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18 साल के अर्णव सिंह ने पहले ही प्रयास में JEE Main 2025 परीक्षा को शानदार तरीके से पास कर लिया। उनका परिवार बिहार से है और वर्तमान में कोटा, राजस्थान में रहता है। उनके पिता आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र और एलन कोचिंग इंस्टीट्यूट में शिक्षक हैं। अर्णव की सफलता का राज लगातार पढ़ाई से ज्यादा खेल-कूद को माना जा रहा है। उनका कहना है कि खेल ने उनकी मानसिक सेहत को बेहतर बनाया और परीक्षा के दबाव को कम करने में मदद की।
वो IIT बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं। अर्णव सिंह की सफलता ये साबित करती है कि, खेल-कूद और पढ़ाई में सही संतुलन बनाकर कोई भी छात्र बेहतरीन परिणाम हासिल कर सकता है। उनकी कहानी उन छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो पढ़ाई के दबाव से बचना चाहते हैं और स्मार्ट तरीके से तैयारी कर सफलता लेना चाहते हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता की पूरी कहानी और उनके पिता के बताए गए सक्सेस सीक्रेट।
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पढ़ाई के साथ खेल-कूद भी जरूरी
अर्णव सिंह ने JEE Main 2025 में शानदार प्रदर्शन कर ये साबित कर दिया कि सिर्फ किताबों में डूबे रहने से ही सफलता नहीं मिलती। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद को अपनी दिनचर्या में शामिल किया, जिससे उनकी मानसिक एकाग्रता और सीखने की क्षमता बेहतर हुई। परीक्षा से एक दिन पहले भी उन्होंने अपने छोटे भाई के साथ टेबल टेनिस खेलकर खुद को रिलैक्स किया। इससे उन्हें परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली।
पिता से मिली प्रेरणा
अर्णव के पिता अजीत सिंह IIT दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रजुएट हैं और हाल में कोटा के एलन कोचिंग इंस्टीट्यूट में शिक्षक हैं। अर्णव को बचपन से ही इंजीनियरिंग में जाने की प्रेरणा अपने परिवार से मिली। उनका सपना है कि वो IIT बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करें। उनका कहना है कि, उन्होंने कोई सख्त टाइम-टेबल नहीं बनाया, बल्कि कॉन्सेप्ट्स को गहराई से समझने पर ज्यादा ध्यान दिया।
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खेल की अहमियत
अर्णव के पिता का मानना है कि सफलता सिर्फ पढ़ाई से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से मजबूत रहने से भी मिलती है। अर्णव ने रोज़ क्रिकेट और टेबल टेनिस खेला, जिससे उनका दिमाग तरोताजा बना रहा और वे ज्यादा फोकस कर पाए। उन्होंने पढ़ाई के लिए कभी भी जबरदस्ती खुद को किताबों तक सीमित नहीं किया।
कॉन्सेप्ट पर पकड़ ही असली तैयारी
अर्णव का मानना है कि, किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए कॉन्सेप्ट को समझना सबसे जरूरी है। उन्होंने कक्षा 10वीं तक सिर्फ सिलेबस को सही तरीके से फॉलो किया और सभी विषयों के कॉन्सेप्ट्स को गहराई से समझने की कोशिश की। इससे उनकी बेसिक नॉलेज मजबूत हुई, जिससे JEE Main की तैयारी आसान हो गई।
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खेल-कूद बना सफलता की कुंजी
अर्णव के पिता का कहना है कि खेल ने ही उनकी JEE Main 2025 की सफलता में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने परीक्षा के दबाव से बचने के लिए खेल-कूद को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया, जिससे उनका एकाग्रता स्तर बढ़ा और परीक्षा के दौरान उन्हें किसी तरह की घबराहट नहीं हुई। उनका मानना है कि खेल और पढ़ाई में संतुलन बनाकर सफलता पाई जा सकती है।
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