MP Board Exam 2025: बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक किया तो खैर नहीं, होगी 3 साल की जेल
मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं और 12वीं की परीक्षा 25 फरवरी से शुरू होगी। जिसको लेकर स्कूल शिक्षा विभाग अलर्ट हो गया है। विभाग प्रश्नपत्र लीक करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।
मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MP Board) की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा 25 फरवरी से शुरू होने जा रही है। बोर्ड एग्जाम को लेकर तैयारियां तेज कर दी है। इस बार शिक्षा विभाग ने परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। सोशल मीडिया पर सक्रिय 20 से अधिक ग्रुपों की पहचान की गई है, जो परीक्षा प्रश्नपत्रों को वायरल करने के लिए सक्रिय हैं। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर आरोपियों को तीन साल की जेल और 5 हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।
बोर्ड परीक्षा को लेकर विभाग और सरकार अलर्ट
शिक्षा विभाग ने परीक्षा की सुरक्षा को लेकर कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है, विशेष रूप से उन लोगों के खिलाफ जो परीक्षा के प्रश्नपत्रों को सोशल मीडिया पर लीक करने की कोशिश करते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने फैसला लिया है कि वह साइबर क्राइम टीम के साथ मिलकर प्रश्नपत्र वायरल करने वालों पर सख्त कार्रवाई करेगा। साइबर क्राइम की टीम टीचर्स और कर्मचारियों पर नजर रखेगी। इसके तहत, प्रश्नपत्र वायरल करने के मामले में दोषियों के खिलाफ परीक्षा अधिनियम 1937 के तहत कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को तीन साल तक की सजा और पांच हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।
सोशल मीडिया के माध्यम से प्रश्नपत्र वायरल वालों के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग ने पांच सदस्यीय समितियों का गठन किया है, जो हर जिले में सोशल मीडिया पर इन ग्रुपों पर नजर रखेंगी। इसके साथ ही संभाग मुख्यालय पर भी ऑनलाइन निगरानी की जाएगी। साथ ही प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय कमेटी गठित की गई है। सभी जिले में जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर, और अन्य शिक्षा विभाग के अधिकारी मिलकर इस पर निगरानी रखेंगे। इसके अलावा, साइबर सेल को भी इस मामले में निर्देश दिए गए हैं ताकि सोशल मीडिया पर सक्रिय फर्जी ग्रुप्स के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
सोशल मीडिया पर फर्जी ग्रुप सक्रिय
बोर्ड की परीक्षा से पहले, सोशल मीडिया पर 20 से अधिक ग्रुप सक्रिय हो गए हैं, जो प्रश्नपत्र लीक करने के लिए काम कर रहे हैं। ये ग्रुप टेलीग्राम और अन्य प्लेटफार्मों पर हैं और परीक्षा के प्रश्नपत्रों को 500 से 2500 रुपए के बीच बेचने का दावा करते हैं। अधिकारी कहते हैं कि ये ग्रुप छात्रों को वास्तविक प्रश्नपत्रों की गारंटी देने का दावा करते हैं, लेकिन असल में ये प्रश्नपत्र फर्जी होते हैं।
इन फर्जी ग्रुपों में 'नॉर्मल', 'गोल्ड', और 'प्लेटिनम' पैकेज दिए जा रहे हैं, जिसमें छात्रों को विभिन्न दामों पर परीक्षा के प्रश्नपत्रों को मिलने का झांसा दिया जा रहा है। कई ग्रुप पैसों की डिमांड करते हैं और बच्चों को फर्जी पेपर उपलब्ध कराते हैं। इस तरह के प्रयासों से न केवल विद्यार्थियों को धोखा मिलता है, बल्कि उनकी मानसिक और आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ता है।
माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव केडी त्रिपाठी का कहना है कि ट्रेकिंग मोबाइल एप के माध्यम से पूरी मामले में इनकी मानिटरिंग की जाएगी। प्रश्न पत्रों का सोशल मीडिया पर वायरल होने से बचाने के लिए सायबर सेल से मदद ली जा रही है।
शिक्षा विभाग ने छात्रों और उनके अभिभावकों को चेतावनी दी है कि वे ऐसे फर्जी ग्रुपों से बचें। यदि कोई भी इस प्रकार का प्रस्ताव सोशल मीडिया या अन्य साधनों से प्राप्त होता है, तो इसे तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी या कलेक्ट्रेट को सूचित करें। शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों से अनुरोध किया है कि वे विद्यार्थियों को इस बारे में जागरूक करें, ताकि कोई भी छात्र धोखाधड़ी का शिकार न हो सके।