोन के फ्लाइट सिस्टम, स्टेबिलिटी और डिजाइन के बारे में डिटेल्ड जानकारी मिलेगी। यह कोर्स ड्रोन उड़ाने की तकनीक और उसके निर्माण पर केंद्रित होता है।
डिप्लोमा इन ड्रोन टेक्नोलॉजी
यह 1-2 साल का डिप्लोमा कोर्स है, जो विशेष रूप से ड्रोन टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित करता है। NIELIT, IIAE, और IIST जैसे संस्थान इस कोर्स को ऑफर करते हैं।
सर्टिफिकेट कोर्स इन ड्रोन पायलटिंग और डेवलपमेंट
यह 3-6 महीने का शॉर्ट-टर्म कोर्स है, जो ड्रोन असेंबली, प्रोग्रामिंग और ऑपरेशन की बेसिक समझ देता है। इस कोर्स को वेरियस इंस्टीटूशन्स ऑफर करते हैं।
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ड्रोन डेवलपर के लिए करियर ऑप्शन
ड्रोन डेवलपर
ड्रोन डेवलपर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर डिजाइन में काम करते हैं। वे ड्रोन के सेंसर, कैमरा, मोटर और सॉफ्टवेयर को विकसित करते हैं।
ड्रोन पायलट
ड्रोन पायलट बनकर आप ड्रोन उड़ाने के लिए DGCA (Directorate General of Civil Aviation) से लाइसेंस ले सकते हैं और फिर ड्रोन के माध्यम से सर्वे, फोटोग्राफी, या डिलीवरी के कार्य कर सकते हैं।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट
रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए आप डिफेंस, एग्रीकल्चर या डिलीवरी सेक्टर में काम कर सकते हैं। यहां ड्रोन टेक्नोलॉजी में नए इनोवेशन के लिए प्रयास किए जाते हैं।
जॉब सेक्टर
ड्रोन डेवलपर्स के लिए डिफेंस (DRDO), एग्रीकल्चर, लॉजिस्टिक्स (अमेज़न, फ्लिपकार्ट), फिल्म इंडस्ट्री और सर्वे कंपनियों में अवसर हैं।
ड्रोन डेवलपर कोर्स फीस
- बीटेक: सरकारी कॉलेजों में लगभग 50 हजार रुपए से 2 लाख रुपए प्रति वर्ष, जबकि प्राइवेट कॉलेजों में 3-5 लाख रुपए प्रति वर्ष।
- डिप्लोमा कोर्स: लगभग 30 हजार रुपए से 1 लाख रुपए तक।
- सर्टिफिकेट कोर्स: लगभग 30 हजार रुपए से 1 लाख रुपए तक, कोर्स की पीरियड और इंस्टीटूशन के आधार पर।
ड्रोन डेवलपर की सैलरी
- फ्रेशर: एक फ्रेशर ड्रोन डेवलपर की सैलरी लगभग 3-6 लाख रुपए सालाना हो सकती है।
- अनुभवी प्रोफेशनल: अनुभवी ड्रोन डेवलपर लगभग 10-20 लाख रुपए सालाना तक कमा सकते हैं, खासकर डिफेंस, लॉजिस्टिक्स और R&D सेक्टर में।
- फ्रीलांस ड्रोन पायलट: फ्रीलांस ड्रोन पायलट के तौर पर वेडिंग, रियल एस्टेट फोटोग्राफी और इवेंट कवरेज के लिए लगभग 50 हजार रुपए से 2 लाख रुपए प्रति प्रोजेक्ट कमा सकते हैं।
मेजर इंस्टिट्यूट और कोर्सेस
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)
दिल्ली, बॉम्बे, कानपुर जैसे IITs में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और ड्रोन से जुड़े कोर्स उपलब्ध हैं।
NIELIT (National Institute of Electronics and Information Technology)
ड्रोन टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा कोर्स ऑफर करता है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (IIAE)
ड्रोन से जुड़े कोर्स पढ़ाता है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IIST)
ड्रोन और स्पेस टेक्नोलॉजी में कोर्स उपलब्ध हैं।
क्या है एंटी ड्रोन सिस्टम
भारत-पाकिस्तान के बीच ड्रोन युद्ध जारी है, जिसमें दोनों देशों के ड्रोन एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं। इसमें एंटी ड्रोन सिस्टम से ड्रोन को नष्ट करने का दावा भी कर रहे हैं।
एंटी ड्रोन सिस्टम एक सिक्योरिटी सिस्टम है, जो दुश्मन के ड्रोन को उसके लक्ष्य तक पहुंचने से पहले नष्ट कर देती है। यह सिस्टम ड्रोन के GPS, कम्युनिकेशन्स और हार्डवेयर को निशाना बनाता है।
अगर ड्रोन का GPS सिग्नल जैम किया जाए या उसका संचार बंद कर दिया जाए, तो वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता। हालांकि, अगर एक साथ कई ड्रोन भेजे जाएं, तो एंटी ड्रोन सिस्टम को चुनौती मिल सकती है, क्योंकि वह सभी ड्रोन को एक साथ कण्ट्रोल नहीं कर पाता।
IIT कानपुर बनाएगा सेना के लिए शक्तिशाली ड्रोन
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाने के लिए आईआईटी कानपुर ने दो शक्तिशाली ड्रोन विकसित करने का निर्णय लिया है। ये ड्रोन भारतीय सेना की युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। रक्षा मंत्रालय ने इनकी तकनीकी जानकारी ली है और इनकी टेस्टिंग मई के अंत तक की जाएगी।
आईआईटी कानपुर में बनाए जा रहे दो ड्रोन में एक एफपीवी (FPV) ड्रोन है, जो कम दूरी पर सटीक हमले करने में सक्षम होगा, जबकि दूसरा ड्रोन हाई पेलोड कैपेसिटी का होगा, जो 50 किलो तक युद्ध सामग्री ले जाने की क्षमता रखेगा। ये ड्रोन 500 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम होंगे, जो युद्ध के समय भारतीय सेना के लिए बेहद लाभकारी साबित होंगे।
आईआईटी कानपुर ने पहले ही भारतीय सेना को 30 ड्रोन प्रदान किए हैं, जो सीमा पर सुरक्षा में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ ड्रोन रडार से बचने में सक्षम हैं, जिससे वे अपने लक्ष्य तक बिना रडार पकड़े पहुंच सकते हैं। भविष्य में ये ड्रोन डिफेंस, एग्रीकल्चर और लॉजिस्टिक्स में भी जरूरी भूमिका निभा सकते हैं। इस परियोजना के जरिए आईआईटी कानपुर ड्रोन टेक्नोलॉजी में नई क्रांति ला सकता है।
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