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Learning Second Language: आज के ग्लोबलाइजेशन के दौर में, जहां दुनिया एक छोटे से गांव की तरह बन गई है, भाषा का महत्व बहुत बढ़ गया है। आज कंपनियां ऐसे एम्प्लाइज की तलाश करती हैं, जो एक से ज्यादा भाषाओं में एफ्फिसिएंट हों। अगर कोई छात्र दूसरी भाषा जानता है, तो उसे नौकरी की तलाश में ज्यादा मौके मिल सकते हैं।
विशेषकर अंतरराष्ट्रीय कंपनियां, सरकारी नौकरी और टूरिज्म इंडस्ट्री में ऐसी भाषाओं का ज्ञान बहुत फायदेमंद होता है। हम में से मेजोरिटी अपनी मदर टंग में कम्फर्टेबली कम्यूनिकेट कर पाते हैं, लेकिन दूसरी भाषाओं का ज्ञान भी उतना ही जरूरी है।
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सबसे ज्यादा यूज होने वाली भाषाएं
अंग्रेजी (English)
अंग्रेजी आज के वैश्विक करियर के लिए सबसे महत्वपूर्ण भाषा मानी जाती है। यह दुनिया भर के प्रोफेशंस, गवर्नमेंट और इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन में कामकाजी भाषा के रूप में प्रमुख भूमिका निभाती है। अंग्रेजी के ज्ञान से छात्रों को वैश्विक नौकरी के अवसर, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और तकनीकी विकास के क्षेत्रों में भी काम करने के अवसर मिलते हैं। अगर आप मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करना चाहते हैं या विदेश में पढ़ाई की योजना बना रहे हैं, तो अंग्रेजी का नॉलेज एसेंशियल है। यह भाषा वैश्विक कनेक्टिविटी और नेटवर्किंग में मदद करती है।
फ्रेंच (French)
फ्रेंच दुनिया की एक प्रमुख भाषा है, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार, कूटनीति, संस्कृति, और कलात्मक क्षेत्र में। यह यूरोपीय संघ (EU), संयुक्त राष्ट्र (UN), नाटो (NATO) और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की ऑफिसियल भाषा है। फ्रेंच सीखने से आपको यूरोपीय और अफ्रीकी बाजारों में व्यावसायिक अवसर मिल सकते हैं। यह डिप्लोमेटिक एरिया में करियर बनाने के लिए भी बहुत लाभकारी है। इसके अलावा, यह भाषा कला, साहित्य और इतिहास में गहरी रुचि रखने वालों के लिए आदर्श है। फ्रेंच बोलने वाले देशों में अध्ययन और कार्य के अवसर भी बढ़ जाते हैं।
स्पेनिश (Spanish)
स्पेनिश एक व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है, विशेष रूप से यूरोप और लैटिन अमेरिका में। यह स्पेन, मेक्सिको, अर्जेंटीना, कोलंबिया और अन्य कई देशों की प्रमुख भाषा है। अगर आप लैटिन अमेरिकी देशों में काम करना चाहते हैं, तो स्पेनिश सीखना जरूरी है। स्पेनिश का नॉलेज ट्रेड, कल्चरल एक्सचेंज और वैश्विक अवसरों के लिए लाभकारी है। यह इंटरनेशनल टूरिज्म, कम्युनिकेशन और मीडिया के क्षेत्रों में भी बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा, स्पेनिश सीखने से आपके लिए यूरोपीय संघ और लैटिन अमेरिकी देशों में अध्ययन और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
जर्मन (German)
जर्मन यूरोप की एक जरूरी भाषा है और यह यूरोपीय संघ के सबसे बड़े अर्थव्यवस्था वाले देशों, जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड और अन्य देशों में प्रमुख है। जर्मन बोलने से आपको इंजीनियरिंग, मेडिसिन, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में वैश्विक अवसर मिलते हैं। जर्मनी में उच्च शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा है और यहां के विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने के लिए जर्मन का ज्ञान बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा, मल्टीनेशनल कंपनियों और इंटरनेशनल व्यापार के लिए यह भाषा बहुत जरूरी है।
जापानी (Japanese)
जापानी भाषा जापान में बोली जाती है, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जापानी का ज्ञान टेक्नोलॉजी, ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स, और विज्ञान के क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाता है। जापान की कंपनियां, जैसे टोयोटा, सोनी और निंटेंडो, दुनियाभर में प्रमुख हैं और जापानी भाषा जानने से आपको इन कंपनियों के साथ काम करने के अवसर मिल सकते हैं। साथ ही, जापान में अध्ययन और पर्यटन के लिए भी जापानी भाषा का ज्ञान अत्यधिक लाभकारी है।
चीनी (Mandarin Chinese)
चीनी (मैंडारिन) चीन की मुख्य भाषा है, जो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और तेजी से बढ़ती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था है। चीन के साथ व्यापार और संचार के लिए मैंडारिन सीखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भाषा चीन के अलावा सिंगापुर, मलेशिया और ताइवान में भी बोली जाती है। चीन के व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में कार्य करने के लिए यह भाषा अत्यंत फायदेमंद है। अगर आप चीन में काम करने या चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करने में रुचि रखते हैं, तो चीनी भाषा सीखना महत्वपूर्ण हो जाता है।
नई भाषा सीखने के इंस्टिट्यूट
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU):
JNU में 9 भाषाओं (अरेबिक, चाइनीज, फ्रेंच, जर्मन, जापानी, कोरियन, पर्शियन, रशियन, स्पेनिश) में BA (Hons), MA, MPhil, और PhD कोर्स मिलते हैं। इसके अलावा, ग्रीक, हीब्रू और टर्किश जैसी भाषाओं के ऑप्शनल कोर्स भी हैं। प्रवेश के लिए CUET परीक्षा जरूरी है।
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU):
DU में 6 भाषाओं (रशियन, क्रोएशियन, बल्गेरियन, चेक, हंगेरियन, पोलिश) में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, और एडवांस डिप्लोमा कोर्स मिलते हैं। इसके अलावा, स्पेनिश, फ्रेंच, इटैलियन, पोर्टगीज और रोमेनियन जैसी भाषाओं के कोर्स भी उपलब्ध हैं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU):
BHU में चाइनीज और रशियन भाषा में BA (Hons), MA, और PhD कोर्स मिलते हैं। इसके अलावा, इटैलियन, जापानी, स्पेनिश, सिंहली, और पोलिश भाषाओं में डिप्लोमा कोर्स भी उपलब्ध हैं। प्रवेश के लिए CUET और रिसर्च एंट्रेंस टेस्ट (RET) जरूरी हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia):
जामिया में फ्रेंच, टर्किश, और कोरियन भाषाओं में BA (Hons) और एडवांस्ड डिप्लोमा प्रोग्राम मिलते हैं। इसके अलावा, चाइनीज, कोरियन, उजबेक, टर्किश, और फ्रेंच में डिप्लोमा कोर्स भी उपलब्ध हैं।
विदेश में भाषा शिक्षा:
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UN), WHO, UNESCO, और WTO जैसी संस्थाओं में भी भाषाओं के जानकारों की मांग रहती है। फ्लाइट अटेंडेंट, इंटरप्रेटर, और ब्लॉगर जैसे करियर के लिए नई भाषाओं का ज्ञान फायदेमंद हो सकता है।
क्यों जरूरी है नई भाषा सीखना
अंग्रेजी के अलावा फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, अरबी भाषाओं का ज्ञान एम्प्लॉयमेंट के एरिया में छात्रों के लिए एक बड़ा लाभ साबित हो सकता है। छात्रों के लिए दूसरी भाषा सीखना आजकल एक जरूरी कौशल बन चुका है। यह न सिर्फ उनके पर्सनल डेवलपमेंट में मदद करता है, बल्कि उनके भविष्य के करियर और सामाजिक जीवन में भी जरूरी भूमिका निभाता है। आइए, जानते हैं कि दूसरी भाषा सीखना छात्रों के लिए क्यों जरूरी है...
बेहतर रोजगार के मौके
दूसरी भाषा सीखने से छात्रों को रोजगार के बेहतर मौके मिल सकते हैं। कई कंपनियां और संगठन ऐसे कर्मचारियों की तलाश करते हैं, जो दो या दो से अधिक भाषाओं में केपेबल हों। जब एक छात्र अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाएं, जैसे कि फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन सीखता है, तो उसके पास नौकरी पाने की अधिक संभावनाएं होती हैं। यह ग्लोबल लेवल पर काम करने की संभावना को भी खोलता है, जिससे करियर के नए दरवाजे खुलते हैं।
मेन्टल डेवलपमेंट और थिंकिंग में ग्रोथ
दूसरी भाषा सीखने से दिमाग को एक नई दिशा मिलती है। जब हम एक नई भाषा सीखते हैं, तो हमें नए शब्द, वाक्यांश (Phrases) और व्याकरण (Grammar) के नियमों को समझने का मौका मिलता है, जो हमारे मस्तिष्क को चुनौती देते हैं और उसे मजबूत बनाते हैं। यह हमारे विचारों की गति को तेज करता है और रीजनिंग पावर में सुधार लाता है। यही कारण है कि कई रिसर्च यह दिखाते हैं कि मल्टीलिंगुअल लोग मानसिक रूप से ज्यादा कुशल होते हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक समझ
जब छात्रों को दूसरी भाषा सीखने का मौका मिलता है, तो यह उन्हें अन्य देशों की संस्कृतियों और रीति-रिवाजों को जानने का मौका देता है। भाषा का संबंध सिर्फ शब्दों से नहीं होता, बल्कि यह संस्कृति, इतिहास और समाज के साथ जुड़ी होती है। दूसरे देशों की भाषा सीखने से छात्र कल्चरल पर्सपेक्टिव से समझदार होते हैं और वैश्विक स्तर पर सोशल हारमनी की भावना डेवेलप करते हैं।
कम्युनिकेशन स्किल्स में सुधार
जब छात्र दूसरी भाषा सीखते हैं और उसका यूज करते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। यह उन्हें अन्य लोगों से कम्युनिकेट करने में केपेबल बनाता है। खासकर जब छात्र नई भाषा में बातचीत करते हैं, तो उनके भीतर अपनी क्षमताओं का विश्वास बढ़ता है। यह न केवल उनके शब्दों को सटीकता से प्रेसेंट करने में मदद करता है, बल्कि ग्रुप डिस्कशन, पब्लिक स्पीकिंग और इंटरव्यू जैसे अवसरों में भी सहायक होता है।
ग्लोबल पर्सपेक्टिव का एक्सपेंशन
एक नई भाषा सीखने से छात्र दुनियाभर के लोगों से जुड़ सकते हैं। यह न केवल उन्हें अन्य संस्कृतियों को समझने का मौका देता है, बल्कि उन्हें विदेशों में अध्ययन, नौकरी, या यात्रा के मौके भी मिलते हैं। जैसे, एक छात्र जो अंग्रेजी और फ्रेंच जानता है, उसे यूरोप में कहीं भी काम करने का अवसर मिल सकता है, क्योंकि फ्रेंच यूरोप में एक जरूरी भाषा है।
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करियर और एजुकेशन
छात्रों के लिए दूसरी भाषा सीखने के कई कोर्स मौजूद हैं, जो उनके करियर और शिक्षा में मदद कर सकते हैं। जैसे
लैंग्वेज कोर्सेज
- अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, अरबी, रूसी जैसी भाषाओं के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स भारत के कई विश्वविद्यालयों और भाषा संस्थानों में मिलते हैं। ये कोर्स छात्रों को इन भाषाओं में माहिर बनाते हैं, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय नौकरी के लिए तैयार करते हैं।
- ट्रांसलेशन और इंटरप्रिटेशन कोर्स: इस कोर्स में ट्रांसलेटर और इंटरप्रिटर के रूप में करियर बनाया जा सकता है। इसमें छात्रों को भाषाओं के बीच सही अनुवाद करने की ट्रेनिंग मिलती है, जो सरकारी और निजी क्षेत्रों में काम आता है।
- विदेशी भाषाओं में डिग्री कोर्स: कुछ विश्वविद्यालय बैचलर और मास्टर डिग्री स्तर पर विदेशी भाषाओं का कोर्स कराते हैं। इससे छात्रों को इन भाषाओं और संस्कृतियों के बारे में गहरी समझ मिलती है, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राजनयिक काम में मदद करती है।
शोर्टकमिंग्स
- ट्रेनिंग की कमी: भारत में कुछ भाषाओं का अच्छा ट्रेनिंग नहीं मिल पाता और कई भाषाएं कम ही सिखाई जाती हैं।
- समय और मेहनत: नई भाषा सीखने में समय और मेहनत दोनों लगते हैं, जो सभी छात्रों के लिए आसान नहीं होता।
- बिजनेस ओप्पोर्तुनिटीज: कुछ भाषाओं के लिए भारत में काम के अवसर सीमित हो सकते हैं, खासकर उन भाषाओं के लिए जिनका यूज कम होता है।
आज के कॉम्पिटिटिव वर्ल्ड में, दूसरी भाषा सीखना छात्रों के लिए एक एसेंशियल स्किल्स बन गया है। यह न सिर्फ उनके करियर को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और एजुकेशनल लेवल पर भी उन्हें फायदा पहुंचाता है। इसलिए, छात्रों को अपनी मातृभाषा के साथ-साथ दूसरी भाषा सीखने की आदत डालनी चाहिए, ताकि वे लाइफ में बेटर ओप्पोर्तुनिटीज का सामना कर सकें और दुनियाभर में अपनी पहचान बना सकें।
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